मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि पिता की मृत्यु के बाद विवाहित बेटियां भी सहानूभूति के आधार पर मिलने वाली सरकारी नौकरी के लिए बराबर की हकदार है।
कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की अविवाहित बेटियों को नौकरी देना और विवाहित बेटियों को इस लाभ से वंचित करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
कोर्ट ने यह फैसला 29 वर्षीय स्वाति कुलकर्णी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सिंचाई विभाग ने कुलकर्णी के दावे को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने पिता की मौत के बाद सहानुभूति के आधार पर मिलने वाली नौकरी के लिए दावा पेश किया था।
विभाग ने इसके पीछे 1994 के सरकारी रेज्योलूशन का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि केवल अविवाहित बेटियां ही अनुकंपा के आधार पर मिलने वाली नौकरी की हकदार होगी।
याचिकाकर्ता के पिता अशोक कुलकर्णी की 2008 में मौत हो गई थी। स्वाति की मां और छोटी बहन ने नौकरी लेने से अनिच्छा जाहिर की। लिहाजा स्वाति कुलकर्णी ने दावेदारी जताई।
कुलकर्णी का नाम पहले प्रतीक्षा सूची में था। लेकिन शादी के बाद उनका नाम हटा दिया गया। इसके बाद कुलकर्णी ने सिंचाई विभाग के निर्मय को हाईकोर्ट में चैलेंज किया।
न्यायाधीश एससी धर्माधिकारी और रेवती मोहिते ने सिंचाई विभाग के निर्णय को खारिज करते हुए कुलकर्णी का नाम प्रतीक्षा सूची में जोड़ने को कहा है।
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