जल ही जीवन है ,आओ इसे सहेजे : धनवन्ती
-मासूमो ने जाने जल संचय के उपाय ,मनभावन चित्रो ने दी बड़ी सीख
बाड़मेर ,जल ही जीवन है। इसके दुरुपयोग से बचना चाहिए। जल संरक्षण सभी का दायित्व है। अगर इसका संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती का सामना करना पडे़गा। युद्ध स्तर पर प्रयास करके कुएं एवं तालाब को बचाना होगा, ताकि वर्षा का जल भूमि में संचय हो सके। यह कहना है समजा सेविका धनवंती चौधरी का। वह सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग बाड़मेर द्वारा आयोजित चित्र प्रदर्शनी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थी।बच्चो को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब मानव अंतरिक्ष के बाहर जीवन के लक्षणों की तलाश करता है, तो सबसे पहले क्या देखता है? वह देखता है जल का अस्तित्व। किसी भी ग्रह में जल की उपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि वहां जीवन संभव है। जाहिर है कि जल का अर्थ जीवन है और जीवन का अर्थ जल। हमारी पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग जल में डूबा है, लेकिन इस जल का अधिकांश हिस्सा खारा है। 97 प्रतिशत जल समुद्र के रूप में है, जो पीने के योग्य नहीं है। सीसीडीयू के आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित ने बताया कि सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा आम जनता में चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से जागरूकता प्रदान कि जा रही है उसी क्रम में स्थानीय गौरव विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विधालय में चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमे विधलयी विधार्थियो को जल चेतना पर जानकारी प्रदान कि गई , सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग ने मनभावन पोस्टरो के माध्यम से बच्चो को जल संचय कि बड़ी जानकारी प्रदान की। इस मोके पर विधालय के प्रमुख हरीश मूढ़ ने बच्चो से कहा कि भूगर्भ जल निरंतर नीचे जा रहा है। इसको रोकने की आवश्यकता है। भूगर्भ जल की सुरक्षा हेतु पानी का उपयोग कम करना होगा। बच्चो को सम्बोधित करते हुए इन्वेस्ट मित्र के एमडी अरविन्द खत्री ने कहा कि भू जल कम है . बदलें शहरीकरण के कारण गहरे बोरवेलो के पानी की सतह बहुत नीचे पहुच गयी है उसका पोषण करना बहुत ज़रूरी हो गया है. इस अवशर पर सीसीडीयू के जमील अहमद गोरी ,भगाराम ,रमेश डारा ,प्रवीण प्रजापति ,पारूराम,भवरी चौधरी,मीनू देवी ने भी अपने विचार रखे।
बाड़मेर ,जल ही जीवन है। इसके दुरुपयोग से बचना चाहिए। जल संरक्षण सभी का दायित्व है। अगर इसका संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती का सामना करना पडे़गा। युद्ध स्तर पर प्रयास करके कुएं एवं तालाब को बचाना होगा, ताकि वर्षा का जल भूमि में संचय हो सके। यह कहना है समजा सेविका धनवंती चौधरी का। वह सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग बाड़मेर द्वारा आयोजित चित्र प्रदर्शनी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थी।बच्चो को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब मानव अंतरिक्ष के बाहर जीवन के लक्षणों की तलाश करता है, तो सबसे पहले क्या देखता है? वह देखता है जल का अस्तित्व। किसी भी ग्रह में जल की उपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि वहां जीवन संभव है। जाहिर है कि जल का अर्थ जीवन है और जीवन का अर्थ जल। हमारी पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग जल में डूबा है, लेकिन इस जल का अधिकांश हिस्सा खारा है। 97 प्रतिशत जल समुद्र के रूप में है, जो पीने के योग्य नहीं है। सीसीडीयू के आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित ने बताया कि सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा आम जनता में चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से जागरूकता प्रदान कि जा रही है उसी क्रम में स्थानीय गौरव विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विधालय में चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमे विधलयी विधार्थियो को जल चेतना पर जानकारी प्रदान कि गई , सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग ने मनभावन पोस्टरो के माध्यम से बच्चो को जल संचय कि बड़ी जानकारी प्रदान की। इस मोके पर विधालय के प्रमुख हरीश मूढ़ ने बच्चो से कहा कि भूगर्भ जल निरंतर नीचे जा रहा है। इसको रोकने की आवश्यकता है। भूगर्भ जल की सुरक्षा हेतु पानी का उपयोग कम करना होगा। बच्चो को सम्बोधित करते हुए इन्वेस्ट मित्र के एमडी अरविन्द खत्री ने कहा कि भू जल कम है . बदलें शहरीकरण के कारण गहरे बोरवेलो के पानी की सतह बहुत नीचे पहुच गयी है उसका पोषण करना बहुत ज़रूरी हो गया है. इस अवशर पर सीसीडीयू के जमील अहमद गोरी ,भगाराम ,रमेश डारा ,प्रवीण प्रजापति ,पारूराम,भवरी चौधरी,मीनू देवी ने भी अपने विचार रखे।
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