मुंबई। एक स्थानीय कोर्ट ने दक्षिणी मुंबई की एक महिला (38) की अगल रह रहे अपने पति से गुजारा भत्ते की अर्जी खारिज कर दी। यह साबित होने पर कि महिला के अनैतिक संबंध हैं कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज की।
कोर्ट ने कहा, पत्नी जिसके किसी दूसरे पुरूष के साथ संबंध हैं क्षतिपूर्ति का दावा नहीं कर सकती। उसे खुद की गलती से लाभ नहीं उठाने दिया जा सकता। कोर्ट ने 40 साल के इस महिला के पति की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए यह बात कही। इसके पति ने क्रूरता व व्यभिचार के आधार पर तलाक के लिए अर्जी दी थी। इनका विवाह 1999 में हुआ था। इनके 12 साल का एक बेटा भी है।
पति नाना चौक पर अपना कारोबार चलाता है। वह रात 10 बजे बाद घर लौटता था। अपनी अर्जी में उसने आरोप लगाया कि नवंबर 2005 में घर जल्दी लौटने पर उसने अपने बेटे को घर में अकेला पाया। फोन पर कई बार प्रयास करने पर भी पत्नी से मुलाकात नहीं हुई। फोन स्विच ऑफ था। वह शाम 7.45 बजे घर लौटी। उसने किसी महिला दोस्त से मिलने की कहानी सुनाई। जब उसकी सहेली से पूछा तो उसने इससे इनकार किया।
पति ने दावा किया कि अगले दिन पत्नी ने कहा कि वह अपने पड़ोसी के साथ एक होटल में गई थी। पता करने पर जानकारी मिली कि वह व्यक्ति उसकी अनुपस्थिति में घर भी आता था। इस पर पति ने दिसंबर 2005 में तलाक की अर्जी दाखिल की। उधर महिला व उसके मित्र ने किसी प्रकार के संबंधों से इनकार किया तथा अपना बयान जबरन लिखवाने का आरोप लगाया। उसने अपने ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न तथा घर छोड़ने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया।
कोर्ट ने कहा कि अगर ऎसा था तो महिला पुलिस व अपने माता-पिता को इस बारे में बताती। इन शिकायतों के अभाव में उसकी बात नहीं मानी जा सकती। पति ने अपने दावे के समर्थन में अपनी पत्नी की उसके लवर के साथ एक फोटो भी पेश की जो शहर के बाहर खींची गई थी। इस फोटो में उनका बेटा भी साथ था। कोर्ट ने कहा कि उनका बेटा इस फोटो में काफी सहज लग रहा है जिससे पता चलता है कियह संबंध काफी लंबे समय से चल रहा था।
कोर्ट ने कहा, पत्नी जिसके किसी दूसरे पुरूष के साथ संबंध हैं क्षतिपूर्ति का दावा नहीं कर सकती। उसे खुद की गलती से लाभ नहीं उठाने दिया जा सकता। कोर्ट ने 40 साल के इस महिला के पति की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए यह बात कही। इसके पति ने क्रूरता व व्यभिचार के आधार पर तलाक के लिए अर्जी दी थी। इनका विवाह 1999 में हुआ था। इनके 12 साल का एक बेटा भी है।
पति नाना चौक पर अपना कारोबार चलाता है। वह रात 10 बजे बाद घर लौटता था। अपनी अर्जी में उसने आरोप लगाया कि नवंबर 2005 में घर जल्दी लौटने पर उसने अपने बेटे को घर में अकेला पाया। फोन पर कई बार प्रयास करने पर भी पत्नी से मुलाकात नहीं हुई। फोन स्विच ऑफ था। वह शाम 7.45 बजे घर लौटी। उसने किसी महिला दोस्त से मिलने की कहानी सुनाई। जब उसकी सहेली से पूछा तो उसने इससे इनकार किया।
पति ने दावा किया कि अगले दिन पत्नी ने कहा कि वह अपने पड़ोसी के साथ एक होटल में गई थी। पता करने पर जानकारी मिली कि वह व्यक्ति उसकी अनुपस्थिति में घर भी आता था। इस पर पति ने दिसंबर 2005 में तलाक की अर्जी दाखिल की। उधर महिला व उसके मित्र ने किसी प्रकार के संबंधों से इनकार किया तथा अपना बयान जबरन लिखवाने का आरोप लगाया। उसने अपने ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न तथा घर छोड़ने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया।
कोर्ट ने कहा कि अगर ऎसा था तो महिला पुलिस व अपने माता-पिता को इस बारे में बताती। इन शिकायतों के अभाव में उसकी बात नहीं मानी जा सकती। पति ने अपने दावे के समर्थन में अपनी पत्नी की उसके लवर के साथ एक फोटो भी पेश की जो शहर के बाहर खींची गई थी। इस फोटो में उनका बेटा भी साथ था। कोर्ट ने कहा कि उनका बेटा इस फोटो में काफी सहज लग रहा है जिससे पता चलता है कियह संबंध काफी लंबे समय से चल रहा था।
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