श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की एक अदालत वर्ष 1991 में सेना के जवानों द्वारा कई महिलाओं के साथ बलात्कार के आरोपों की दोबारा जांच कराने पर आगामी 30 दिसंबर को फैसला सुनाएगी। आरोप है कि उस वर्ष 23 और 24 फरवरी की रात सेना के 40 जवानों ने जिले के कुनान और पोशपोरा गांव की 40 महिलाओं के साथ बलात्कार किया था।
हालांकि पुलिस ने इस मामले को यह कहकर बंद कर दिया था कि अब इसकी जांच संभव नहीं है, न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले की दोबारा जांच कर दोषियों की पहचान करने का आदेश दिया था। सेना ने इस पर आपत्ति जताई थी। सेना की आपत्ति के खिलाफ पीडितों के परिजनों ने अपील की थी। उनकी अपील के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने के लिए अदालत ने सेना को गत गुरूवार तक का समय दिया था।
सेना के वकील कर्नेल सिंह ने अदालत में कहा कि पीडितों के परिजनों का मामले से कोई सीधा लेना-देना नहीं है इसलिए वे अपील नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सेना राज्य में आतंकवादियों से लड़ रही है, लेकिन कुछ तत्व गलत आरोप लगाकर उन्हें फंसाना चाहते हैं। वहीं पीडितों के परिजनों के वकील ने कहा कि जब अदालत ने मामले की दोबारा जांच का आदेश दिया तो परिजन स्वत: मामले से संबद्ध हो गए। अदालत 30 दिसंबर को ही सेना द्वारा दर्ज आपत्ति पर सुनवाई भी करेगी।
हालांकि पुलिस ने इस मामले को यह कहकर बंद कर दिया था कि अब इसकी जांच संभव नहीं है, न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले की दोबारा जांच कर दोषियों की पहचान करने का आदेश दिया था। सेना ने इस पर आपत्ति जताई थी। सेना की आपत्ति के खिलाफ पीडितों के परिजनों ने अपील की थी। उनकी अपील के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने के लिए अदालत ने सेना को गत गुरूवार तक का समय दिया था।
सेना के वकील कर्नेल सिंह ने अदालत में कहा कि पीडितों के परिजनों का मामले से कोई सीधा लेना-देना नहीं है इसलिए वे अपील नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सेना राज्य में आतंकवादियों से लड़ रही है, लेकिन कुछ तत्व गलत आरोप लगाकर उन्हें फंसाना चाहते हैं। वहीं पीडितों के परिजनों के वकील ने कहा कि जब अदालत ने मामले की दोबारा जांच का आदेश दिया तो परिजन स्वत: मामले से संबद्ध हो गए। अदालत 30 दिसंबर को ही सेना द्वारा दर्ज आपत्ति पर सुनवाई भी करेगी।
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