नई दिल्ली। दिल्ली एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने छावला से अगवा की गई 19 वर्षीय लड़की के साथ हुए गैंगरेप मामले में तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है।
कोर्ट ने तीनों आरोपियों रवि (23), राहुल (27) और विनोद (23) को 13 फरवरी को दोषी ठहराया था। अदालत ने इसे "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" मामला मानते हुए दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।
दिल्ली पुलिस ने तीनों को अधिक से अधिक सजा दिए जाने की मांग की थी। पुलिस का कहना था कि घिनौना काम करने वालों के प्रति नरमी बरतने की कोई वजह नहीं है।
सरकारी वकील ने इसे "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" मामला बताते हुए अधिक से अधिक सजा देने की मांग की। सरकारी वकील दलील दी कि ट्रायल के दौरान आरोपियों ने जुर्म के प्रति किसी तरह का पश्चाताप नहीं दिखाया।
ऎसे में उनके सुधरने की कोई संभावना नजर नहीं आती, इसलिए उन्हें अधिक से अधिक सजा दी जाए। तीनों पीडिता के पड़ोसी हैं।
दिल्ली पुलिस ने भी मामले को `रेयरस्ट ऑफ रेयर` बताते हुए दोषियों के लिए फांसी की मांग की थी, जबकि बचावपक्ष ने उनकी उम्र और सामाजिक हालात देखते हुए उन्हें उम्रकैद सुनाने की अपील की थी।
दोषियों पर आईपीसी की धारा 376 (2), 302, 363 और 201 के तहत आरोप दर्ज किए गए थे। पीडिता के मां-बाप ने दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी।
यह मामला भी निर्भया कांड जैसा ही वहशियाना है। घटना फरवरी, 2012 की है, जब तीनों दोषियों ने दफ्तर से लौटते वक्त पीडिता को अगवा कर लिया था और गुड़गांव ले जाकर न सिर्फ उससे रेप किया, बल्कि उसके शरीर को सिगरेटों से दागा, शरीर पर बीयर की टूटी बोतल से चीरे लगाए, आंखों में एसिड डाला, गुप्तांगों को गर्म औजारों से जलाया और उसमें शराब की बोतल डाल दी।
उसके बाद इन तीनों आरोपियों ने पीडिता को रेवाड़ी में मरने के लिए छोड़ दिया। उसका परिवार करीब एक साल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर इंसाफ के लिए प्रदर्शन कर रहा था। इस प्रदर्शन में शामिल लोगों ने भी आरोपियों के लिए कड़ी सजा की मांग की थी।
कोर्ट ने तीनों आरोपियों रवि (23), राहुल (27) और विनोद (23) को 13 फरवरी को दोषी ठहराया था। अदालत ने इसे "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" मामला मानते हुए दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।
दिल्ली पुलिस ने तीनों को अधिक से अधिक सजा दिए जाने की मांग की थी। पुलिस का कहना था कि घिनौना काम करने वालों के प्रति नरमी बरतने की कोई वजह नहीं है।
सरकारी वकील ने इसे "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" मामला बताते हुए अधिक से अधिक सजा देने की मांग की। सरकारी वकील दलील दी कि ट्रायल के दौरान आरोपियों ने जुर्म के प्रति किसी तरह का पश्चाताप नहीं दिखाया।
ऎसे में उनके सुधरने की कोई संभावना नजर नहीं आती, इसलिए उन्हें अधिक से अधिक सजा दी जाए। तीनों पीडिता के पड़ोसी हैं।
दिल्ली पुलिस ने भी मामले को `रेयरस्ट ऑफ रेयर` बताते हुए दोषियों के लिए फांसी की मांग की थी, जबकि बचावपक्ष ने उनकी उम्र और सामाजिक हालात देखते हुए उन्हें उम्रकैद सुनाने की अपील की थी।
दोषियों पर आईपीसी की धारा 376 (2), 302, 363 और 201 के तहत आरोप दर्ज किए गए थे। पीडिता के मां-बाप ने दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी।
यह मामला भी निर्भया कांड जैसा ही वहशियाना है। घटना फरवरी, 2012 की है, जब तीनों दोषियों ने दफ्तर से लौटते वक्त पीडिता को अगवा कर लिया था और गुड़गांव ले जाकर न सिर्फ उससे रेप किया, बल्कि उसके शरीर को सिगरेटों से दागा, शरीर पर बीयर की टूटी बोतल से चीरे लगाए, आंखों में एसिड डाला, गुप्तांगों को गर्म औजारों से जलाया और उसमें शराब की बोतल डाल दी।
उसके बाद इन तीनों आरोपियों ने पीडिता को रेवाड़ी में मरने के लिए छोड़ दिया। उसका परिवार करीब एक साल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर इंसाफ के लिए प्रदर्शन कर रहा था। इस प्रदर्शन में शामिल लोगों ने भी आरोपियों के लिए कड़ी सजा की मांग की थी।
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