मुजफ्फरनगर । बुलंदशहर के दो बार से बसपा विधायक हाजी अलीम का दामन दागदार रहा है। अपोलो सर्कस में नेपाली बालाओं के यौनशोषण को लेकर भाई समेत उन पर मुजफ्फरनगर की अदालत में एक मामला चल रहा है। मामले की जांच सीबीसीआइडी ने भी की थी। इस घटना के बाद ही हाजी अलीम राजनीति में आए और विधायक बने थे। दस साल पहले उनका बेटा मेरठ में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था।
वर्ष 2003 में अपोलो सर्कस के संचालक अलीम और उनके भाई युनूस ने नुमाइश में सर्कस लगाया था। सर्कस में नेपाल निवासी कई लड़कियों ने पुलिस अफसरों के पास पहुंचकर आरोप लगाया कि अलीम और उनका भाई साथियों के साथ बंधक बनाकर यौन शोषण करते हैं। पुलिस ने अलीम और भाई युनूस समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लड़कियों को पुलिस अभिरक्षा में नेपाल भेजा था।
इस मामले के बाद हाजी अलीम राजनीति में सक्रिय हो गए और बसपा के टिकट पर विधायकी का चुनाव भी जीत गए। उनका भाई युनूस पूर्वी दिल्ली से बसपा की तरफ से लोकसभा चुनाव लड़ा और पराजित हुआ। यौन शोषण के मामले में कोर्ट ने कई बार तलब किया, लेकिन उत्तर प्रदेश सूबे में बसपा की सरकार होने के कारण हाजी अलीम कोर्ट में पेश नहीं हुए। वर्ष 2001 में विधानसभा चुनाव से पहले कोर्ट ने वांछित चल रहे हाजी के गैर जमानती वारंट कर दिए। वारंट पुलिस ने बुलंदशहर में तामील करा दिए, लेकिन मामला सत्ताधारी पार्टी से जुड़ा होने के कारण तब पुलिस अफसरों ने विधायक का खूब बचाव किया। इसके बाद बुलंदशहर में विधानसभा चुनाव हुए और हाजी अलीम ने भाजपा के दिग्गज नेता वीरेंद्र सिरोही को धूल चटाकर सीट बसपा की झोली में डाल दी।
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