मानसिक रोगी को अतिरिक्त प्यार की जरूरत - सीजेएम
-विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम व विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन
बाड़मेर। वर्तमान समय में मानवीय मूल्यों की समाज में बहुत जरूरी है, क्योंकि मानवीय मूल्यों के जरिए ही हम संवेदनाओं से जुड़े रह सकते हैं और मानसिक रूप से स्वस्थ भी। जबकि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यकित मसितष्क रूप से भले ही बीमार हो, लेकिन उसकी आत्मा जीवित होती है और वह समझ सकता है कि उसके साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है। यही वजह है कि इस तरह के व्यकित कर्इ बाद उद्धेलित भी हो जाते हैं। ये विचार गुरूवार को मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट गोपाल बिजोरीवाल ने व्यक्त किए, जो जिला स्वास्थ्य भवन में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम व विधिक साक्षरता शिविर में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। अपर मुंसिफ मजिस्टे्रट सरोज चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. फूसाराम बिश्नोर्इ, पीएमओ डा. एचके सिंगल व सेवानिवृत सीएमएचओ डा. जितेंद्रसिंह मौजूद थे। इस दौरान पधारो म्हारी लाडो अभियान के तहत नन्हीं बालिकाओं को केक काटकर जन्मदिन मनाया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपर मुंसिफ मजिस्टे्रट सरोज चौधरी ने कहा कि मानसिक रोग से पीडि़त व्यकित को संवेदनाओं की जरूरत होती है, जिन्हें अपनेपन से ही स्वस्थ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे अस्वस्थ व्यकितयों को दरकिनार नहीं करना चाहिए, बलिक उन्हें आदरभाव के साथ समाज का हिस्सा बनाना चाहिए। सीएमएचओ डा. बिश्नोर्इ ने कहा कि 10 अक्टूबर का दिन प्रति वर्ष विश्व मानसिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस की शुरूआत विश्व मानसिक स्वास्थ्य परिसंघ ने की थी तथा पहली बार इसे 1992 में मनाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकडों पर गौर करे तो दुनियाभर में करीब 45 करोड़ व्यä मिनसिक बीमारी या तंत्रिका संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हैं। इस अवसर पर सम्पूर्ण विश्व के देशों की सरकारों को, सामजिक संगठनों को भौतिक वाद की इस भाग दौड़ में बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक हो गया है। पीएमओ डा. सिंगल ने कहा कि विकास की गति को बनाये रखने के लिए मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के कारणों की पहचान कर यथा संभव कदम उठाने होंगे। साथ ही वि—त मानसिक सिथतियों के शिकार व्यäयिें के उपचार के लिए एक आन्दोलन का रूप देते हुए कदम उठाने होंगे। ताकि मानव सभ्यता की उन्नति मानव समाज के लिए अभिशाप बन कर न रह जाये। इस दौरान गैर सरकारी संगठन केयर्न इंडिया, हेल्पेज इंडिया, स्मार्इल फाउंडेशन, शुभम संस्थान, बीएनकेवीएस, किरण संस्थान आदि संस्थाओं के सदस्य एवं जिला आयुष अधिकारी डा. अनिल झा, जिला आशा समन्वयक राकेश भाटी, आर्इर्इसी समन्वयक विनोद बिश्नोइ्र्र, सामाजिक सुरक्षा अधिकारी केदार शर्मा, परियोजना समन्वयक मूलचंद खींची, सुपरवार्इजर दुर्गसिंह सोढ़ा, मुकेश व्यास, वंदना गुप्ता आदि मौजूद थे। मंच संचालन आयुष चिकित्सक डा. सुरेंद्र चौधरी ने किया।
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