प्यार के लिए मिटे और हमेशा के लिए हो गए 'अमर' प्रेम कहानी शाहजहां मुमताज
शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम कहानी ने देश को ताज महल जैसी धरोहर दी है. शादी से पहले मुमताज अर्जुमंद बानो नाम से जानी जाती थीं. उनकी बेपनाह खूबसूरती से प्रभावित होकर शाहजहां ने उन्हें अपनी तीसरी बेगम बनाया था. निकाह के बाद उनका नाम मुमताज महल रखा गया, जिसका मतलब होता है महल का बेशकीमती नगीना.
अर्जुमंद बानो का 19 साल की उम्र में सन 1612 में शाहजहां से निकाल हुआ. अर्जुमंद शाहजहां की तीसरी पत्नी थी पर शीघ्र ही वह उनकी सबसे पसंदीदा पत्नी बन गईं. उनका निधन बुरहानपुर में 17 जून, 1631 को 14वीं संतान, बेटी गौहारा बेगम को जन्म देते वक्त हुआ. उनको आगरा में ताज महल में दफनाया गया.
शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम कहानी ने देश को ताज महल जैसी धरोहर दी है. शादी से पहले मुमताज अर्जुमंद बानो नाम से जानी जाती थीं. उनकी बेपनाह खूबसूरती से प्रभावित होकर शाहजहां ने उन्हें अपनी तीसरी बेगम बनाया था. निकाह के बाद उनका नाम मुमताज महल रखा गया, जिसका मतलब होता है महल का बेशकीमती नगीना.
अर्जुमंद बानो का 19 साल की उम्र में सन 1612 में शाहजहां से निकाल हुआ. अर्जुमंद शाहजहां की तीसरी पत्नी थी पर शीघ्र ही वह उनकी सबसे पसंदीदा पत्नी बन गईं. उनका निधन बुरहानपुर में 17 जून, 1631 को 14वीं संतान, बेटी गौहारा बेगम को जन्म देते वक्त हुआ. उनको आगरा में ताज महल में दफनाया गया.
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