मुम्बई। बंबई हाईकोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक जीवन में यौन संबंध महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और किसी अन्य कारणों से इसका पृथक्करण नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश वीके ताहिलरमानी और वीएल अचिल्या की खंडपीठ ने बुधवार को एक व्यकित को पत्नी से तलाक लेने की अनुमति देने के पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए इस फैसले के खिलाफ पत्नी की याचिका खारिज कर दी।
पति ने पत्नी पर शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि ऎसा करके पत्नी उसके साथ मानसिक क्रूरता कर रही है। इस दम्पती का वर्ष 2005 में मुम्बई में हिन्दू वैदिक रीति से विवाह हुआ था। पति ने आरोप लगाया कि हनीमून के दौरान ही उसकी पत्नी ने छोटे-छोटे मामलों को लेकर उससे झगड़ा किया और शारीरिक संबंध बनाने में उसके साथ सहयोग नहीं किया।
किसी न किसी बहाने से पत्नी यौन संबंध बनाने से इनकार करती रही। महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति के विवाहेतर संबंध हैं लेकिन न्यायालय में वह इसका प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाई।
पति ने पत्नी पर शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि ऎसा करके पत्नी उसके साथ मानसिक क्रूरता कर रही है। इस दम्पती का वर्ष 2005 में मुम्बई में हिन्दू वैदिक रीति से विवाह हुआ था। पति ने आरोप लगाया कि हनीमून के दौरान ही उसकी पत्नी ने छोटे-छोटे मामलों को लेकर उससे झगड़ा किया और शारीरिक संबंध बनाने में उसके साथ सहयोग नहीं किया।
किसी न किसी बहाने से पत्नी यौन संबंध बनाने से इनकार करती रही। महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति के विवाहेतर संबंध हैं लेकिन न्यायालय में वह इसका प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाई।
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