शिव विधानसभा से अमिन खान होंगे कांग्रेस के उम्मीदवार
जानिये अमिन खान कि राजनितिक कुंडली
बाड़मेर जिले कि ख़ास बन चुकी शिव विधानसभा सीट पर इस बार दो दिग्गज आमने सामने होंगे। अमिन खान कांग्रेस के वफादार सिफाही रहे हें। उन्होंने वैन विभाग में नौकरी करने के बाद राणासर पंचायत से सरपंच का चुनाव लड़ कर राजनितिक केरियर कि शुरुआत कि। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1980 में शिव से लड़ा। उनके सामने निर्दलीय शोभ सिंह मैदान में थे। उन्होंने शोभ सिंह को लगभग पांच हज़ार मतों से हराकर चुनाव जीता तथा विधानसभा पहुंचे। 1985 के चुनावो में अमिन खान जनता पार्टी के रावत उम्मीद सिंह से ग्यारह हज़ार मतों से चुनाव हार गए ,तीसरा चुनाव उन्होंने 1990 में लड़ा उनके सामने जनता दल के हरी सिंह थे। अमिन खान ने हरी सिंह को चार हज़ार से अधिक मतो से हराया। दूसरी बार विधायक बने। अगले चुनाव 1993 में हरी सिंह भाजपा से खड़े हुए उन्होंने अमिन खान को छह हज़ार से अधिक मतो से हराया। 1998 में फिर अमिन खान से हरी सिंह को उनीस हज़ार से अधिक मतो से हराया। २००३ में भाजपा के डॉ जालम सिंह रावलोत ने अमिन खान को दस हज़ार से अधिक मतों से हराया। फिर 2008 में अमिन खान ने डॉ जालम सिंह को उन्तीस हज़ार से अधिक वोटो से हराकर हिसाब चुकता किया।
अमिन खान का प्रभाव अमिन खान जिले के दूसरे बड़े मुस्लिम नेता हें। उनसे पहले अब्दुल हादी मुस्लिमो के बड़े नेता रहे ,हादी के इंतकाल के बाद एकमात्र प्रभावी मुस्लिम नेता हें ,अमिन खान का मुस्लिम समाज के साथ अन्य समाजो में जाट ,राजपूत ,अनुसूचित जाती ,अनुसूचित जन जाती में खासा प्रभाव रहा।
बड़बोलापन। ऽमिन खान कोई बात साफगोई से कहते हें। साफ़ गोई क्षेत्र के लोगो को पसंद नहीं आ रही। उनके बात करने के अंदाज से उनके समर्थक परेशान रहते हें। उनके द्वारा दिए बयानो के कारण उनका राजनीती नुक्सान भी हुआ। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के खिलाफ टिपणी के बाद देश भर में हो हल्ला हुआ। बाद में उन्होंने कांग्रेस कि प्रदेश बैठक में कार्यसमिति के सददस्य पैसे लेकर बनाने का बयां देकर कांग्रेस के सामने संकट खड़ा कर दिया। गाहे बगाहे उनके कई बयान चर्चाओ में आते रहे। इसके बावजूद उनके व्यक्तित्व के कारन कांग्रेस को उनके आगे बार बार झुकना पड़ा।
राजनितिक पद। ।अमिन खान चौथी बार विधायक बनाने के सात पहली बार राज्य मंत्री मंडल में अल्पसंख्यक मामलात और ग्रामीण विकास मंत्रालय के मंत्री बने। इस्तीफे के बाद वापस मंत्री बनाये गए तो ग्रामीण मंत्रालय उनसे छीन लिया। अशोक गहलोत के नज़दीक माने जाने वाले अमिन खान श्रीमती सोनिआ गांधी के सलाहकार अहमद पटेल के काफी नज़दीक माने जाते हें।
चुनावी गणित। .इ बार अमिन खान के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके द्वारा राजनितिक सिखाये मानवेन्द्र सिंह उनके सामने होंगे। मानवेन्द्र सिंह कि मुस्लिम वोटो पर व्यक्तिगत पकड़ हें। मुस्लिम वोटो के बिखराव को रोकना उनका पहला मकसद होगा
हादी परिवार कि नाराजगी। । गत पांच सालो में अमिन खान के अब्दुल हादी परिवार से रिश्ते काफी कट्टु रहे हें। अमिन खान गाहे बगाहे हादी परिवार कि पुत्रवधु और चौहटन प्रधान पर हमले बोलते रहे हें। अमिन खान कि हादी परिवार से नाराजगी साफ़ झलकती हें। अब टिकट मिलाने कि सम्भावना के बीच हादी परिवार को मानना उनके लिए चुनाव जीतने सम्मान होगा।
जाट नेताओ कि नाराजगी। . इस बार अमिन खान को जाट नेताओ कि नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी।
जानिये अमिन खान कि राजनितिक कुंडली
बाड़मेर जिले कि ख़ास बन चुकी शिव विधानसभा सीट पर इस बार दो दिग्गज आमने सामने होंगे। अमिन खान कांग्रेस के वफादार सिफाही रहे हें। उन्होंने वैन विभाग में नौकरी करने के बाद राणासर पंचायत से सरपंच का चुनाव लड़ कर राजनितिक केरियर कि शुरुआत कि। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1980 में शिव से लड़ा। उनके सामने निर्दलीय शोभ सिंह मैदान में थे। उन्होंने शोभ सिंह को लगभग पांच हज़ार मतों से हराकर चुनाव जीता तथा विधानसभा पहुंचे। 1985 के चुनावो में अमिन खान जनता पार्टी के रावत उम्मीद सिंह से ग्यारह हज़ार मतों से चुनाव हार गए ,तीसरा चुनाव उन्होंने 1990 में लड़ा उनके सामने जनता दल के हरी सिंह थे। अमिन खान ने हरी सिंह को चार हज़ार से अधिक मतो से हराया। दूसरी बार विधायक बने। अगले चुनाव 1993 में हरी सिंह भाजपा से खड़े हुए उन्होंने अमिन खान को छह हज़ार से अधिक मतो से हराया। 1998 में फिर अमिन खान से हरी सिंह को उनीस हज़ार से अधिक मतो से हराया। २००३ में भाजपा के डॉ जालम सिंह रावलोत ने अमिन खान को दस हज़ार से अधिक मतों से हराया। फिर 2008 में अमिन खान ने डॉ जालम सिंह को उन्तीस हज़ार से अधिक वोटो से हराकर हिसाब चुकता किया।
अमिन खान का प्रभाव अमिन खान जिले के दूसरे बड़े मुस्लिम नेता हें। उनसे पहले अब्दुल हादी मुस्लिमो के बड़े नेता रहे ,हादी के इंतकाल के बाद एकमात्र प्रभावी मुस्लिम नेता हें ,अमिन खान का मुस्लिम समाज के साथ अन्य समाजो में जाट ,राजपूत ,अनुसूचित जाती ,अनुसूचित जन जाती में खासा प्रभाव रहा।
बड़बोलापन। ऽमिन खान कोई बात साफगोई से कहते हें। साफ़ गोई क्षेत्र के लोगो को पसंद नहीं आ रही। उनके बात करने के अंदाज से उनके समर्थक परेशान रहते हें। उनके द्वारा दिए बयानो के कारण उनका राजनीती नुक्सान भी हुआ। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के खिलाफ टिपणी के बाद देश भर में हो हल्ला हुआ। बाद में उन्होंने कांग्रेस कि प्रदेश बैठक में कार्यसमिति के सददस्य पैसे लेकर बनाने का बयां देकर कांग्रेस के सामने संकट खड़ा कर दिया। गाहे बगाहे उनके कई बयान चर्चाओ में आते रहे। इसके बावजूद उनके व्यक्तित्व के कारन कांग्रेस को उनके आगे बार बार झुकना पड़ा।
राजनितिक पद। ।अमिन खान चौथी बार विधायक बनाने के सात पहली बार राज्य मंत्री मंडल में अल्पसंख्यक मामलात और ग्रामीण विकास मंत्रालय के मंत्री बने। इस्तीफे के बाद वापस मंत्री बनाये गए तो ग्रामीण मंत्रालय उनसे छीन लिया। अशोक गहलोत के नज़दीक माने जाने वाले अमिन खान श्रीमती सोनिआ गांधी के सलाहकार अहमद पटेल के काफी नज़दीक माने जाते हें।
चुनावी गणित। .इ बार अमिन खान के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके द्वारा राजनितिक सिखाये मानवेन्द्र सिंह उनके सामने होंगे। मानवेन्द्र सिंह कि मुस्लिम वोटो पर व्यक्तिगत पकड़ हें। मुस्लिम वोटो के बिखराव को रोकना उनका पहला मकसद होगा
हादी परिवार कि नाराजगी। । गत पांच सालो में अमिन खान के अब्दुल हादी परिवार से रिश्ते काफी कट्टु रहे हें। अमिन खान गाहे बगाहे हादी परिवार कि पुत्रवधु और चौहटन प्रधान पर हमले बोलते रहे हें। अमिन खान कि हादी परिवार से नाराजगी साफ़ झलकती हें। अब टिकट मिलाने कि सम्भावना के बीच हादी परिवार को मानना उनके लिए चुनाव जीतने सम्मान होगा।
जाट नेताओ कि नाराजगी। . इस बार अमिन खान को जाट नेताओ कि नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी।
kudli to thik per jis cheez ki jarurat h uska yog nahi agle mhasamer tak
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