भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर शहर के रणजीत नगर स्थित शहनाई मैरिज होम में बुधवार का दिन खास रहा। अनूठे सामूहिक विवाह समारोह की स्नेहमयी चहल-पहल में हर कोई व्यस्त नजर आया। घराती-बराती मिला कर करीब दो हजार लोगों का नाश्ता, खाना बनाया गया। कहीं फूलों की लडियां झूमती दिखीं तो कहीं सेहरों में छिपे चेहरे मुस्कुराए और कहीं दुल्हनें शरमाई।
न हिन्दू, न मुसलमान
समारोह में न कोई हिंदू था, न मुसलमान। नीतू किन्नर की दस बेटियां सबकी थीं। चार के निकाह और छह के फेरे एक ही स्थान पर सम्पन्न हुए, जिसने साम्प्रदायिक एकता की मिसाल कायम की। नीतू मां की सख्त हिदायत थी कि देने वाले खुशी से उपहार दें, पर वे दस से कम हों तो उन्हें न लिया जाए। गरीब हैं तो क्या हुआ, सभी बेटियां एक समान हैं।
अब तक करवाए सोलह विवाह
नीतू हज कर चुकी हैं तो चारों धाम की यात्रा भी। करीब 18 लाख रूपए राशि सामूहिक विवाह समारोह पर खर्च हुई। हर बेटी को पांच ग्राम सोना, ग्यारह तोला चांदी, फ्रिज, अलमारी, बैड-बिस्तर, 31 बर्तनों के संग घर-गृहस्थी का हर आवश्यक सामान दिया गया।
कमाया रिश्तों का धन
नीतू का खून का रिश्ता किसी से नहीं, पर धर्म के रिश्ते इससे बढ़ कर हैं। रिश्तों के धन पर उन्हें गर्व भी है। अकबरी मां की ममता है, बबुआ हलवाई जैसा भाई जो हर उत्सव में खाना बनाने का बीड़ा संभालते हैं और बेटियां तो आस-पास बनी ही रहती हैं।ं बबुआ उर्फ विनोद खंडेलवाल बताते हैं कि नीतू बहन से नाता बरसों पुराना है। पहले पिता सूरजभान ने इस रिश्ते को निभाया अब वे निभा रहे हैं। देश में कहीं भी बहन का कार्यक्रम हो, वे अवश्य पहुंचते हैं। तन-मन से जो बन पड़ता है, करते हैं। भात की रस्म उन्होंने और उनकी पत्नी ज्योति ने निभाई।
न हिन्दू, न मुसलमान
समारोह में न कोई हिंदू था, न मुसलमान। नीतू किन्नर की दस बेटियां सबकी थीं। चार के निकाह और छह के फेरे एक ही स्थान पर सम्पन्न हुए, जिसने साम्प्रदायिक एकता की मिसाल कायम की। नीतू मां की सख्त हिदायत थी कि देने वाले खुशी से उपहार दें, पर वे दस से कम हों तो उन्हें न लिया जाए। गरीब हैं तो क्या हुआ, सभी बेटियां एक समान हैं।
अब तक करवाए सोलह विवाह
नीतू हज कर चुकी हैं तो चारों धाम की यात्रा भी। करीब 18 लाख रूपए राशि सामूहिक विवाह समारोह पर खर्च हुई। हर बेटी को पांच ग्राम सोना, ग्यारह तोला चांदी, फ्रिज, अलमारी, बैड-बिस्तर, 31 बर्तनों के संग घर-गृहस्थी का हर आवश्यक सामान दिया गया।
कमाया रिश्तों का धन
नीतू का खून का रिश्ता किसी से नहीं, पर धर्म के रिश्ते इससे बढ़ कर हैं। रिश्तों के धन पर उन्हें गर्व भी है। अकबरी मां की ममता है, बबुआ हलवाई जैसा भाई जो हर उत्सव में खाना बनाने का बीड़ा संभालते हैं और बेटियां तो आस-पास बनी ही रहती हैं।ं बबुआ उर्फ विनोद खंडेलवाल बताते हैं कि नीतू बहन से नाता बरसों पुराना है। पहले पिता सूरजभान ने इस रिश्ते को निभाया अब वे निभा रहे हैं। देश में कहीं भी बहन का कार्यक्रम हो, वे अवश्य पहुंचते हैं। तन-मन से जो बन पड़ता है, करते हैं। भात की रस्म उन्होंने और उनकी पत्नी ज्योति ने निभाई।
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