दागियों के अध्यादेश से किसी तरह पीछा छुड़ा पाई केंद्र सरकार तेलंगाना के मसले में फंसती दिख रही है। लोकसभा चुनाव में राजनीतिक गणित दुरुस्त करने के इरादे से केंद्र ने तेलंगाना के गठन को हरी झंडी क्या दी, कांग्रेस सांसदों के इस्तीफा देने का सिलसिला शुरू हो गया।
सबसे पहले तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में करीब सवा घंटे चली कैबिनेट की बैठक में ही तेलंगाना समर्थक और विरोधी मंत्रियों के बीच घमासान हो गया। फिर अलग तेलंगाना को कैबिनेट की मंजूरी के बाद सीमांध्र से आने वाले केंद्रीय पर्यटन मंत्री चिरंजीवी सहित चार कांग्रेसी सांसदों ने इस्तीफा दे दिया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी सहित कई केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे की भी आशंकाएं गरम हैं।
वहीं, वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने फैसले के खिलाफ 72 घंटे के बंद का आह्वान किया है। सीमांध्र के वकीलों की संयुक्त कार्रवाई समिति के साथ ही संयुक्त आंध्र समर्थकों ने 48 घंटे का बंद बुलाया है।
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट की बैठक में विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री जयपाल रेड्डी और ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने नए राज्य के गठन की न सिर्फ जरूरत बताई, बल्कि पक्ष में तमाम तर्क भी रखे। वहीं, मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू और केएस राव के विरोध पर प्रधानमंत्री ने कहा कि फैसला तो हो चुका है। जब राजू पीएम के बीच में बोले तो जयराम ने हस्तक्षेप किया और दोनों के बीच बहस हो गई। सूत्रों के मुताबिक, तेलंगाना विरोधी मंत्रियों ने कहा कि अब उनके सामने इस्तीफे के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
तेलंगाना का मुद्दा कैबिनेट के सामने आने की खबर से ही सीमांध्र उबल पड़ा। दिल्ली में शाम को प्रधानमंत्री आवास के बाहर भी तेलंगाना विरोधी प्रदर्शन करने पहुंच गए। विरोध के बावजूद कैबिनेट ने जुलाई में लिए कांग्रेस कार्यसमिति के निर्णय पर मुहर लगाने का फैसला किया। साथ ही दोनों राज्यों के बीच संसाधनोंके बंटवारे के लिए मंत्रिमंडलीय समूह बनाने का निर्णय भी लिया।
फैसले के तहत अगले 10 साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि इस दौरान सीमांध्र में नई राजधानी बना ली जाएगी। कैबिनेट की हरी झंडी के बाद अब इसे राज्य विधानसभा के पास विचार के लिए भेजा जाएगा, लेकिन विधानसभा में तेलंगाना विरोधियों की बड़ी संख्या के कारण इसका पारित होना मुश्किल है। ऐसे में केंद्र सरकार इंतजार किए बिना शीतकालीन सत्र में नए राज्य के गठन का विधेयक संसद में पेश कर देगी। सरकार की कोशिश इस साल के अंत तक तेलंगाना गठन को अमलीजामा पहनाने की है।
कैबिनेट के फैसले से गुस्साए चिरंजीवी ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री कार्यालय को फैक्स कर दिया। वहीं, सीमांध्र क्षेत्र से आने वाले कांग्रेस सांसद यू अरुण कुमार ने पार्टी की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। अनंतपुर से सांसद अनंत वी. रेड्डी ने इस्तीफे की घोषणा कर दी, जबकि सांसद साई प्रताप ने कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया। माना जा रहा है कि शुक्रवार को तीन और केंद्रीय मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं।
इधर, वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने आज कहा कि आंध्रप्रदेश के विभाजन के केंद्र के फैसले के खिलाफ कल से वह अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे। जगन ने संवाददाताओं से कहा कि तटीय आंध्र और रायलसीमा के साथ की जा रही नाइंसाफी पर ध्यान दिलाने के लिए वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति और अन्य से मिलने दिल्ली जाएगा।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की ओर किया जा रहा आंदोलन समूचे राज्य में चलता रहेगा। उन्होंने आश्चर्य जाहिर किया कि इतना महत्पवपूर्ण मुद्दा आंध्रप्रदेश विधानसभा में लाए बिना राज्य का कैसे विभाजन किया जा सकता है।
कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों के बीच विवादों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा आंध्रप्रदेश के विभाजन के बाद पानी का किस तरह बंटवारा होगा।
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