आगरा। आगरा में पति के नशे की लत से परेशान एक महिला प्रोफेसर ने पुलिस की मदद से अपने पति की नशे की लत छुड़वाई। महिला के पति को एक छोटे अपराध के लिए जेल भेजा गया जहां पुलिस ने उसकी पूरी निगरानी की। रिहाई के समय व्यक्ति पूरी तरह नशा मुक्त था।
दरअसल, महिला प्रोफेसर अपने पति की नशे की लत से काफी परेशान थी। प्रोफेसर और उसके वकील ने योजना बनाई और पुलिस से शिकायत की कि उसके पति के पास एक घातक चाकू है, जिस कारण उसे जेल की सजा मिली।
मीडियाकर्मी अनुपम चतुर्वेदी ने बताया कि जब महिला आश्वस्त हो गई कि उसके पति ने नशा छोड़ दिया है, तब जमानत कराकर उसे घर ले आई।
जिला जेल अधीक्षक संत लाल यादव ने बताया कि हम ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते, लेकिन ऎसे कुछ मामले हमारे संज्ञान में हैं। यादव ने बताया कि महिला हमारे पास आई और पति पर नजर रखने के लिए हमारी मदद मांगी।
पहले कुछ दिनों तक वह चिल्लाता था और बार-बार नशीले पदार्थो और शराब की मांग करता था। हम दृढ़ बने रहे और उससे कहा कि वह अपनी लत छोड़ दे। एक पखवाड़े बाद नशे में उसकी दिलचस्पी खत्म होने लगी। रिहाई के समय वह एकदम बदला हुआ व्यक्ति था।
उन्होंने बताया, अब हमारे पास नशे की लत में फंसे कुछ युवा कैदी हैं। उन्हेंनशे से मुक्ति दिलाने के लिए परिवार के लोगों ने हमसे मदद मांगी है। यादव ने बताया कि सुधारक की तरह काम करना कानूनी कार्यवाही के दायरे से बाहर था, लेकिन अच्छा मानवतावादी प्रयास था।
उन्होंने कहा, हम खुश हैं कि परिणाम सकारात्मक हैंं और समाज के हित में हैं। उन्होंने कहा, अगर नशेड़ी व्यक्ति को नशीले पदार्थो और शराब से एक समय तक दूर रखा जाए, तो मुझे यकीन है कि परिणाम सकारात्मक होंगे। -
दरअसल, महिला प्रोफेसर अपने पति की नशे की लत से काफी परेशान थी। प्रोफेसर और उसके वकील ने योजना बनाई और पुलिस से शिकायत की कि उसके पति के पास एक घातक चाकू है, जिस कारण उसे जेल की सजा मिली।
मीडियाकर्मी अनुपम चतुर्वेदी ने बताया कि जब महिला आश्वस्त हो गई कि उसके पति ने नशा छोड़ दिया है, तब जमानत कराकर उसे घर ले आई।
जिला जेल अधीक्षक संत लाल यादव ने बताया कि हम ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते, लेकिन ऎसे कुछ मामले हमारे संज्ञान में हैं। यादव ने बताया कि महिला हमारे पास आई और पति पर नजर रखने के लिए हमारी मदद मांगी।
पहले कुछ दिनों तक वह चिल्लाता था और बार-बार नशीले पदार्थो और शराब की मांग करता था। हम दृढ़ बने रहे और उससे कहा कि वह अपनी लत छोड़ दे। एक पखवाड़े बाद नशे में उसकी दिलचस्पी खत्म होने लगी। रिहाई के समय वह एकदम बदला हुआ व्यक्ति था।
उन्होंने बताया, अब हमारे पास नशे की लत में फंसे कुछ युवा कैदी हैं। उन्हेंनशे से मुक्ति दिलाने के लिए परिवार के लोगों ने हमसे मदद मांगी है। यादव ने बताया कि सुधारक की तरह काम करना कानूनी कार्यवाही के दायरे से बाहर था, लेकिन अच्छा मानवतावादी प्रयास था।
उन्होंने कहा, हम खुश हैं कि परिणाम सकारात्मक हैंं और समाज के हित में हैं। उन्होंने कहा, अगर नशेड़ी व्यक्ति को नशीले पदार्थो और शराब से एक समय तक दूर रखा जाए, तो मुझे यकीन है कि परिणाम सकारात्मक होंगे। -
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