नई दिल्ली। आखिर वही हुआ, जिसकी आशंका थी। चार राज्यों में करारी हार के बाद बदले हालात के मद्देनजर कांग्रेस ने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना उचित नहीं समझा।
एआईसीसी बैठक से ऎन पहले शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उनके नाम के ऎलान की मांग पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गिरा दी। सोनिया ने नाराजगी जताते हुए कहा, मैं इससे सहमत नहीं हूं।
पार्टी में चुनाव से पहले पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने की परम्परा भी नहीं रही। बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि मैं पार्टी का एक साधारण कार्यकर्ता हूं। जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाऊंगा।
बैठक के बाद तमाम अटकलों को विराम देते हुए राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने साफ किया गया, राहुल सिर्फ अभियान समिति के मुखिया की ही जिम्मेदारी निभाएंगे।
यानी अगले चुनाव में वे ही पार्टी का चेहरा होंगे और उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। पार्टी ने पिछले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले राहुल को देशभर में प्रचार अभियान की कमान सौंप दी थी।
संसद की एनेक्सी में हुई कार्यसमिति की बैठक में सोनिया और राहुल के अलावा मनमोहन सिंह समेत अधिकांश सदस्य, प्रदेश अध्यक्ष व कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए।
पीएम के रूप में अंतिम बार शामिल होंगे मनमोहन
मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप में अंतिम बार एआईसीसी बैठक में शामिल होंगे। एक प्रकार से एआईसीसी उन्हें विदाई देगी। वह खुद कह चुके हैं, वह अगली बार पीएम नहीं बनेंगे। ऎसे में उनका एआईसीसी भाषण कई मायनों में अहम हो जाएगा। वह अपने भाषण में राहुल को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की मांग भी कर सकते हैं। हालांकि यह सब सिर्फ संदेश देने के लिए होगा।
राहुल ही पीएम पद के उम्मीदवार : फर्नाडीज
कार्यसमिति की बैठक से ऎन पहले केंद्रीय मंत्री ऑस्कर फर्नाडीज ने गुरूवार को कहा, राहुल गांधी कांग्रेस के पीएम पद के उम्मीदवार होंगे। वह इसे स्वीकार करें या न करें, लेकिन वह हमारे पीएम पद के उम्मीदवार हैं। वह निश्चित रूप से इस जिम्मेदारी को स्वीकार करेंगे। ऎसा मेरा मानना है। बस शुक्रवार तक का इंतजार कीजिए। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में इसे लेकर कोई अंतर नहीं है। इस सवाल पर कि नेताओं के एकमत न होने के बावजूद उनके नाम की घोषणा कैसे की जा सकती है, फर्नाडीज बोले, यह किया जाना चाहिए।
अघोषित उम्मीदवार
कांग्रेस में नेहरू के समय से ही पीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा करने की परम्परा नहीं है। वर्ष 1973 के बाद से तो कभी आंतरिक चुनाव ही नहीं हुआ। इंदिरा गांधी 1959 में पार्टी अध्यक्ष बनीं और 1966 में प्रधानमंत्री। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें चुनाव से पहले पीएम पद की प्रत्याशी घोषित नहीं किया। इंदिरा ने 1984 तक पार्टी का कामकाज संभाला। उनके बाद उनके बेटे राजीव गांधी ने बिना किसी चुनाव के पार्टी का जिम्मा संभाल लिया और जब उनकी हत्या कर दी गई तो सोनिया गांधी पार्टी की कर्ताधर्ता बन गईं। उन्होंने पीएम पद ठुकराया, पर सरकार से ऊपर शीर्ष नेता बनी रहीं।
एआईसीसी बैठक से ऎन पहले शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उनके नाम के ऎलान की मांग पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गिरा दी। सोनिया ने नाराजगी जताते हुए कहा, मैं इससे सहमत नहीं हूं।
पार्टी में चुनाव से पहले पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने की परम्परा भी नहीं रही। बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि मैं पार्टी का एक साधारण कार्यकर्ता हूं। जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाऊंगा।
बैठक के बाद तमाम अटकलों को विराम देते हुए राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने साफ किया गया, राहुल सिर्फ अभियान समिति के मुखिया की ही जिम्मेदारी निभाएंगे।
यानी अगले चुनाव में वे ही पार्टी का चेहरा होंगे और उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। पार्टी ने पिछले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले राहुल को देशभर में प्रचार अभियान की कमान सौंप दी थी।
संसद की एनेक्सी में हुई कार्यसमिति की बैठक में सोनिया और राहुल के अलावा मनमोहन सिंह समेत अधिकांश सदस्य, प्रदेश अध्यक्ष व कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए।
पीएम के रूप में अंतिम बार शामिल होंगे मनमोहन
मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप में अंतिम बार एआईसीसी बैठक में शामिल होंगे। एक प्रकार से एआईसीसी उन्हें विदाई देगी। वह खुद कह चुके हैं, वह अगली बार पीएम नहीं बनेंगे। ऎसे में उनका एआईसीसी भाषण कई मायनों में अहम हो जाएगा। वह अपने भाषण में राहुल को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की मांग भी कर सकते हैं। हालांकि यह सब सिर्फ संदेश देने के लिए होगा।
राहुल ही पीएम पद के उम्मीदवार : फर्नाडीज
कार्यसमिति की बैठक से ऎन पहले केंद्रीय मंत्री ऑस्कर फर्नाडीज ने गुरूवार को कहा, राहुल गांधी कांग्रेस के पीएम पद के उम्मीदवार होंगे। वह इसे स्वीकार करें या न करें, लेकिन वह हमारे पीएम पद के उम्मीदवार हैं। वह निश्चित रूप से इस जिम्मेदारी को स्वीकार करेंगे। ऎसा मेरा मानना है। बस शुक्रवार तक का इंतजार कीजिए। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में इसे लेकर कोई अंतर नहीं है। इस सवाल पर कि नेताओं के एकमत न होने के बावजूद उनके नाम की घोषणा कैसे की जा सकती है, फर्नाडीज बोले, यह किया जाना चाहिए।
अघोषित उम्मीदवार
कांग्रेस में नेहरू के समय से ही पीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा करने की परम्परा नहीं है। वर्ष 1973 के बाद से तो कभी आंतरिक चुनाव ही नहीं हुआ। इंदिरा गांधी 1959 में पार्टी अध्यक्ष बनीं और 1966 में प्रधानमंत्री। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें चुनाव से पहले पीएम पद की प्रत्याशी घोषित नहीं किया। इंदिरा ने 1984 तक पार्टी का कामकाज संभाला। उनके बाद उनके बेटे राजीव गांधी ने बिना किसी चुनाव के पार्टी का जिम्मा संभाल लिया और जब उनकी हत्या कर दी गई तो सोनिया गांधी पार्टी की कर्ताधर्ता बन गईं। उन्होंने पीएम पद ठुकराया, पर सरकार से ऊपर शीर्ष नेता बनी रहीं।
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