जैसलमेर। अब किसी भी अपराधी की समीक्षा व चालान अवधि के बारे में पुलिस महकमे के उच्चाधिकारी आसानी से पता लगा सकेंगे। यही नहीं पुलिस के पास फींगर प्रिंट स्टोर होने से यदि अपराधी अपना हुलिया भी बदल ले तो भी वह पकड़ में आ जाएगा। इसके साथ-साथ आमजन घर बैठे ऑनलाइन अपने केस अनुसंधान अधिकारी व केस प्रगति की जानकारी ले सकेगा। यदि पुलिस प्रशासन की ओर से जैसलमेर मे यह प्रयास रंग लाए तो पुलिस महकमे की कार्य करने की क्षमता निखरेगी, वहीं कार्यशैली मे भी पारदर्शिता देखने को मिलेगी।
गौरतलब है कि शीघ्र ही देश के सभी थानों को ऑनलाइन किए जाने की कड़ी मे जैसलमेर जिले के सभी थानो को भी हाइटेक बनाने की योजना को मूर्त रूप दिए जाने की कवायद चल रही है। इसके तहत उपकरण आ गए हैं और संबंधित कार्मिको को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। प्रयास यही किया जा रहा है कि जल्द ही इसको मूर्त रूप दिया जा सके।
पुलिस का मानना है विषम भौगोलिक परिस्थितियो के कारण दूरभाष व इंटरनेट संबंधी खामियां दूर कर लिए जाने के बाद सरहदी जैसलमेर मे यह सुविधा लागू हो सकेगी। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के सीसीटीएनएस, क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम प्रोजेक्ट से देश के सभी थाने एक-दूसरे से जोड़े जाने की योजना है।
हर थाने मे रहेगी अपराधियो की कुंडली
देश के किसी भी थाने की पुलिस अपराधियो क ी हिस्ट्रीशीट देख सकेगी। सीसीटीएनएस का सॉफ्टवेयर देश की जानी मानी आईटी कम्पनी ने करीब बीस करोड़ रूपए की लागत से तैयार किया है। इसकी मदद से अपराधियो के अपराधी की प्रवृत्ति, अपराध करने के तरीके का फीड किया जाएगा। अपराधियो के फोटो, उनके पैतृक निवास व रिश्तेदारों की बायोग्राफी, हिस्ट्रीशीट आदि की फीडिंग भी की जाएगी।
ऑनलाइन हो जाएगा समूचा रिकार्ड
इस प्रोजेक्ट के लागू होने से देश के सभी थाने एक-दूसरे से जुड़ जाएंगे और किसी भी अपराधी का पूरा ब्यौरा देश में किसी भी थाने में एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाएगा। हाइटेक होने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि प्राथमिकी ऑनलाइन होते ही पुलिस को हर हालत में उसे स्वीकार कर संबंधित पीडित पक्ष को जवाब देना होगा। इसके अलावा वर्ष 2001 से डेटा फीड होने से पुलिस को पुराना रिकार्ड भी सहजता से उपलब्ध हो सकेगा।
इन्होने कहा
सरहदी जैसलमेर जिले के सभी थानो को एक-दूसरे से जोड़ने की यह बेहतर योजना है। जैसलमेर मे इसके क्रियान्वयन के लिए उपकरण आ गए हैं और संबंधित कार्मिको को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इंटरनेट व दूरभाष संबंधी बाधाओ के दूर होते ही सभी थानो का एक-दूसरे से जुड़ाव हो सकेगा। हेमन्त शर्मा, पुलिस अधीक्षक, जैसलमेर
गौरतलब है कि शीघ्र ही देश के सभी थानों को ऑनलाइन किए जाने की कड़ी मे जैसलमेर जिले के सभी थानो को भी हाइटेक बनाने की योजना को मूर्त रूप दिए जाने की कवायद चल रही है। इसके तहत उपकरण आ गए हैं और संबंधित कार्मिको को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। प्रयास यही किया जा रहा है कि जल्द ही इसको मूर्त रूप दिया जा सके।
पुलिस का मानना है विषम भौगोलिक परिस्थितियो के कारण दूरभाष व इंटरनेट संबंधी खामियां दूर कर लिए जाने के बाद सरहदी जैसलमेर मे यह सुविधा लागू हो सकेगी। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के सीसीटीएनएस, क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम प्रोजेक्ट से देश के सभी थाने एक-दूसरे से जोड़े जाने की योजना है।
हर थाने मे रहेगी अपराधियो की कुंडली
देश के किसी भी थाने की पुलिस अपराधियो क ी हिस्ट्रीशीट देख सकेगी। सीसीटीएनएस का सॉफ्टवेयर देश की जानी मानी आईटी कम्पनी ने करीब बीस करोड़ रूपए की लागत से तैयार किया है। इसकी मदद से अपराधियो के अपराधी की प्रवृत्ति, अपराध करने के तरीके का फीड किया जाएगा। अपराधियो के फोटो, उनके पैतृक निवास व रिश्तेदारों की बायोग्राफी, हिस्ट्रीशीट आदि की फीडिंग भी की जाएगी।
ऑनलाइन हो जाएगा समूचा रिकार्ड
इस प्रोजेक्ट के लागू होने से देश के सभी थाने एक-दूसरे से जुड़ जाएंगे और किसी भी अपराधी का पूरा ब्यौरा देश में किसी भी थाने में एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाएगा। हाइटेक होने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि प्राथमिकी ऑनलाइन होते ही पुलिस को हर हालत में उसे स्वीकार कर संबंधित पीडित पक्ष को जवाब देना होगा। इसके अलावा वर्ष 2001 से डेटा फीड होने से पुलिस को पुराना रिकार्ड भी सहजता से उपलब्ध हो सकेगा।
इन्होने कहा
सरहदी जैसलमेर जिले के सभी थानो को एक-दूसरे से जोड़ने की यह बेहतर योजना है। जैसलमेर मे इसके क्रियान्वयन के लिए उपकरण आ गए हैं और संबंधित कार्मिको को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इंटरनेट व दूरभाष संबंधी बाधाओ के दूर होते ही सभी थानो का एक-दूसरे से जुड़ाव हो सकेगा। हेमन्त शर्मा, पुलिस अधीक्षक, जैसलमेर
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