परिसीमन ने बदली जैसलमेर जिले की राजनीतिक तस्वीर
जैसलमेर क्षेत्र छोटा होने से जहां टिकट के इच्छुक प्रत्याशियों की संख्ना मे इजाफा हुआ है, वहीं बागी व असंतुष्ट नेताओं की फेहरिस्त भी लंबी हुई है.
परिसीमन से सिकुड़े क्षेत्र में हर जगह प्रत्याशी के पहुंच पाने की सुविधा व चुनाव प्रचार मे सहुलियत को देखते हुए कई नेताओं की महत्वकांक्षाएं भी सामने आ रही है.
वैसे, सरहदी जैसलमेर जिले मे क्षेत्रीय व जातिगत गणित के आधार पर विधानसभा चुनाव के परिणामों पर हमेशा बड़ा प्रभाव रहा है. यहां परिसीमन के बाद चुनावी गणित, जातिगत धारणाएं व क्षेत्रीय समीकरण, सभी में बदलाव आ गया.
नए जोड़-तोड़ के सिलसिले का असर इस चुनाव पर भी देखने को मिल रहा है. हकीकत यह है कि सरहदी जैसलमेर जिले को परिसीमन के बाद पोकरण के तौर पर नया विधानसभा क्षेत्र मिला .
परिसीमन के बाद जहां जिले के दोनों विधानसभा क्षेत्रों का गणित बदल गया है, वहीं कई नेताओं के अरमानों पर भी पानी फिर गया. हालांकि लोकसभा की सीटें 25 और विधानसभा की सीटे 200 ही है.
इस तरह परिसीमन के बाद दोनों विधानसभा सीटों में पहले की तरह अटकलें लगाना सहज नहीं है, हकीकत यह है कि परिसीमन के बाद दोनों सीटों पर जीत का फामरूला पहेली बना हुआ है. यहां जातिगत समीकरण प्रभावी है ही,शांत दिखाई देने वाला रोष भी है.
जैसलमेर जिले की फतेहगढ़ तहसील की 22 गाम पंचायते विधानसभा क्षेत्रों के नए परिसीमन के बाद जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र मे शामिल हो गई. गौरतलब है कि वर्ष 2008 मे परिसीमन से पहले तक उक्त पंचायतें बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा क्षेत्र मे शामिल थी.
अब तक राजनीतिक व प्रशासनिक असमानताएं होने की ही वजह से इन गाम पंचायतों का विकास अब तक नहीं हो पाया था. बताया जाता है कि वर्ष 1964-65 तक फतेहगढ़ तहसील की सभी पंचायते जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा थी.
इसके बाद इन्हे शिव विधानसभा मे शामिल किया गया. करीब 43 वर्ष बाद ये फिर से जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र से जुड़ चुके हैं .
जैसलमेर क्षेत्र छोटा होने से जहां टिकट के इच्छुक प्रत्याशियों की संख्ना मे इजाफा हुआ है, वहीं बागी व असंतुष्ट नेताओं की फेहरिस्त भी लंबी हुई है.
परिसीमन से सिकुड़े क्षेत्र में हर जगह प्रत्याशी के पहुंच पाने की सुविधा व चुनाव प्रचार मे सहुलियत को देखते हुए कई नेताओं की महत्वकांक्षाएं भी सामने आ रही है.
वैसे, सरहदी जैसलमेर जिले मे क्षेत्रीय व जातिगत गणित के आधार पर विधानसभा चुनाव के परिणामों पर हमेशा बड़ा प्रभाव रहा है. यहां परिसीमन के बाद चुनावी गणित, जातिगत धारणाएं व क्षेत्रीय समीकरण, सभी में बदलाव आ गया.
नए जोड़-तोड़ के सिलसिले का असर इस चुनाव पर भी देखने को मिल रहा है. हकीकत यह है कि सरहदी जैसलमेर जिले को परिसीमन के बाद पोकरण के तौर पर नया विधानसभा क्षेत्र मिला .
परिसीमन के बाद जहां जिले के दोनों विधानसभा क्षेत्रों का गणित बदल गया है, वहीं कई नेताओं के अरमानों पर भी पानी फिर गया. हालांकि लोकसभा की सीटें 25 और विधानसभा की सीटे 200 ही है.
इस तरह परिसीमन के बाद दोनों विधानसभा सीटों में पहले की तरह अटकलें लगाना सहज नहीं है, हकीकत यह है कि परिसीमन के बाद दोनों सीटों पर जीत का फामरूला पहेली बना हुआ है. यहां जातिगत समीकरण प्रभावी है ही,शांत दिखाई देने वाला रोष भी है.
जैसलमेर जिले की फतेहगढ़ तहसील की 22 गाम पंचायते विधानसभा क्षेत्रों के नए परिसीमन के बाद जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र मे शामिल हो गई. गौरतलब है कि वर्ष 2008 मे परिसीमन से पहले तक उक्त पंचायतें बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा क्षेत्र मे शामिल थी.
अब तक राजनीतिक व प्रशासनिक असमानताएं होने की ही वजह से इन गाम पंचायतों का विकास अब तक नहीं हो पाया था. बताया जाता है कि वर्ष 1964-65 तक फतेहगढ़ तहसील की सभी पंचायते जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा थी.
इसके बाद इन्हे शिव विधानसभा मे शामिल किया गया. करीब 43 वर्ष बाद ये फिर से जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र से जुड़ चुके हैं .
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