मुजफ्फरनगर। जिले के एक गांव की खाप पंचायत ने फैसला किया है कि वह पुलिस को उन लोगों को गिरफ्तार नहीं करने देगी जो पिछले साल यहां हुए दंगों के दौरान हुए बलात्कार के पांच मामलों में कथित तौर पर संलिप्त पाए गए हैं।
फगुना गांव की घटवाला परिषद की खाप पंचायत की एक बैठक में यह फैसला किया गया। इस बैठक में हरियाणा के खाप प्रमुख चौधरी बलजीत सिंह ने भी हिस्सा लिया।
घटवाला परिषद के प्रमुख हरकिशन सिंह मलिक ने बताया कि पंचायत ने फैसला किया है कि वह पुलिस को गांव के अंदर आकर किसी भी आरोपी को गिरफ्तार करने की इजाजत नहीं देगी।
परिषद ने यह घोषणा भी किया है कि वह आगामी नौ फरवरी को सभी खाप परिषदों के प्रमुखों की गांव में एक बैठक बुलाएगी ताकि इस मामले पर विचार विमर्श किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर में पिछले साल हुए दंगों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल ने दंगों के दौरान हुए बलात्कार के इन मामलों के संबंध में 22 आरोपियों के नामों की सूची स्थानीय पुलिस को भेजी है और उन्हें गिरफ्तार करने को कहा है।
इनमें से एक वेदपाल की गत 24 जनवरी को हुई गिरफ्तारी के बाद स्थानीय लोगों और खाप सदस्यों ने विरोध किया था। पुलिस जब आरोपी को गिरफ्तार करने गांव में गई तो उसे इन लोगों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। पिछले साल सितंबर में हुए इन दंगों में साठ से ज्यादा लोग मारे गये थे और चालीस हजार से ज्यादा विस्थापित हुए थे।
फगुना गांव की घटवाला परिषद की खाप पंचायत की एक बैठक में यह फैसला किया गया। इस बैठक में हरियाणा के खाप प्रमुख चौधरी बलजीत सिंह ने भी हिस्सा लिया।
घटवाला परिषद के प्रमुख हरकिशन सिंह मलिक ने बताया कि पंचायत ने फैसला किया है कि वह पुलिस को गांव के अंदर आकर किसी भी आरोपी को गिरफ्तार करने की इजाजत नहीं देगी।
परिषद ने यह घोषणा भी किया है कि वह आगामी नौ फरवरी को सभी खाप परिषदों के प्रमुखों की गांव में एक बैठक बुलाएगी ताकि इस मामले पर विचार विमर्श किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर में पिछले साल हुए दंगों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल ने दंगों के दौरान हुए बलात्कार के इन मामलों के संबंध में 22 आरोपियों के नामों की सूची स्थानीय पुलिस को भेजी है और उन्हें गिरफ्तार करने को कहा है।
इनमें से एक वेदपाल की गत 24 जनवरी को हुई गिरफ्तारी के बाद स्थानीय लोगों और खाप सदस्यों ने विरोध किया था। पुलिस जब आरोपी को गिरफ्तार करने गांव में गई तो उसे इन लोगों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। पिछले साल सितंबर में हुए इन दंगों में साठ से ज्यादा लोग मारे गये थे और चालीस हजार से ज्यादा विस्थापित हुए थे।
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