उदयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव प्रचार का आगाज करते भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने उदयपुर रैली में कहा कि "यह नजारा कह रहा है,हवा का रूख क्या है"।
उदयपुर में फिर सत्ता परिवर्तन का बिगुल बजाते हुए मुख्य वक्ता के रूप में मोदी ने कहा,मेवाड़ की वीर भूमी का प्रणाम,सबसे पहले मेवाड़ से ही अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका गया था।
फैसला आज कर लो, क्या कांग्रेस पर भरोसा करेंगे?
मोदी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब कांग्रेस को ही इस सरकार पर भरोसा नहीं तो भला आपको कैसे होगा?
मोदी ने फिर लिया शहजादे का नाम
मोदी ने एकबार फिर शहजादे का नाम लेते हुए कहा कि जिस मुख्यमंत्री पर पार्टी के युवराज को भरोसा नहीं। जो मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना चोरी-छिपकर चोरी की मोटरसाइकिल पर गोपालागढ़ पहुंचते हैं। ऎसे मुख्यमंत्री पर क्या आप भरोसा करोगे?
उदयपुर में मोदी से पहले राजे का "आक्रमण"
मोदी के संबोधन से पहले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने अपने भाषण में कांग्रेस पर धावा बोलते हुए सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है। राजे ने अपने भाषण में जहां कांग्रेस मुक्त भारत के लक्ष्य को दोहराया वहीं नौजवानों को रोजगार देने का आश्वासन भी दिया।
ज्ञातव्य है कि 11 सितम्बर को कांग्रेस अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी सलूम्बर में जनजाति समाज के बीच ला चुकी है। मोदी की आमसभा को उसका भी जवाब माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मोदी के राजस्थान में अपने चुनाव प्रचार के लिए उदयपुर को चुनने के पीछे गुजरात के साबरकांठा, बनासकांठा व नवसृजित अरावली जिले की आधा दर्जन से अधिक विधानसभा सीटें है। इनमें से डूंगरपुर व उदयपुर जिले के कई विधानसभा क्षेत्रों के लोगों का सामाजिक, आर्थिक व व्यावसायिक जुड़ाव वहां से है। राजस्थान विधानसभा के साथ आगामी लोकसभा चुनावों में भी पार्टी इसका सीधा लाभ देख रही है।
मोदी के जरिए नजर 28 सीटों पर
मोदी की इस रैली के लिए मेवाड़ को चुनने को लेकर भी कई बातें सामने आ रही है। जाहिर है सबसे महत्वपूर्ण इसी तथ्य को माना जा रहा है कि सत्ता का गलियारा तक पहुंचने के लिए मेवाड़ महत्वपूर्ण सीढ़ी है।
गत चुनावों में भाजपा का मेवाड़ से एक प्रकार सूपड़ा साफ हो गया था। कांग्रेस को 28 में से 20 सीटें हासिल हुई थी और भाजपा 2003 के चुनावों के मुकाबले 6 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। इसमे से भी चित्तौड़गढ़ जिले में तो नामलेवा भी नहीं बचा। हालांकि हार के प्रमुख कारणों में गलत टिकट वितरण भी माना गया लेकिन प्रदेश स्तर पर पार्टी के सत्ताच्युत होने के पीछे मेवाड़ में पिछड़ने को ही माना गया।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 96 व भाजपा को 78 सीटे मिली थी अर्थात 18 सीटों का अंतराल रहा। बाद में कांग्रेस ने घाटोल से बतौर बागी जीते नानालाल को लालबत्ती देकर जरूरी बहुमत जुटा लिया। कुल मिलाकर कांग्रेस मेवाड़ के रास्ते ही सत्ता तक पहुंची।
इस चुनाव में भाजपा मेवाड़ की सत्ता में अहमियत को समझ चुकी है। यही कारण है कि जनजाति के साथ अन्य सीटों पर भी पूरी नजर रखे हुए हैं।
उदयपुर में फिर सत्ता परिवर्तन का बिगुल बजाते हुए मुख्य वक्ता के रूप में मोदी ने कहा,मेवाड़ की वीर भूमी का प्रणाम,सबसे पहले मेवाड़ से ही अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका गया था।
फैसला आज कर लो, क्या कांग्रेस पर भरोसा करेंगे?
मोदी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब कांग्रेस को ही इस सरकार पर भरोसा नहीं तो भला आपको कैसे होगा?
मोदी ने फिर लिया शहजादे का नाम
मोदी ने एकबार फिर शहजादे का नाम लेते हुए कहा कि जिस मुख्यमंत्री पर पार्टी के युवराज को भरोसा नहीं। जो मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना चोरी-छिपकर चोरी की मोटरसाइकिल पर गोपालागढ़ पहुंचते हैं। ऎसे मुख्यमंत्री पर क्या आप भरोसा करोगे?
उदयपुर में मोदी से पहले राजे का "आक्रमण"
मोदी के संबोधन से पहले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने अपने भाषण में कांग्रेस पर धावा बोलते हुए सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है। राजे ने अपने भाषण में जहां कांग्रेस मुक्त भारत के लक्ष्य को दोहराया वहीं नौजवानों को रोजगार देने का आश्वासन भी दिया।
ज्ञातव्य है कि 11 सितम्बर को कांग्रेस अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी सलूम्बर में जनजाति समाज के बीच ला चुकी है। मोदी की आमसभा को उसका भी जवाब माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मोदी के राजस्थान में अपने चुनाव प्रचार के लिए उदयपुर को चुनने के पीछे गुजरात के साबरकांठा, बनासकांठा व नवसृजित अरावली जिले की आधा दर्जन से अधिक विधानसभा सीटें है। इनमें से डूंगरपुर व उदयपुर जिले के कई विधानसभा क्षेत्रों के लोगों का सामाजिक, आर्थिक व व्यावसायिक जुड़ाव वहां से है। राजस्थान विधानसभा के साथ आगामी लोकसभा चुनावों में भी पार्टी इसका सीधा लाभ देख रही है।
मोदी के जरिए नजर 28 सीटों पर
मोदी की इस रैली के लिए मेवाड़ को चुनने को लेकर भी कई बातें सामने आ रही है। जाहिर है सबसे महत्वपूर्ण इसी तथ्य को माना जा रहा है कि सत्ता का गलियारा तक पहुंचने के लिए मेवाड़ महत्वपूर्ण सीढ़ी है।
गत चुनावों में भाजपा का मेवाड़ से एक प्रकार सूपड़ा साफ हो गया था। कांग्रेस को 28 में से 20 सीटें हासिल हुई थी और भाजपा 2003 के चुनावों के मुकाबले 6 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। इसमे से भी चित्तौड़गढ़ जिले में तो नामलेवा भी नहीं बचा। हालांकि हार के प्रमुख कारणों में गलत टिकट वितरण भी माना गया लेकिन प्रदेश स्तर पर पार्टी के सत्ताच्युत होने के पीछे मेवाड़ में पिछड़ने को ही माना गया।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 96 व भाजपा को 78 सीटे मिली थी अर्थात 18 सीटों का अंतराल रहा। बाद में कांग्रेस ने घाटोल से बतौर बागी जीते नानालाल को लालबत्ती देकर जरूरी बहुमत जुटा लिया। कुल मिलाकर कांग्रेस मेवाड़ के रास्ते ही सत्ता तक पहुंची।
इस चुनाव में भाजपा मेवाड़ की सत्ता में अहमियत को समझ चुकी है। यही कारण है कि जनजाति के साथ अन्य सीटों पर भी पूरी नजर रखे हुए हैं।
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