नई दिल्ली। दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा आने के बाद नई सरकार के गठन को लेकर बनी अनिश्चितता के बीच उपराज्यपाल नजीब जंग ने भाजपा विधायक दल के नेता डॉ. हर्षवर्धन को गुरूवार को मुलाकात के लिए बुलाया है। परंपरा को देखते हुए उपराज्यपाल सबसे बडे दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। हर्षवर्धन देर शाम उपराज्यपाल से मुलाकात करेंगे।
चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा के नतीजों को मंगलवार को ही अधिसूचित कर दिया है। इसके बाद अब सभी की निगाहें राजनिवास की तरफ लगी हैं। भाजपा के मना करने पर उपराज्यपाल दूसरे बड़े दल आप को आमंत्रित कर सकते हैं। सत्तर सदस्यीय विधानसभा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने से सरकार का गठन कैसे हो इसे लेकर कोई भी स्पष्ट तस्वीर उभर कर सामने नहीं आ आ पा रही है। वर्तमान में जो हालात हैं उनसे ऎसा लग रहा है कि दिल्ली में नई सरकार का गठन बहुत मुश्किल है। मौजूदा दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसम्बर तक है। ऎसे में यदि सरकार नहीं बनती है तो राष्ट्रपति शासन लागू करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। ऎसी स्थिति में दिल्ली विधानसभा के चुनाव अगले वर्ष अप्रेल-मई में होने वाले आम चुनाव के साथ होने की संभावना बन रही है।
भाजपा 31 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। एक सीट भाजपा की सहयोगी अकाली दल को मिली है। इस प्रकार भाजपा के पास 32 विधायक हैं जो बहुमत से चार कदम दूर है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिलीहैं। कांग्रेस के पास आठ सीटें हंै जबकि एक सीट जनता दल यू और एक पर निर्दलीय विजयी हुआ है।
भाजपा और आप दोनों ही सरकार बनाने से किनारा कर रही हैं। भाजपा के समक्ष मजबूरी यह है कि वह 36 का आंकड़ा जुटा पाने में सफल नहीं हो पा रही। कांग्रेस आप को बिना शर्त समर्थन देने को तैयार दिख रही है लेकिन यह नई पार्टी अपनी चुनाव पूर्व घोषणा के अनुरूप कांग्रेस और भाजपा किसी से भी समर्थन लेने को तैयार नहीं है और कह रही है कि वह सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी।
भाजपा सबसे बडी पार्टी के रूप में तो उभरी है, लेकिन वह बार बार कह रही है कि उसके पास बहुमत नहीं है और वह विपक्ष में बैठने के लिए तैयार है। भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों की मंगलवार को हुई बैठक में इस बात के संकेत दिए गए कि फिर से चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए।
दिल्ली के हालात पर राष्ट्रपति ने मांगी रिपोर्ट
दिल्ली विधानसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिलने के बाद किसी भी दल द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किए जाने की स्थिति के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को उपराज्यपाल नजीब जंग से सरकार बनने के हालात पर रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों ने बताया कि इस बारे में राष्ट्रपति ने उपराज्यपाल को पत्र लिखा है।
संघ की इच्छा सरकार बनाए भाजपा
मध्यप्रदेेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रदर्शन से गदगद संघ दिल्ली में भी भाजपा की सरकार बनने की हसरत रखता है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि संघ के रणनीतिकार चाहते है कि भाजपा दिल्ली में भी सरकार बनाने की कोशिश करे। संघ का आकलन है कि फिर से चुनाव में जाने पर आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल सकता है। मंगलवार देर रात पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के घर हुई वरिष्ठ नेताओं की बैठक में संगठन महामंत्री रामलाल ने संघ की इच्छा से राजनाथ और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंन्द्र मोदी को अवगत कराया।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि संघ के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि उपराज्यपाल का न्योता आने पर भाजपा को सरकार बनाने के लिए आगे आना चाहिए। भले ही भाजपा बहुमत सिद्ध न कर पाए, परंतु जनता के बीच सरकार बनाने की ईमानदार कोशिश का संदेश जरूर जाना चाहिए। संघ के रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस फिलहाल दिल्ली तक सीमित है जबकि भाजपा को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अपना फोकस पूरे देश में रखना होगा, ऎसी स्थिति में फिर दिल्ली में चुनाव की स्थिति आती है तो भाजपा के वरिष्ठ नेता लोकसभा की तैयारी छोड़ दिल्ली विधानसभा चुनावो में उलझकर रह जाएंगे।
चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा के नतीजों को मंगलवार को ही अधिसूचित कर दिया है। इसके बाद अब सभी की निगाहें राजनिवास की तरफ लगी हैं। भाजपा के मना करने पर उपराज्यपाल दूसरे बड़े दल आप को आमंत्रित कर सकते हैं। सत्तर सदस्यीय विधानसभा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने से सरकार का गठन कैसे हो इसे लेकर कोई भी स्पष्ट तस्वीर उभर कर सामने नहीं आ आ पा रही है। वर्तमान में जो हालात हैं उनसे ऎसा लग रहा है कि दिल्ली में नई सरकार का गठन बहुत मुश्किल है। मौजूदा दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसम्बर तक है। ऎसे में यदि सरकार नहीं बनती है तो राष्ट्रपति शासन लागू करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। ऎसी स्थिति में दिल्ली विधानसभा के चुनाव अगले वर्ष अप्रेल-मई में होने वाले आम चुनाव के साथ होने की संभावना बन रही है।
भाजपा 31 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। एक सीट भाजपा की सहयोगी अकाली दल को मिली है। इस प्रकार भाजपा के पास 32 विधायक हैं जो बहुमत से चार कदम दूर है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिलीहैं। कांग्रेस के पास आठ सीटें हंै जबकि एक सीट जनता दल यू और एक पर निर्दलीय विजयी हुआ है।
भाजपा और आप दोनों ही सरकार बनाने से किनारा कर रही हैं। भाजपा के समक्ष मजबूरी यह है कि वह 36 का आंकड़ा जुटा पाने में सफल नहीं हो पा रही। कांग्रेस आप को बिना शर्त समर्थन देने को तैयार दिख रही है लेकिन यह नई पार्टी अपनी चुनाव पूर्व घोषणा के अनुरूप कांग्रेस और भाजपा किसी से भी समर्थन लेने को तैयार नहीं है और कह रही है कि वह सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी।
भाजपा सबसे बडी पार्टी के रूप में तो उभरी है, लेकिन वह बार बार कह रही है कि उसके पास बहुमत नहीं है और वह विपक्ष में बैठने के लिए तैयार है। भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों की मंगलवार को हुई बैठक में इस बात के संकेत दिए गए कि फिर से चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए।
दिल्ली के हालात पर राष्ट्रपति ने मांगी रिपोर्ट
दिल्ली विधानसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिलने के बाद किसी भी दल द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किए जाने की स्थिति के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को उपराज्यपाल नजीब जंग से सरकार बनने के हालात पर रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों ने बताया कि इस बारे में राष्ट्रपति ने उपराज्यपाल को पत्र लिखा है।
संघ की इच्छा सरकार बनाए भाजपा
मध्यप्रदेेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रदर्शन से गदगद संघ दिल्ली में भी भाजपा की सरकार बनने की हसरत रखता है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि संघ के रणनीतिकार चाहते है कि भाजपा दिल्ली में भी सरकार बनाने की कोशिश करे। संघ का आकलन है कि फिर से चुनाव में जाने पर आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल सकता है। मंगलवार देर रात पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के घर हुई वरिष्ठ नेताओं की बैठक में संगठन महामंत्री रामलाल ने संघ की इच्छा से राजनाथ और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंन्द्र मोदी को अवगत कराया।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि संघ के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि उपराज्यपाल का न्योता आने पर भाजपा को सरकार बनाने के लिए आगे आना चाहिए। भले ही भाजपा बहुमत सिद्ध न कर पाए, परंतु जनता के बीच सरकार बनाने की ईमानदार कोशिश का संदेश जरूर जाना चाहिए। संघ के रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस फिलहाल दिल्ली तक सीमित है जबकि भाजपा को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अपना फोकस पूरे देश में रखना होगा, ऎसी स्थिति में फिर दिल्ली में चुनाव की स्थिति आती है तो भाजपा के वरिष्ठ नेता लोकसभा की तैयारी छोड़ दिल्ली विधानसभा चुनावो में उलझकर रह जाएंगे।
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