शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

लापरवाह डाक्टर ने सांप के काटे मरीज को बताया ठीक,डेढ घण्टे बाद शुरू हुआ उपचार


लापरवाह डाक्टर ने सांप के काटे मरीज को बताया ठीक

विरोध करने पर परिजनों को अन्दर करने की दे डाली धमकी

करीब डेढ घण्टे बाद शुरू हुआ उपचार



बाड़मेर।

एक मरीज के लिए डाक्टर भगवान का रूप होता हैं । वहीं मरीज का विष्वास डाक्टर पर कायम रहे इसलिए डाक्टर पूरी र्इमानदारी के साथ उसका उपचार करते हैं। परन्तु शुक्रवार रात्रि करीब 12 बजें एक व्यकित को जब सांप ने काट लिया और उसको उपचार के लिए उसके परिजन राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर लाये तो वहां पहले करीब एक घण्टा उस मरीज को इधर से उधर भेजा गया । इस दौरान न तो उसका उपचार किया गया और न ही उसकी कोर्इ सुध ली गर्इ। काफी देर बाद मात्र उसके ब्लड का सेम्पल लेकर जांच का कहकर उसे बिठायें रखा उसके बाद सेम्पल देखकर उसे डाक्टर महिपाल चौधरी ने सामान्य बता डाला और घर जाने का कह दिया। इस दौरान मरीज के परिजनों ने डाक्टर को कहा कि साहब इसको सांप ने काटा हैं तो यह सामान्य कैसे हो सकता हैं फिर भी डाक्टर साहब ने कहा कि यह बिल्कुल ठीक हैं तब मरीज के परिजनों ने डाक्टर पर विष्वास करते हुए घर जाने के लिए बाहर निकले ही थे कि इस दौरान राजकीय चिकित्सालय में काम कर रहे उसके परिचित ने मरीज की हालत देख पुन: ब्लड की जांच करवार्इ। इस दौरान रक्त का थक्का नहीं जमने के कारण मरीज को सांप का काटना और जहर का होना बताया तो स्टाफ ने इस मामले को लेकर डाक्टर से बात की तो डाक्टर ने टयूब टेस्ट को देखकर मरीज को गंभीर बताते हुए तुरन्त भर्ती करवाने की बात कही तो इस बात को लेकर मरीज के परिजनों ने डाक्टर को खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि आपने तो उसे सामान्य बताकर घर जाने को कहा और अब इसे गंभीर बताकर भर्ती करने को कह रहे हैं तो पहले सही जांच क्यो नहीं की ? अगर हम मरीज को घर लेकर चले जाते तो कुछ अनहोनी हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता ? हम तो आप पर विष्वास करके घर जा रहे थे। वहीं यह बात सुनकर डाक्टर महिपाल चौधरी भड़क गये और मरीज के परिजनों को राजकीय कार्य में बाधा डालने के आरोप में अन्दर डालने की धमकी दे डाली अपनी गलती मानने के बजाय उल्टा मरीज के परिजनों को ही गुनहगार बनाकर धमका डाला। इस दौरान वहां तैनात नर्सिगकर्मियों ने मामले को शांत करवाते हुए मरीज नरेष कुमार का तुरन्त उपचार करवाने के लिए भर्ती करवानें को कहा इस दौरान करीब डेढ घण्टे बाद मरीज नरेष का उपचार राजकीय चिकित्सालय में किया गया। जहां दूसरे दिन भी उसका उपचार राजकीय चिकित्सालय में चल रहा हैं। वहीं इस घटना की जानकारी राजकीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी हेमंत कुमार सिंघल को दी गर्इ तो उन्होंने भी खानापूर्ति करते हुए अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया। वहीं राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत नर्सिग स्टाफ ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यह तो रोज का खेल हैं यहां पर न तो डाक्टर और न ही प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ऐसे मामले को गंभीरता से लेते हैं । मरीजों का क्या हाल होता होगा यह तो भगवान ही जाने !

जाओ कर दो, कलक्टर को षिकायत

इस मामले को लेकर जब मरीज के परिजनों ने डाक्टर महिपाल चौधरी को खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि आपको पहले सही जांच करनी चाहिए वरना व्यकित मर जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता ? इस पर डाक्टर साहब भड़क गये और उन्होंने कहा कि अगर हिम्मत है तो जाओं कलक्टर को षिकायत कर दो । मेरा कोर्इ कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ज्यादा किया तो आप सभी को राजकीय कार्य में बाधा डालने के आरोप में अन्दर टिका दूंगा।

डेढ घण्टे बाद हुआ उपचार

मरीज के भार्इ मनोज कुमार ने बताया कि उसके भार्इ को करीब 12 बजें राजकीय चिकित्सालय उपचार के लिए लाया गया जहां उस पहले नोरमल बताकर बिठा रखा और बाद में उसे गंभीर बताकर नाटकीय ढंग से करीब डेढ घण्टे बाद डाक्टरों ने उसका उपचार शुरू किया । इस दौरान उसके भार्इ की हालत गंभीर बनती गर्इ जो अभी तक चिकित्सालय में भर्ती हैं।

लापरवाही ले लेती जान

राजकीय चिकित्सालय में उपचार के लिए मरीज नरेष को लाया गया परन्तु डाक्टर महिपाल चौधरी ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जिसके चलते करीब डेढ घण्टे बाद उसका उपचार शुरू हुआ अगर मरीज के परिजन नहीं मिलते तो शायद डाक्टर की लापरवाही मरीज नरेष की जान ले लेती।

फिर भी खामोष हैं अधिकारी

राजकीय चिकित्सालय में मरीजों के साथ बतमीजी और इनका उपचार नहीं होना यह तो आम बात हो गर्इ हैं कर्इ बार डाक्टरों की लापरवाही की वजह से मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं वहीं शुक्रवार को डाक्टर महिपाल चौधरी की लापरवाही एक और मरीज की जान ले लेती। डाक्टर अपने कार्य के प्रति लापरवाह होने के बाजवूद भी चिकित्सा प्रषासन व जिला प्रषासन उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करने से दिनोदिन डाक्टरों के हौसले बुलन्द होते जा रहे हैं और वे खुल्ले आम मरीजों की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, फिर भी सब खामोष हैं।

इनका कहना

मेरे भार्इ नरेष को करीब 12 बजें सांप ने काट लिया था उसे राजकीय चिकित्सालय उपचार के लिए लाया गया जहां डाक्टर महिपाल चौधरी ने बिना जांच किये उसे नोरमल बताकर घर ले जाने को कहा इस दौरान हमें हमारे परिचित मिल गये जिन्हें हमने पूरी बात बतार्इ तब उन्होंने पुन: जांच कर मरीज को गंभीर बताया तब जाकर डाक्टर ने उसे भर्ती करने को कहा। हमनें डाक्टर को डेढ घण्टे पहले भर्ती क्यों नही किया इस बात को लेकर कहा तो डाक्टर ने हमें अन्दर टिकाने की धमकी दे डाली। जब हमने प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को सारी बात बतार्इ फिर भी डाक्टर के खिलाफ कोर्इ कार्यवाही नहीं हुर्इ। अगर थोड़ी और देर होती तो शायद मेरा भार्इ इस दुनिया में नहीं रहता। यह सब डाक्टर की लापरवाही का कारण होता।

मनोज कुमार मरीज का भार्इ

अभी उपचार चल रहा हैं

राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी देवेन्द्र भाटिया ने बताया कि अभी मरीज नरेष का उपचार चल रहा हैं उसकी ब्लड की जांच की गर्इ थी जिसमें सांप के काटने का जहर अभी भी हैं।

होगी जांच

राजकीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी हेमन्त कुमार सिंघल से इस सारे मामले को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच करवार्इ जाएगी। अगर डाक्टर दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

हेमन्त कुमार सिंघल

प्रमुख चिकित्सा अधिकारी

मिलकर बात करो

इस मामले को लेकर जब डाक्टर महिपाल चौधरी से बात की गर्इ तो उन्होंने कहा कि आप मेरे से मिलकर बात करो मैं फोन पर किसी चीज का जवाब नहीं दे सकता।

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