टिकट दावेदारो के बगावती तेवर बने टिकटों में देरी का कारण
बाड़मेर राजस्थान में आगामी एक दिसंबर को हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ दल कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गुटबाजी के चलते अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पाई हैं।बाड़मेर भाजपा के उम्मीदवारो कि सूचि तैयार हे मगर बगावत के डर से यह सूचि दीपावली के बाद आने कि सम्भावना हें। बाड़मेर विधानसभा में पिछला चुनाव लड़ कर हारी मृदुरेखाचौधरी ,शिव से हारे डॉ जालम सिंह ,बायतु से हारे कैलाश चौधरी ,सिवाना से हमीर सिंह भायल ,पचपदरा से प्रभा सिंघवी ,महेश चौहान जैसलमेर से सांग सिंह भाटी को अभी भी टिकट मिलाने का भरोसा हें। टिकट नहीं मिलाने पर क्या रुख अपनाएंगे ये नेता पार्टी टोह ले रही हें। कांग्रेस में गुटबाज़ी उफान पर हें बाड़मेर से हेमाराम चौधरी के टिकट मांगने से जिले कि सभी सीटो पर समीकरण गड़बड़ा गए हें। पचपदरा में विधायक मदन प्रजापत का जोरदार विरोध हो रहा हें। तो चौहटन में नए दावेदार मानाराम गढवीर ,सिवाना से भंवर लाल देवासी ,गुड़ा से सोहन भाम्भू कि उम्मीदवारी के चर्चे सुर्खियो में आये जो गुटबाज़ी के संकेत हें। सिवाना में गत चुनावो में तीसरे स्थान पर रहे बालाराम टिकट कि जोरदार पैरवी कर रहे हें तो महेंद्र टाइगर भी पूरी कोशिश में हें। बायतु में कर्नल सोनाराम का रास्ता साफ़ हें शिव विधानसभा में अमिन खान के साथ एक बार पुनः चौहटन प्रधान शम्मा खान कि जीत कि संभावनाए तलाशी जा रही हें। शिव में कांग्रेस में किसी को टिकट मिले बगावत तय हें।
भाजपा की शुक्रवार को होने वाली केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक स्थगित हो गई है जबकि कांग्रेस की छानबीन समिति की शुक्रवार दिल्ली में होने वाली बैठक में उम्मीदवार चयन को लेकर फिर मशक्कत होगी।
सूत्रों ने बताया कि दोनों ही प्रमुख दल पूरे दो सौ सीटों पर अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पाए तथा मौजूदा विधायकों को लेकर भी एक राय नहीं बन पा रही है। भाजपा में हालांकि मौजूदा विधायकों को लेकर ज्यादा मतभेद नहीं है और पार्टी दस-बारह को छोड़कर सभी को फिर मौका देने की फिराक में है।
पिछली बार विधायकों के ज्यादा टिकट काटने से पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था जिससे सबक लेकर वह इस गलती को नहीं दोहराना चाहती है। टिकट की दावेदारी को लेकर गुटबाजी बनी हुई है तथा पार्टी आलाकमान को टिकट तय करने में काफी जोर आजमाइश करनी पड़ रही है।
कांग्रेस में सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए मंत्री एवं विधायकों की छंटनी का मानस बन रहा है। विधायकों को इसका पता चलने पर उन्होंने भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है। विधायकों के टिकट कटने की खबर से कई दावेदार बन गए है और उनका विधायकों से टकराव भी शुरू हो गया है।
टिकट पर अंतिम फैसला नहीं होने से उम्मीदवार भरोसे में है और ज्यादातर सीटों पर शांति बनी हुई है लेकिन उम्मीदवारों की सूची आते ही जूतमपैजार शुरू हो सकती है। पार्टी आलाकमान भी इसे देखकर ही सूची जारी करने में देरी कर रहा है।
इधर भाजपा के 79 विधायकों में दस बारह को छोड़कर सभी को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी की जा रही है। पिछली बार कम मतों से हारे उम्मीदवारों को भी मौका देने पर सहमति बन चुकी है।
संभावित उम्मीदवारों को लेकर कार्यकर्ता भी नजर गड़ाए हुए हैं और एक सीट पर एक से ज्यादा की दावेदारी के कारण गुटबाजी बनी हुई है। टिकट वितरण के बाद इसमें और तेजी आ सकती है लिहाजा नामों की घोषणा में जल्दबाजी नहीं दिखाई जा रही है।
टिकट तय करने के बाद की प्रतिक्रिया का भी दोनों ही दल अध्ययन कर रहे है इसलिए एक दूसरे के संभावित प्रत्याशियों की टोह ली जा रही है। दोनों ही दल पहली सूची जारी करने में जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं और दीपावली से पहलेे कोर्ई सूची जारी भी हुर्ई तो उनमें उन्हीं उम्मीदवारों के नाम होंगे जिन पर दो राय नहीं है।
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