नई दिल्ली। नीतीश कुमार की राह पर चलते हुए जेडीयू अध्यक्ष ने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को आड़े हाथों लिया है। शरद यादव ने कहा कि मोदी बिहार में हेडक्वार्टर भी बना लें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। वहीं, सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर चल रही सियासत पर कटाक्ष करते हुए यादव ने कहा कि देश बुतों का कबाड़खाना बन रहा है।
नरेन्द्र मोदी के पटना दौरे पर शरद यादव ने कहा कि "खूब पटना जाएं, वहीं रह जाएं, कोई फर्क नहीं पड़ता..सबका देश है। बेहतर होगा कि पटना को ही हेडक्वार्टर बना लें और देश भर में घूमें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला"।
शरद यादव ने कहा, "ये चुनाव कोई इतिहास की पाठशाला नहीं। गांधी जी और बाबा साहेब आंबेडकर की कई प्रतिमाएं लगी हैं। जितनी मूर्तियां लगेगी विचारधारा उतनी ही मरेगी। वे इंसान थे और उनकी विचारधारा मतलब रखती है। मूर्तियों से क्या होने वाला है। मूर्तियां लगवाना इंसान के विचार को मारने का एक जरिया है। मैंने तो कभी ना कोई मूर्ति बनवाई और ना ही कभी किसी प्रतिमा के उद्घाटन में गया। सिर्फ गांधी जी की प्रार्थना सभा में जाता हूं।"
हुंकार रैली में नरेंद्र मोदी को मिले समर्थन के बारे में उन्होंने कहा, "जब इंदिरा गांधी की तूती बोलती थी तब हमने उन्हें लड़कर हराया। राजीव गांधी से लड़ा हूं वो भी चुनाव के मैदान में। मुझे किसी रैली से डर नहीं लगता। अगर कोई मुद्दे की बात करे तो मजा आता है। अगर कोई बहस के लिए चुनौती दे तो इसके लिए भी तैयार हूं"
मोदी को लेकर जेडीयू में बगावत की चिंगारी के सवाल पर उन्होंने कहा, इस सवाल के कोई मायने नहीं है। पार्टी के नेताओं के बयान पर मुझे सफाई नहीं देनी है। देश की आबादी बढ़ गई है, चारों तरफ बेरोजगारी है, करप्शन है, महंगाई है। मुद्दा ये है कि मोदी की तारीफ से इसका कोई वास्ता नहीं। हमारी पार्टी कांग्रेस या बीजेपी नहीं है। जहां किसी को बोलने की आजादी ना हो। सबको अपने विचार रखने का हक है।"
नरेन्द्र मोदी के पटना दौरे पर शरद यादव ने कहा कि "खूब पटना जाएं, वहीं रह जाएं, कोई फर्क नहीं पड़ता..सबका देश है। बेहतर होगा कि पटना को ही हेडक्वार्टर बना लें और देश भर में घूमें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला"।
शरद यादव ने कहा, "ये चुनाव कोई इतिहास की पाठशाला नहीं। गांधी जी और बाबा साहेब आंबेडकर की कई प्रतिमाएं लगी हैं। जितनी मूर्तियां लगेगी विचारधारा उतनी ही मरेगी। वे इंसान थे और उनकी विचारधारा मतलब रखती है। मूर्तियों से क्या होने वाला है। मूर्तियां लगवाना इंसान के विचार को मारने का एक जरिया है। मैंने तो कभी ना कोई मूर्ति बनवाई और ना ही कभी किसी प्रतिमा के उद्घाटन में गया। सिर्फ गांधी जी की प्रार्थना सभा में जाता हूं।"
हुंकार रैली में नरेंद्र मोदी को मिले समर्थन के बारे में उन्होंने कहा, "जब इंदिरा गांधी की तूती बोलती थी तब हमने उन्हें लड़कर हराया। राजीव गांधी से लड़ा हूं वो भी चुनाव के मैदान में। मुझे किसी रैली से डर नहीं लगता। अगर कोई मुद्दे की बात करे तो मजा आता है। अगर कोई बहस के लिए चुनौती दे तो इसके लिए भी तैयार हूं"
मोदी को लेकर जेडीयू में बगावत की चिंगारी के सवाल पर उन्होंने कहा, इस सवाल के कोई मायने नहीं है। पार्टी के नेताओं के बयान पर मुझे सफाई नहीं देनी है। देश की आबादी बढ़ गई है, चारों तरफ बेरोजगारी है, करप्शन है, महंगाई है। मुद्दा ये है कि मोदी की तारीफ से इसका कोई वास्ता नहीं। हमारी पार्टी कांग्रेस या बीजेपी नहीं है। जहां किसी को बोलने की आजादी ना हो। सबको अपने विचार रखने का हक है।"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें