जोधपुर।जोधपुर की केन्द्रीय कारागार के जेलर भारत भूषण भट्ट की हत्या के करीब तीन वर्ष पुराने चर्चित मामले में सेशन अदालत ने मुख्य आरोपी को हत्या का दोष्ाी माना है। अदालत ने तीन अन्य सहआरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
प्रकरण के अनुसार 18 सितम्बर 2010 को जोधपुर जेल में ही एक कैदी नरेन्द्र ने चाकू मारकर जेलर भारत भूषण भट्ट की हत्या कर दी थी। पुलिस ने नरेन्द्र के अलावा जेल में बंद अन्य आरोपी राजन, विकास उर्फ विक्की और संतोष को भी आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने पर उनके खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-बी के तहत आरोप पत्र पेश किया था।
सुनवाई के बाद सेशन न्यायाधीश (जोधपुर जिला) मनोज कुमार व्यास ने तीनों सहआरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया, लेकिन मुख्य आरोपी नरेन्द्र को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या करने का दोषी माना। सजा के बिन्दु पर शनिवार को बहस होगी। उसके बाद उसकी सजा का निर्धारण होगा।
राजन व विकास की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोड़ा व सुषमा धारा तथा अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक लादाराम विश्नोई ने पैरवी की।
जेलर की हत्या के आरोपियों को सजा नहीं दिला पाई पुलिस
देश की सबसे सुरक्षित जेलों में शुमार होने वाली जोधपुर सेन्ट्रल जेल में कैदी ने ही साढ़े तीन वर्ष पहले चाकू घोंपकर जेलर भारत भूषण भट्ट की हत्या कर दी। जेल परिसर में पुलिस अधिकारी की हत्या से न केवल पुलिस महकमा बल्कि आमजन भी स्तब्ध रह गया था। पुलिस ने मुख्य आरोपी सहित पांच जनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया था। जिसमें पुलिस ने चार शातिर अपराधियों को हत्या की साजिश में शामिल माना था, लेकिन जांच में कमी के चलते कोर्ट ने इन तीन को दोषी नहीं माना और संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। हालांकि अदालत ने अभी तक सजा नहीं सुनाई है, लेकिन इस निर्णय को पुलिस की बड़ी विफलता माना जा रहा है।
गर्दन में घोंपा था चाकू
गौरतलब है कि 18 सितम्बर 2010 की शाम तत्कालीन जेलर भारत भूषण भट्ट जेल में बंदियों की गिनती कर वार्ड में भिजवा रहे थे। इस दौरान वे जेल की भोजनशाला के पास कुर्सी पर बैठे थे। तभी हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे यूपी निवासी नरेन्द्र सिंह जाट उर्फ मुकेश ने भट्ट की गर्दन के दाहिनें हिस्से में चाकू से वार कर दिया। चाकू गर्दन में ही फंस गया। अत्यधिक रक्त बहने से भट्ट वहीं गिरकर बेहोश हो गए। जेल प्रहरी व कैदी ने मिलकर गर्दन में फंसे चाकू को बाहर निकाला। फिर उन्हें महात्मा गांधी अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी।
कहां से आया चाकू?
जेल के तत्कालीन उपाधीक्षक मुकेश उपाध्याय की रिपोर्ट पर रातानाडा थाने में हत्या का मामला दर्ज कर तत्कालीन वृत्ताधिकारी (पूर्व) अनंत कुमार ने जांच शुरू की थी। वारदात की रात को ही मुख्य आरोपी नरेन्द्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में गौरव अपहरण काण्ड में सजा काट रहे अमृतसर निवासी विकास उर्फ विक्की व उसके भाई राजन तथा मित्र की हत्या के मामले में जेल में बंद भवाद निवासी संतोष विश्Aोई को साजिश में सह आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया गया था। जांच अधिकारी ने नरेन्द्र को मुख्य आरोपी व शेष को सह आरोपी मानते हुए चालान पेश किया था।
जांच के दौरान पुलिस यह पता नहीं लगा पाई कि वारदात में प्रयुक्त चाकू जेल में कैदी तक कैसे पहुंचा? किसने यह चाकू वहां तक पहुंचाया? चाकू जेल में कैदी तक पहुंचाने वाले होमगार्ड या प्रहरी को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए था। जांच में कई सारे प्रश्न भी अनुत्तरित रह गए। जिनका खुलासा नहीं हो पाया।
फिर की हत्या
मुख्य आरोपी यूपी में जाहीगराबाद थानान्तर्गत खालौर निवासी नरेन्द्र सिंह उर्फ मुकेश पुत्र ब्रह्मसिंह ने वर्ष 2006 में जयपुर के रामगंज क्षेत्र में हत्या की थी। फास्ट ट्रैक अदालत ने 14 अगस्त 2007 को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जयपुर जेल में शिकायतों के चलते उसे पहले बीकानेर व फिर यहां जोधपुर जेल स्थानान्तरित किया गया था, लेकिन यहां भी जेलर से मनमुटाव व रंजिश के चलते हत्या कर डाली थी।
ये हो गए बरी
विकास उर्फ विक्की तथा राजन
वर्ष 2003 में फिरौती के लिए जोधपुर में गौरव नामक बालक का अपहरण कर लिया गया था। इस मामले में अमृतसर निवासी विकास उर्फ विक्की व उसके भाई राजन, मां तथा परिचित महेन्द्र सिंह उर्फ हैप्पी को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने इन चारों को सजा सुनाई थी। जो अभी भी जोधपुर जेल में सजा काट रहे हैं।
संतोष विश्Aोई
नागौर रोड पर भवाद गांव निवासी संतोष विश्Aोई अपने ही मित्र की हत्या के मामले में जेल में बंद है। उस पर कुछ अन्य मामले भी दर्ज हैं।
प्रकरण के अनुसार 18 सितम्बर 2010 को जोधपुर जेल में ही एक कैदी नरेन्द्र ने चाकू मारकर जेलर भारत भूषण भट्ट की हत्या कर दी थी। पुलिस ने नरेन्द्र के अलावा जेल में बंद अन्य आरोपी राजन, विकास उर्फ विक्की और संतोष को भी आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने पर उनके खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-बी के तहत आरोप पत्र पेश किया था।
सुनवाई के बाद सेशन न्यायाधीश (जोधपुर जिला) मनोज कुमार व्यास ने तीनों सहआरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया, लेकिन मुख्य आरोपी नरेन्द्र को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या करने का दोषी माना। सजा के बिन्दु पर शनिवार को बहस होगी। उसके बाद उसकी सजा का निर्धारण होगा।
राजन व विकास की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोड़ा व सुषमा धारा तथा अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक लादाराम विश्नोई ने पैरवी की।
जेलर की हत्या के आरोपियों को सजा नहीं दिला पाई पुलिस
देश की सबसे सुरक्षित जेलों में शुमार होने वाली जोधपुर सेन्ट्रल जेल में कैदी ने ही साढ़े तीन वर्ष पहले चाकू घोंपकर जेलर भारत भूषण भट्ट की हत्या कर दी। जेल परिसर में पुलिस अधिकारी की हत्या से न केवल पुलिस महकमा बल्कि आमजन भी स्तब्ध रह गया था। पुलिस ने मुख्य आरोपी सहित पांच जनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया था। जिसमें पुलिस ने चार शातिर अपराधियों को हत्या की साजिश में शामिल माना था, लेकिन जांच में कमी के चलते कोर्ट ने इन तीन को दोषी नहीं माना और संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। हालांकि अदालत ने अभी तक सजा नहीं सुनाई है, लेकिन इस निर्णय को पुलिस की बड़ी विफलता माना जा रहा है।
गर्दन में घोंपा था चाकू
गौरतलब है कि 18 सितम्बर 2010 की शाम तत्कालीन जेलर भारत भूषण भट्ट जेल में बंदियों की गिनती कर वार्ड में भिजवा रहे थे। इस दौरान वे जेल की भोजनशाला के पास कुर्सी पर बैठे थे। तभी हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे यूपी निवासी नरेन्द्र सिंह जाट उर्फ मुकेश ने भट्ट की गर्दन के दाहिनें हिस्से में चाकू से वार कर दिया। चाकू गर्दन में ही फंस गया। अत्यधिक रक्त बहने से भट्ट वहीं गिरकर बेहोश हो गए। जेल प्रहरी व कैदी ने मिलकर गर्दन में फंसे चाकू को बाहर निकाला। फिर उन्हें महात्मा गांधी अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी।
कहां से आया चाकू?
जेल के तत्कालीन उपाधीक्षक मुकेश उपाध्याय की रिपोर्ट पर रातानाडा थाने में हत्या का मामला दर्ज कर तत्कालीन वृत्ताधिकारी (पूर्व) अनंत कुमार ने जांच शुरू की थी। वारदात की रात को ही मुख्य आरोपी नरेन्द्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में गौरव अपहरण काण्ड में सजा काट रहे अमृतसर निवासी विकास उर्फ विक्की व उसके भाई राजन तथा मित्र की हत्या के मामले में जेल में बंद भवाद निवासी संतोष विश्Aोई को साजिश में सह आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया गया था। जांच अधिकारी ने नरेन्द्र को मुख्य आरोपी व शेष को सह आरोपी मानते हुए चालान पेश किया था।
जांच के दौरान पुलिस यह पता नहीं लगा पाई कि वारदात में प्रयुक्त चाकू जेल में कैदी तक कैसे पहुंचा? किसने यह चाकू वहां तक पहुंचाया? चाकू जेल में कैदी तक पहुंचाने वाले होमगार्ड या प्रहरी को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए था। जांच में कई सारे प्रश्न भी अनुत्तरित रह गए। जिनका खुलासा नहीं हो पाया।
फिर की हत्या
मुख्य आरोपी यूपी में जाहीगराबाद थानान्तर्गत खालौर निवासी नरेन्द्र सिंह उर्फ मुकेश पुत्र ब्रह्मसिंह ने वर्ष 2006 में जयपुर के रामगंज क्षेत्र में हत्या की थी। फास्ट ट्रैक अदालत ने 14 अगस्त 2007 को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जयपुर जेल में शिकायतों के चलते उसे पहले बीकानेर व फिर यहां जोधपुर जेल स्थानान्तरित किया गया था, लेकिन यहां भी जेलर से मनमुटाव व रंजिश के चलते हत्या कर डाली थी।
ये हो गए बरी
विकास उर्फ विक्की तथा राजन
वर्ष 2003 में फिरौती के लिए जोधपुर में गौरव नामक बालक का अपहरण कर लिया गया था। इस मामले में अमृतसर निवासी विकास उर्फ विक्की व उसके भाई राजन, मां तथा परिचित महेन्द्र सिंह उर्फ हैप्पी को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने इन चारों को सजा सुनाई थी। जो अभी भी जोधपुर जेल में सजा काट रहे हैं।
संतोष विश्Aोई
नागौर रोड पर भवाद गांव निवासी संतोष विश्Aोई अपने ही मित्र की हत्या के मामले में जेल में बंद है। उस पर कुछ अन्य मामले भी दर्ज हैं।
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