शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

बाड़मेर संकट में वन्य जीवन!दुर्लभ सफ़ेद हिरणो का जोड़ा था जो इन दिनों दिखाई नहीं दे रहा।

बाड़मेर । नर्मदा नहर का ओवरफ्लो पानी जहां किसानों के लिए अभिशाप बन रहा है, वहीं वन्य जीवन पर भी संकट खड़ा कर रहा है। जालोर व बाड़मेर सीमा पर जाखरड़ा की सरहद में वन विभाग की ओर से आरक्षित की गई करीब दो हजार बीघा भूमि में ओवरफ्लो का पानी भर गया है। ऎसे में वन्य जीवों का प्राकृत वास सिमटता जा रहा है। ऎसे में हर साल जहां बड़ी तादाद में वन्य जीव ओवरफ्लो पानी में डूबने से काल कलवित हो रहे हैं। हाल यह है कि स्वच्छंद विचरण के लिए अनुकूल वन क्षेत्र का दायरा भी सिमट रहा है।झाखराड़ा में पांच साल पहले दुर्लभ सफ़ेद हिरणो का जोड़ा था जो इन दिनों दिखाई नहीं दे रहा। संकट में वन्य जीवन!
पानी में डूबी वन्य चौकी

जाखरड़ा गांव की सरहद में वन्य जीवों की रक्षा के लिए वन विभाग की ओर से चौकी स्थापित की थी। साथ ही उनके पीने के पानी की व्यवस्था के लिए टांका भी बनाया था, लेकिन ओवरफ्लो में चौकी के साथ ही टांके भी पूरी तरह डूब गए।

पलायन को मजबूर

जाखरड़ा की सरहद में वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए करीब दो हजार बीघा जमीन को राज्य सरकार की ओर से आरक्षित किया गया था। ताकि वन्य जीव यहांस्वच्छंद विचरण करने के साथ ही संरक्षित हो सके, लेकिन करीब चार साल से इस जमीन पर नर्मदा का ओवरफ्लो पानी भरने से दलदली बनती जा रही है।
हाल यह है कि पूरी भूमि पानी से भर गई है। ऎसे में यहां से वन्य जीवों ने पूरी तरह पलायन कर दिया है। हालांकि इस चार साल में यहां बतख की तादाद में बढ़ोतरी जरूर हुई है।

सूचना दी है
वन विभाग की दो हजार से ज्यादा भूमि में बीते चार साल से नर्मदा का ओवरफ्लो का पानी भरा हुआ है। इस सम्बन्ध में उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई है।गेमराराम मेघवाल, क्षेत्रीय वन अधिकारी, धोरीमन्ना

भौतिक सत्यापन करावाएंगे
वन विभाग की भूमि यहां होने की जानकारी नहीं है। विभाग की ओर से इसका भौतिक सत्यापन करवाकर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। आर. के. सारण, मुख्य अभियन्ता, नर्मदा नहर सांचौर

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