बाड़मेर।शिक्षा विभाग में विद्यालयों की मॉनिटरिंग, शिक्षकों के पदस्थापन व छात्र-शिक्षक अनुपात को लेकर अजीब स्थिति है। एक और जहां माध्यमिक विद्यालयों में केवल दो या तीन शिक्षक कार्यरत है। वहीं दूसरी इसी विभाग के अधीन ऎसे भी स्कूल है, जिनमें बारह विद्यार्थियों के लिए तीन-तीन शिक्षक नियुक्त है। वर्ष भर में इन शिक्षकों को मिलने वाले वेतन व इनसे लाभान्वित होने वाले विद्यार्थियों के बीच इतना असंतुलन हैकि खर्च होने वाली राशि से उन विद्यार्थियों को देश के किसी भी महंगे कॉन्वेण्ट स्कूल में आसानी से पढ़ाया जा सकता है।
शहर व कस्बों के निकट ही ऎसा
जिला मुख्यालय बाड़मेर, बालोतरा व पंचायत समिति मुख्यालयों एवं इनके ईर्द-गिर्द ऎसे दर्जनों विद्यालय है, जहां नामांकित विद्यार्थियों की संख्या पचास से भी कम है। उस पर संकट यह कि विद्यालय में जितने विद्यार्थी नामांकित है, उपस्थिति उसकी आधी अथवा उससे भी कम रहती है। सही मायने में ऎसे विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति के मामले में भी कागजी घोड़े ही दौड़ रहे हैं।
शिक्षकों की पहुंच के लिए सुविधाजनक इन विद्यालयों का संचालन कहने को तो जरूरतमंद विद्यार्थियों की सुविधा के लिए किया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि प्रभावशाली व पहुंच वाले शिक्षकों की नौकरी बिना किसी तकलीफ के चलती रहे, उस नाते ये विद्यालय चल रहे हैं।
एक विद्यार्थी पर तीन हजार खर्च
बाड़मेर शहर में हिन्दी व अंगे्रजी माध्यम ऎसा कोईविद्यालय नहीं है, जहां एक विद्यार्थी की फीस प्रतिमाह तीन हजार रूपए हो, लेकिन सरकारी खजाने में अनजाने ही सही, पर एक विद्यार्थी पर प्रतिमाह तीन हजार रूपए खर्च हो रहे हैं। जिन विद्यालयों में तीन-तीन शिक्षक है और छात्रों की उपस्थिति दस-पंद्रह है, वहां पर ऎसा ही हो रहा है। तीन तृतीय श्रेणी शिक्षकों की तनख्वाह, पोषाहार का खर्च जोड़ दिया जाए तो ऎसे विद्यालयों में प्रतिमाह नब्बे हजार से एक लाख रूपया खर्च हो रहा है।
20 से कम नामांकन हो तो बंद
जिन विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या बीस से कम हो, उन्हें अनार्थिक विद्यालय घोषित कर बंद करने का प्रावधान है,लेकिन संकट यह है कि शहरों व पंचायत समिति मुख्यालयों के भीतर व निकट स्थित ऎसे विद्यालयों में तिकड़म लगाकर नामांकन बीस से अधिक दर्शा दिया जाता है। ऎसा ही उपस्थिति के मामले में कर दिया जाता है। इन तिकड़मों के जरिए ये विद्यालय चल रहे हैं और जिम्मेदार आंखें मूंदे हुए हैं।
केस-1
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय बायतु के अधीन स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय उत्तरलाई में चौतीस विद्यार्थियों का नामांकन है। यहां नामांकित विद्यार्थियों की औसत उपस्थिति पंद्रह से भी कम रहती है। यहां पर तीन अध्यापक अध्यापिकाएं कार्यरत है। कईबार विद्यालय की स्थिति यह रहती है कि जितने शिक्षक हैं, उसके दुगुने विद्यार्थी ही विद्यालय पहुंचते हैं।
केस-2
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय बाड़मेर के अधीन स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय मोडली भाखरी में 31 विद्यार्थी नामांकित है। इनमें से बमुश्किल 13-14 विद्यार्थी विद्यालय आते हैं। यहां पर भी तीन शिक्षक कार्यरत है। शहर के भीतर स्थित इस विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के लिहाज से यह विद्यालय बेहद सुविधाजनक है और वे तबीयत से अपनी नौकरी कर रहे हैं।
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