इंदौर। प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर की पुलिस जो करे सो कम है। हाल ही में एरोड्रम पुलिस थाने में ऎसा कारनामा हुआ जिसे सुनकर तो शायद बॉलीवुड की फिल्मों के लेखक भी अचरज में पड़ जाएं।
सुपर कॉरिडोर के पास के एक गांव में रहकर खेती करने वाले एक किसान को तीन पुलिसवालों ने पहले तो षड्यंत्र में उलझाया, फिर जब वह परेशान हो गया तो मुसीबत से उबारने के बहाने उससे 12 से 15 लाख रूपए झटक लिए।
एरोड्रम इलाके के पालाखेड़ी में रहने वाले एक किसान रतनसिंह को खेत पर दावत करने का शौक था। पिछले महीने की एक रात उसने शराब व कबाब की ऎसी ही एक दावत में कलाली के पास अहाता चलाने वाले व थाने के कुछ सिपाहियों को भी आमंत्रित किया था।
दावत में कुछ घंटे साथ रहने पर सिपाहियों को एहसास हुआ कि किसान कुछ रंगीन मिजाज का है। उस दावत के बाद तीन सिपाहियों ने अहाता संचालक के साथ मिलकर रतनसिंह से रूपए ऎंठने की योजना बनाई। जिसके तहत इलाके की ही मशहूर कॉल गर्ल के माध्यम से गांधी नगर की एक बस्ती में रहने वाली एक युवती को कुछ रूपए देकर किसान के पास पहुंचाया गया।
वहां रतनसिंह व उसके एक साथी ने युवती के साथ रंगरेलियां मनाई। अगले ही दिन उस युवती ने पुलिस थाने पर जाकर बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी।
युवती चूंकि आरक्षित वर्ग की थी इसके चलते एरोड्रम पुलिस ने अपराध क्र. 57- 2014 पर रतनसिंह व उमेश नामक युवक के खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज करते हुए मामला जांच के लिए एजेके थाने को सौंप दिया था। बताया गया है कि इस षड्यंत्र में रघुवंशी, जीतू व दीनदयाल की अहम भूमिका रही।
ऎसे फंसाया जाल में
अहाता संचालक व सिपाहियों को पहले से ही मालूम था कि केस दर्ज होने के कुछ ही दिन बाद रतनसिंह के परिवार में कोई मांगलिक कार्यक्रम होने वाला है। तब सिपाहियों ने लोकलाज से बचाने की पेशकश करते हुए 12 से 15 लाख रूपए की मांग रखी थी।
मरता क्या न करता... बेचारे किसान ने रूपए दे दिए तो इन्ही षड्यंत्रकारियों ने एजेके थाने व कोर्ट में ऎसी व्यवस्था जमा दी कि कथित बलात्कार की शिकार युवती ने कोर्ट में हलफनामा पेश करते हुए बताया कि बलात्कार में रतनसिंह शामिल नहीं था। तब उसे पुलिस कार्रवाई से बाहर किया गया। हाल ही में जब मामले की भनक लगी तो बड़े अफसरों ने इस पूरे घटनाक्रम की अपने स्तर पर पड़ताल शुरू की है। -
सुपर कॉरिडोर के पास के एक गांव में रहकर खेती करने वाले एक किसान को तीन पुलिसवालों ने पहले तो षड्यंत्र में उलझाया, फिर जब वह परेशान हो गया तो मुसीबत से उबारने के बहाने उससे 12 से 15 लाख रूपए झटक लिए।
एरोड्रम इलाके के पालाखेड़ी में रहने वाले एक किसान रतनसिंह को खेत पर दावत करने का शौक था। पिछले महीने की एक रात उसने शराब व कबाब की ऎसी ही एक दावत में कलाली के पास अहाता चलाने वाले व थाने के कुछ सिपाहियों को भी आमंत्रित किया था।
दावत में कुछ घंटे साथ रहने पर सिपाहियों को एहसास हुआ कि किसान कुछ रंगीन मिजाज का है। उस दावत के बाद तीन सिपाहियों ने अहाता संचालक के साथ मिलकर रतनसिंह से रूपए ऎंठने की योजना बनाई। जिसके तहत इलाके की ही मशहूर कॉल गर्ल के माध्यम से गांधी नगर की एक बस्ती में रहने वाली एक युवती को कुछ रूपए देकर किसान के पास पहुंचाया गया।
वहां रतनसिंह व उसके एक साथी ने युवती के साथ रंगरेलियां मनाई। अगले ही दिन उस युवती ने पुलिस थाने पर जाकर बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी।
युवती चूंकि आरक्षित वर्ग की थी इसके चलते एरोड्रम पुलिस ने अपराध क्र. 57- 2014 पर रतनसिंह व उमेश नामक युवक के खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज करते हुए मामला जांच के लिए एजेके थाने को सौंप दिया था। बताया गया है कि इस षड्यंत्र में रघुवंशी, जीतू व दीनदयाल की अहम भूमिका रही।
ऎसे फंसाया जाल में
अहाता संचालक व सिपाहियों को पहले से ही मालूम था कि केस दर्ज होने के कुछ ही दिन बाद रतनसिंह के परिवार में कोई मांगलिक कार्यक्रम होने वाला है। तब सिपाहियों ने लोकलाज से बचाने की पेशकश करते हुए 12 से 15 लाख रूपए की मांग रखी थी।
मरता क्या न करता... बेचारे किसान ने रूपए दे दिए तो इन्ही षड्यंत्रकारियों ने एजेके थाने व कोर्ट में ऎसी व्यवस्था जमा दी कि कथित बलात्कार की शिकार युवती ने कोर्ट में हलफनामा पेश करते हुए बताया कि बलात्कार में रतनसिंह शामिल नहीं था। तब उसे पुलिस कार्रवाई से बाहर किया गया। हाल ही में जब मामले की भनक लगी तो बड़े अफसरों ने इस पूरे घटनाक्रम की अपने स्तर पर पड़ताल शुरू की है। -
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