सोमवार, 24 मार्च 2014

अंधविश्वास लील गया 7 जिंदगी, 3 बच्चों की हत्या कर 4 ने की आत्महत्या

भुज। गुजरात के कच्छ की अंजार तहसील के निंगाल गांव में एक ही परिवार के चार जनों ने रविवार देर रात अपने तीन बच्चों की हत्या कर बाद में आत्महत्या कर ली। यह घटना आस-पास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बन गई है। सोमवार दोपहर को जब एक साथ 7 जनों की शवयात्रा निकली, तो पूरा गांव गमगीन हो उठा।अंधविश्वास लील गया 7 जिंदगी, 3 बच्चों की हत्या कर 4 ने की आत्महत्या
बच्चों को पिलाया था जहर

पुलिस के अनुसार आत्महत्या करने वालों में राधू काना आहिर (32), उसकी पत्नी लक्ष्मी (30), लखु काना (30) एवं उसकी पत्नी कंकु बेन (26) ने पहले शाश्वत लखु (4), प्राची लखु (5) तथा श्याम राधु काना (7) को विषाक्त पिलाकर मार दिया, बाद में चारों ने गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के समय मकान के सभी खिड़की-दरवाजे बंद कर दिए गए थे। रविवार रात ही घर के दरवाजे खुलवाए जाने पर घटना का खुलासा हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार तीनों बच्चों को विषाक्त पिलाया गया था, जबकि अन्य चारों की मौत दम घुटने से हुई।

राधे मां का भक्त था परिवार

गांव वालों ने बताया कि यह परिवार राधे मां (बरसाना) का भक्त था। हर दिन शाम को यह परिवार अपने घर के दरवाजे बंद कर लेता था और ढोल नगाडों की थाप पर राधे मां की भक्ति किया करता था। लोगों ने बताया कि गांव वालों के साथ इन लोगों का मिलना-जुलना नहीं के बराबर था।

रविवार शाम को जब इस घर से ढोल-नगाड़ों की आवाज नहीं आई तो गांव वालों को आश्चर्य हुआ और उन्होंने जांच की तो अंदर का दृश्य देख कर सभी चौंक उठे और पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने रविवार रात को ही बंद दरवाजे तोड़ कर सभी मृत देहों को बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

डेढ़ करोड़ रूपए किए थे दान

पुलिस जांच के अनुसार यह परिवार पिछले 3 वर्ष से राधे मां के सम्पर्क में आया था और इसके बाद गांव वालों से भी विशेष संबंध न रखने वाला यह केवल राधे मां की भक्ति में ही लीन रहता था। डेढ़ वर्ष पहले मृतक राधु भाई तथा लखुभाई ने अपनी पुश्तैनी जमीन भी डेढ़ करोड़ में बेच दी थी और रूपया बरसाना स्थित राधे मां के आश्रम को दान कर दिया था।

यह परिवार गांव का मकान भी बेच कर बरसाना आश्रम में रहने जाना चाहता था, लेकिन परिजनों के विरोध के चलते ऎसा नहीं हो सका। मृतक राधू भाई की अन्य दो पुत्री पायल (15) तथा सोनल (7) आदिपुर में पढ़ती हैं। इस परिवार ने उन्हें भी घर पर बुलवाया था, लेकिन स्कूल प्रशासन ने उन्हें छुट्टी देने से इनकार कर दिया था, इसलिए वे बच गई।

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