प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वह कानून से ऊपर नहीं हैं और हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक के आवंटन की जांच के मामले में वह सीबीआई या किसी का भी सामना करने को तैयार हैं क्योंकि उनके पास छिपाने को कुछ भी नहीं है।
सिंह ने 10 दिन पहले विवाद शुरू होने के बाद पहली दफा अपनी चुप्पी तोड़ी। सीबीआई द्वारा कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद से प्रधानमंत्री विपक्ष के निशाने पर थे।
उन्होंने दो देशों की यात्रा के बाद चीन से स्वदेश वापस लौटने के दौरान विशेष विमान में संवाददाताओं से कहा कि मैं देश के कानून से ऊपर नहीं हूं। अगर कुछ है जिसके बारे में सीबीआई या उस मामले में कोई भी मुझसे पूछना चाहता है तो मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।
उनसे पीएमओ द्वारा पिछले सप्ताह दिए गए स्पष्टीकरण के बारे में पूछा गया था जिसमें कहा गया था कि ओड़िशा में बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक के आवंटन का फैसला सही था और उसमें कुछ भी गलत नहीं था। विपक्ष ने सिंह पर यह कहते हुए हमला किया था कि प्रधानमंत्री उस वक्त कोयला मंत्रालय के प्रभारी थे और उन्हें खुद को पूछताछ के लिए सीबीआई के समक्ष पेश करना चाहिए।
प्रसिद्ध उद्योगपतियों और व्यापार संगठनों ने सीबीआई की कार्रवाई पर एतराज जताते हुए कहा था कि प्रतिष्ठित लोगों, उद्योगपतियों और ईमानदार नौकरशाहों से निपटते वक्त सावधानी बरती जानी चाहिए। शुरुआत में सिंह इस सवाल का जवाब देने से बचते दिखे कि क्या सीबीआई को इतनी स्वायत्तता दी जानी चाहिए कि एजेंसी के किसी इंस्पेक्टर को प्रधानमंत्री से पूछताछ की अनुमति दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि यह मामला अदालतों के समक्ष है और मैं इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।
उनसे विभिन्न घोटालों की जांच की उच्चतम न्यायालय द्वारा निगरानी किए जाने से निर्णय की प्रक्रिया प्रभावित होने और नीतिगत रूप से निष्क्रिय होने की सरकार की छवि के बारे में टिप्पणी करने को कहा गया था। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में क्या हो रहा है मैं उसमें नहीं जाना चाहूंगा। यह देश की सर्वोच्च अदालत है और मैं अदालत के बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
यह पूछे जाने पर कि क्या सीबीआई के मामलों और घोटालों से प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी विरासत को प्रभावित कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि इसका फैसला इतिहास को करना है। मैं अपना काम कर रहा हूं और अपना काम करता रहूंगा। मेरे 10 साल तक प्रधानमंत्री रहने का क्या असर हुआ इसका फैसला इतिहासकार करेंगे।
सिंह ने 10 दिन पहले विवाद शुरू होने के बाद पहली दफा अपनी चुप्पी तोड़ी। सीबीआई द्वारा कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद से प्रधानमंत्री विपक्ष के निशाने पर थे।
उन्होंने दो देशों की यात्रा के बाद चीन से स्वदेश वापस लौटने के दौरान विशेष विमान में संवाददाताओं से कहा कि मैं देश के कानून से ऊपर नहीं हूं। अगर कुछ है जिसके बारे में सीबीआई या उस मामले में कोई भी मुझसे पूछना चाहता है तो मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।
उनसे पीएमओ द्वारा पिछले सप्ताह दिए गए स्पष्टीकरण के बारे में पूछा गया था जिसमें कहा गया था कि ओड़िशा में बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक के आवंटन का फैसला सही था और उसमें कुछ भी गलत नहीं था। विपक्ष ने सिंह पर यह कहते हुए हमला किया था कि प्रधानमंत्री उस वक्त कोयला मंत्रालय के प्रभारी थे और उन्हें खुद को पूछताछ के लिए सीबीआई के समक्ष पेश करना चाहिए।
प्रसिद्ध उद्योगपतियों और व्यापार संगठनों ने सीबीआई की कार्रवाई पर एतराज जताते हुए कहा था कि प्रतिष्ठित लोगों, उद्योगपतियों और ईमानदार नौकरशाहों से निपटते वक्त सावधानी बरती जानी चाहिए। शुरुआत में सिंह इस सवाल का जवाब देने से बचते दिखे कि क्या सीबीआई को इतनी स्वायत्तता दी जानी चाहिए कि एजेंसी के किसी इंस्पेक्टर को प्रधानमंत्री से पूछताछ की अनुमति दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि यह मामला अदालतों के समक्ष है और मैं इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।
उनसे विभिन्न घोटालों की जांच की उच्चतम न्यायालय द्वारा निगरानी किए जाने से निर्णय की प्रक्रिया प्रभावित होने और नीतिगत रूप से निष्क्रिय होने की सरकार की छवि के बारे में टिप्पणी करने को कहा गया था। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में क्या हो रहा है मैं उसमें नहीं जाना चाहूंगा। यह देश की सर्वोच्च अदालत है और मैं अदालत के बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
यह पूछे जाने पर कि क्या सीबीआई के मामलों और घोटालों से प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी विरासत को प्रभावित कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि इसका फैसला इतिहास को करना है। मैं अपना काम कर रहा हूं और अपना काम करता रहूंगा। मेरे 10 साल तक प्रधानमंत्री रहने का क्या असर हुआ इसका फैसला इतिहासकार करेंगे।
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