बाड़मेर दलित होने का अहसास करा रही सरकार छात्रावास के दलित छात्रो को
बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर शहर में स्थित समाज कल्याण विभाग के अनुसूचित जाति छात्रावास में बेइंतज़ामि इस कदर हावी हें कि वहा पढ़ रहे गिने चुने छात्रो को दलित होने का अहसास हो रहा हें। बाड़मेर जिला मुख्यालय के चौहटन रोड स्थित अनुसूचित जाति समाज कल्याण विभाग छात्रावास में मौजूदा वक्त ने नौ छात्र अध्ययनरत हें। इन छात्रो को खाना बनाने से लेकर पानी भरने ,कपडे धोने और छात्रावास कि सफाई करने का बोझ साथ में हें। कहने को सरकार इन्हे अध्ययन के लिए आवास और खाने कि सुविधा देने के लिए छात्रावास कि व्यवस्था कर राखी हें मगर हकीकर इसके विपरीत हें ,कभी यह छात्रावास सरसब्ज था ,एक सौ बीस अनुसूचित जाति के छात्र अध्ययनरत थे ,मगर छात्रावास में व्याप्त अव्यवस्थाओ के चलते धीरे धीरे छात्रो ने छात्रावास को अलविदा कह दिया। अब मौजूदा समय में मात्र नौ छात्र रह रहे हें जो सरकारी अव्यवस्थाओ का शिकार हो रहे हें। बजट के अभाव में छात्रावास में ना खाने कि व्यवथा हें ना वतदान कि ,जब संवाददाता मौके पर पहुंचे तो छात्र कच्चे चूल्हे पर लकडियो को फूंक देकर खाना बना रहे थे। छोटे छोटे मासूम अपना घर बार छोड़ इस आयशा के साथ छात्रावास में आये थे कि उन्हें अच्छा खाना और आवास मिलेगा ताकि अपनी पढ़ाई निर्विवाद कर सके। मगर सरकारी अनदेखी का शिकार हो रहे इस छात्रावास में बिजली कट जेन के कारण छात्र अँधेरे में रह रहे हें ,खाना पकाने वाली को लम्बे समय से पगार नहीं मिली तो उसने काम छोड़ दिया अब अपना खाना छात्र खुद बनाते हें ,गेस कि टंकी नहीं आने के कारण इधर उदासर से लकड़ियां काट कर लाते हें ताकि दो वक्त का चूल्हा जलाकर खाना पका सके। .साथ ही छात्रावास के झाड़ू पोंछे कि जिम्मेदारी इन मासूमों के कंधे पर आ पडी हें। छात्रावास में शौचालय कि सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें बाहर जाना पड़ता हें। छात्रावास का कोई धनि धोरी नहीं होने के कर बदहाल हो गया हें छात्रावास दलित होने के अभिशाप से मुक्ति के लिए छात्र अपना घर बार छोड़ शिक्षित होने के लिए इन छात्रावासो में प्रवेश लेते हें ताकि सरकारी सुविधाओ के बीच अपनी शिक्षा ग्रहण कर सके मगर उलटा इन्हे सरकारी अव्यवस्थाओ ने रोजमर्रा के कामो में उलझा दिया जिसके कारन छात्र दो वक्त कि रोटी ,और पानी कि व्यवस्थाओ में जूट रहते हें ,पढाई नाम मात्र नहीं होती थोडा वक्त रात को मिलता हें पढने का तो बिजली नहीं अँधेरे में कैसे पढ़े ,बहरहाल इन अनुसूचित जाती के छात्रावास के हालत बयान कर रहे हें सुशासन को
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