गुरुवार, 23 जनवरी 2014

गुरूवर्या श्री सुरंजना श्री जी का सीयाणी नगर प्रवेष सम्पन्न

गुरूवर्या श्री सुरंजना श्री जी का सीयाणी नगर प्रवेष सम्पन्न

उमड़ा श्रद्धालुओं का जन सैलाब

सीयाणी - थार नगरी के समीपवर्ती सीयाणी नगर में प्रथम बार दिक्षा मुमुक्षु पींकी छाजेड़ की श्री विचक्षण मणि, सौम्यामूर्ति, शान्त स्वभावी गुरूवर्या श्री सुरंजना श्री म.सा. आदि ठाणा के पावन सानिध्य में सम्पन्न आगामी 13 फरवरी को होगी। पूज्य गुरूवर्या श्री का आज सीयाणी नगर में भव्य नगर प्रवेष सम्पन्न हुआ।

भूरचंद छाजेड़ ने बताया कि पूज्य गुरूवर्या श्री सुरंजना श्री जी ने बाड़मेर से विहार कर मारूड़ी देरासर, हाथमा, क होते हुए आज प्रात: 11 बजे सियाणी नगर में प्रवेष किया। पूज्य गुरूवर्या श्री का पंचायत भवन पर बैण्ड बाजों, ढोल नगाड़ो, एवं सामैया द्वारा स्वागत किया गया। पूज्य गुरूवर्या श्री ने सामैया पर वासक्षेप डालकर मंगलचरण सुनाकर प्रवेष की शौभायात्रा रवाना हुर्इ। प्रवेष की शौभायात्रा में शहर के सुप्रसिद्ध बैण्ड अपनी मधुर स्वर लहरीयों बिखेरता हुआ वातावरण को धर्ममय बनाता हुआ चल रहा बाद में ढोल नगाड़ो, पुरूष वर्ग जयकारों के साथ आगे चल रहे थे। पिछे दीक्षार्थी पिंकी छाजेड़ एवं सम्बोधि बालिका मण्डल की बालिकाएं नृत्य करती हुर्इ पूज्य गुरूवर्या श्री के आगे चल रही थी बाद में गुरूवर्या अपनी साध्वी मण्डल के साथ बाद में मंगलकलष सिर पर धारण किये महिलाएं एवं मंगल गीत गाती महिलाएं चल रही थी। प्रवेष की शौभायात्रा पंचायत भवन से नगर में मुख्य मार्गो से होती हुर्इ आदिनाथ जिनालय दर्षन वंदन कर पास में कुषल विचक्षण नगर में धर्मसभा में परिवर्तित हुर्इ। शौभायात्रा का जगह-जगह अक्षत की गहुलियों से स्वागत एवं जगह-जगह बालक एवं बालिकाओं झूमते नृत्य करते हुए चल रहे थे। धर्मसभा में पूज्य गुरूवर्या श्री सुरंजना श्री के मुखारबिंद से मंगलाचरण से कार्यक्रम शुरू हुआ तत्पष्चात गुरूवंदना किया बाद में चौहटन जैन श्री संघ के अध्यक्ष मोहनलाल डोसी, कुषलवाटिका ट्रस्ट के मंत्री सम्पतराज बोथरा, ने विचार व्यक्त किये मुमुक्षु पिंकी छोजेड़ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आगामी दिक्षा महोत्सव पर आप सभी ज्यादा से ज्यादा पधारकर मुझे आर्षीवाद देवें। बाद में संबोधि बालिका मण्डाल स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वीवर्या श्री सिद्धाजंना श्री जी ने कहा कि जिस व्यकित ने मन का उपयोग करना सिख लिया वह व्यकित मन से परे स्वयं के चेतन्य जगत को प्राप्त कर लेता है मन का वातावरण अलग है मन यदि र्इन्द्रीयों से जुड़ता है शरीर से जुड़ता है संसार से जुड़ता है, बाहय आकर्षण से जुड़ता है तो वह नाना योनियों में भटकता है नाना विचारों में भटकता है मन यदि संसार से जुड़ता है तो वह भटकता और भटकाता है यदि सयमं से, निजी चेतना से जुड़ता है तो सिथर होता है और सिथर बनता है तो सिद्ध सिला पर सिथत हो जाता है। मुमुक्षु पींकी छाजेड़ की आगामी 13 फरवरी को दीक्षा है इस त्रिदिवसीय कार्यक्रम में आप अपनी भागीदारी निभाकर दिक्षा के कार्यक्रम को सफल बनावें। इस अवसर पर बाड़मेर,बिषाला, धोरिमन्ना, चौहटन, भादरेष, नवसारी, बालोतरा, जोधपुर, देवड़ा, रामसर, अहमदाबाद सहित कर्इ क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ा। मंच का सफल संचालन डा. बंषीधर तातेड़ ने किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें