मुंबई। कहते हैं मुंबई सपनों का शहर है। जो खूबसूरत वादियों, समंदर और बॉलीवुड सितारों से सदा जगमगाता रहता है। पिछले साल मुंबई दर्शन करने का मौका मिला। गेटवे आफ इंडिया से बोट पर सवार होकर हमलोग एलिफेंटा की गुफा देखने के लिए आगे बढ़े। समंदर के बीच स्टीमर और कई बड़ी जहाजों को दूर छोड़ गतव्य को आगे बढ़ते हुए नजारों को देख मन में कई तस्वीर नजर आने लगी। समंदर के चारों ओर फैली हरयाली, प्रकृति के खूबसूरत नजारे, आसमान के आसमानी रंगे, अरब सागर की नीली लहरों से अठखेलियां करती पक्षियां। क्या प्राकृतिक नजारे थे। अरब सागर के नीली लहरों के छलकते पानी के बीच बर्फीली हवाओं का झोंका मन मनमोह लिया। एलिफेंटा गुफाएं इतिहास प्रेमियों के साथ ही देशी विदेशी पर्यटकों को भी समान रूप से आकर्षित करती हैं।
एलिफेंटा की गुफाएं कलात्मक कलाकूतियों की श्रृंखला है जो कि एलिफेंटा आईलैंड में स्थित है। इसं सिटी आफ केव्य कहा जाता है। मुंबई के गेटवे आफ इंडिया से लगभग 12 किमी की दूरी पर अरब सागर में स्थित यह छोटा सा टापू है। यहां सात गुफाएं बनी हुई है जिनमें से मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं। भगवान शिव के कई रूपों को उकेरा गया है। यहां भगवान शंकर की नौ बड़ी-बड़ी मूर्तियां हैं। शिल्प दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है। मूर्मिकला के ये नायाब नमूने को यूनेस्को विश्व धराहर की सूची में 1987 में शामिल किया गया।
इतिहास:-
एलिफेंटा गुफाओं का ऐतिहासिक महत्व है। चारों ओर से समुद्र से घिरा यह टापू कभी घरापुरी के नाम से जाना जाता था। इसके निमार्ण की सदी को लेकर विशषकों में मतभेद है और माना जाता है कि छठी से लेकर आठवीं शताब्दी के मध्य भारतीय शिल्पकला का नमूना एलिफेंटा की गुफाओं में देखा जा सकता है। गुफाओं को ठोस चट्टानों को तरासकर बनाया गया है। प्राचीन काल में पत्थरों को तराशकर खूबसूरत मूर्तियों को गढ़ने की समद्ध भारतीय शिल्पकला का नूमना एलिफेंटा की गुफाओं में आसानी से देखा जा सकता है हालांकि पुर्तगाली शासकों ने यहां की खूबसूरत मूर्तियों पर गोलियां बरसाकर उन्हें क्षतिग्रस्त करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी। पुर्तगालियों ने अपने लैंडिंग स्पेस के पास हाथी की विशालकाय मूर्ति को देखकर इस स्थान का नाम एलिफेंटा रखा, लेकिन 1814 में हाथी की मूर्ति क्षतिग्रस्त हो गई और बाद में इसे टुकड़ों में काट कर मुंबई के ब्कि्टोरिया गार्डन्स जू लेकर दोबारा से ले लगाया गया। इसके अलावा और भी कई हाथियों की बेशकीमती मूर्तियों को पुर्तगालियों द्वारा तोड़ा गया फिर क्षति पहुंचाई गई।
दर्शनीय:--
लगभग 60000 वर्ग फीट क्षेत्रफल में फैला गुफा मंदिर में एक बड़ा कक्ष ए दो पाश्र्र्व कक्ष एंव गलियारा है। मंदिर में प्रवेश के लिए तीन प्रवेश मार्ग बने हुए है। पूर्व, पश्चिम और उत्तर की ओर प्रवेश किया जा सकता है। प्रवेश द्वार सीधे एक हाल में खुलता है जहां पर शिव पुराण संबंधित द़श्य उकेरे गए हैं। इस हॉल की खासियत यह है कि यहां बहुत ही हल्कार प्रकाश रहता है जो कभी ज्यादा जो कभी कम हो जाता है। बताया जाता है प्रकाश के तेज और कम होन की वजह से यहां स्थित मर्तियों के चेहरे के भाव भी बदलते रहते हैं। हॉल में तकरीबन 30 स्तंभ है। यहां पश्चिम की ओर शिवलिंग बना हुआ है। यहां भगवान शंकर के विभिन्न रूपों तथा क्रियाओं को दशार्मी नौ बड़ी मर्तियां है जिसमें त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे आकर्षक है। इस मूर्ति की ऊंचाई 17 फुट है। इसके अलावा पंचमुखी परमेश्वर, अर्धनारश्वर, गंगाधर, शिव का भैरव रूप आदि मूर्तियां भी आकर्षित करती है। उत्तरी प्रवेश द्वार के पश्चिम की ओर नटराज और पूर्व की ओर योगीश्वर की मूर्ति है। एलिफेंटा विश्व धरोहर होने के साथ धार्मिक स्थल, खूबसूरत पर्यटक स्थल और पिकनिक स्पॉट भी है।
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