नई दिल्ली। समलैंगिकता को अपराध करार देने वाले भारतीय कानून को केन्द्र सरकार बदले जा रही है। सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के अनुसार सरकार ने इसके लिए अध्यादेश लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए जल्द ही सरकार सर्वदलीय बैठक भी बुला सकती है।।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को भारतीय कानून के मुताबिक अपराध करार दिया था। इसके बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई। गुरूवार दोपहर को यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया में कोर्ट के फैसले को निराशाजनक बताया था।
उधर,भारतीय जनता पार्टी की सुषमा स्वराज ने कहा है कि धारा -377 के बारे में भाजपा सही समय और स्थान पर अपना पक्ष रखेगी। यदि संसद कानून बदला चाहती है तो बदले। बता दें कि सुषमा के बयान से पूर्व कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी से धारा-377 पर अपना पक्ष रखने को कहा था।
इसलिए माना समलैंगिक संबंधों को जुर्म
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-377 के तहत सहमति से भी बनाए गए समलैंगिक संबंधों को जुर्म माना गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में धारा-377 जो वयस्कों में सहमति से समलैंगिक सम्बंध बनाने को अपराध मानती है, उसे सही ठहराया है। धारा-377 मानती है कि ऎसे सम्बंध मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हैं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एपी शाह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आपसी सहमति से वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने का आदेश दिया था।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को भारतीय कानून के मुताबिक अपराध करार दिया था। इसके बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई। गुरूवार दोपहर को यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया में कोर्ट के फैसले को निराशाजनक बताया था।
उधर,भारतीय जनता पार्टी की सुषमा स्वराज ने कहा है कि धारा -377 के बारे में भाजपा सही समय और स्थान पर अपना पक्ष रखेगी। यदि संसद कानून बदला चाहती है तो बदले। बता दें कि सुषमा के बयान से पूर्व कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी से धारा-377 पर अपना पक्ष रखने को कहा था।
इसलिए माना समलैंगिक संबंधों को जुर्म
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-377 के तहत सहमति से भी बनाए गए समलैंगिक संबंधों को जुर्म माना गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में धारा-377 जो वयस्कों में सहमति से समलैंगिक सम्बंध बनाने को अपराध मानती है, उसे सही ठहराया है। धारा-377 मानती है कि ऎसे सम्बंध मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हैं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एपी शाह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आपसी सहमति से वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने का आदेश दिया था।
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