बाड़मेर में साउंड सिस्टम पतंगबाजी हुई
छगन सिंह द्वारा
बाड़मेर में मकर संक्रांति का दिन। एक ओर जहां तिल-गुड़ की मिठास घुली वहीं पतंगबाजी भी जमकर हुई। पतंगबाजी के इस खास दिन खूब पेंच लड़े। छतों से लेकर मैदान में साउंड सिस्टम और माइक की व्यवस्था भी कर ली गई थी। जैसे ही पतंग कटी नहीं कि गूंज उठा 'काटा है.। शहर में पतंगबाजी का खासा माहौल था। पतंग उड़ाने के लिए लोगों को सालभर से जिस दिन का इंतजार था वह मंगलवार को जैसे पूरा हो गया। सुबह से ही आसमान में पतंग ही पतंग दिखाई दे रही थी। कहां और किस जगह से पतंग उड़ाना है इसकी जगह भी तय कर ली गई थी। छतों से लेकर मैदान तक लोग पतंग उड़ाई। पेंच हुए और पतंग कटी नहीं की गूंज उठा, काटा है.। लंबे समय तक पतंग को कोई काट नहीं पाए इसके लिए खासी तैयारियां की गई थी कई लोगों ने खड़े रहकर मांजा सूतवाया तो ज्यादातर का भरोसा साकल तोड़, मीनार और बरेली पर था। खूब चली चाइना की डोर: पतंग की दुकानों पर खरीदी के लिए लोगों की खासी भीड़ रही। इक्कने, दुवन्ने, परियल, चौपड़ सहित अन्य वैराइटी की पतंगें और मांजे की जमकर खरीदी की। बाजार में भी इस बार पतंग-मांजे की तरह-तरह की वैराइटी मौजूद है। दुकानों में बाड़मेर के अलावा अहमदाबाद से 'चिल छतरी सहित विभिन्न वैराइटी की बड़ी-बड़ी फैंसी पतंगें भी मार्केट में है। नायलोन (चाइन) की डोर आदि की भी खासी मांग थी।
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