श्रीनगर। जम्मू एव कश्मीर में पिछले दो दशकों से चले आ रहे आतंकवाद के दौर में जिन महिलाओं के पति लापता हो गए हैं उनकी पत्नियां अब पुनर्विवाह कर सकेंगी।
यह फैसला राज्य के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं ने लिया है। ज्ञात रहे कि बीते दो दशकों से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का दौर जारी है और यहां कई महिलाएं ऎसी हैं जिनके पति लापता हैं।
ये महिलाएं काफी बुरे दौर से गुजर रही हैं और ताजा फैसला इन्हीं की स्थितियों को देखते हुए लिया गया है।
फतवा आएगा जल्द
लापता लोगों की पत्नियों की दुर्दशा पर विचार व समस्या को हल करने का जिम्मा "अहसास" सामाजिक संस्था ने उठाया है। संस्था ने प्रमुख मौलानाओं को विचार को बुलाया।
गुरूवार को समाप्त विचार गोष्ठी के अंत में अंजुमन-ए-नुसरतुल के मोहम्मद सईद उर रहमान शम्स ने कहा, इस बारे में विस्तार से फतवा जल्द जारी होगा।
उलेमाओं ने कहा, जिनके पति चार साल से लापता हैं या कोई खोज खबर नहीं है, वह पुनर्विवाह करना चाहती हैं तो वो ऎसा कर सकती हैं इनकी संपत्ति से जुड़े विवादों को भी इस्लामिक कानून के हिसाब से सुलझाया जा सकेगा।
यह फैसला राज्य के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं ने लिया है। ज्ञात रहे कि बीते दो दशकों से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का दौर जारी है और यहां कई महिलाएं ऎसी हैं जिनके पति लापता हैं।
ये महिलाएं काफी बुरे दौर से गुजर रही हैं और ताजा फैसला इन्हीं की स्थितियों को देखते हुए लिया गया है।
फतवा आएगा जल्द
लापता लोगों की पत्नियों की दुर्दशा पर विचार व समस्या को हल करने का जिम्मा "अहसास" सामाजिक संस्था ने उठाया है। संस्था ने प्रमुख मौलानाओं को विचार को बुलाया।
गुरूवार को समाप्त विचार गोष्ठी के अंत में अंजुमन-ए-नुसरतुल के मोहम्मद सईद उर रहमान शम्स ने कहा, इस बारे में विस्तार से फतवा जल्द जारी होगा।
उलेमाओं ने कहा, जिनके पति चार साल से लापता हैं या कोई खोज खबर नहीं है, वह पुनर्विवाह करना चाहती हैं तो वो ऎसा कर सकती हैं इनकी संपत्ति से जुड़े विवादों को भी इस्लामिक कानून के हिसाब से सुलझाया जा सकेगा।
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