शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2013

भिखारियों ने किया सूखे खाने का बहिष्कार

भिखारियों ने किया सूखे खाने का बहिष्कार

रायपुर। छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में भिखारियों ने अपना संगठन बनाकर अजीबोगरीब फरमान जारी किया है। भिखारियों ने बगैर दाल और पकवान के होने वाले भिक्षुक भोजों का बहिष्कार शुरू कर दिया है। कई जिलों में पितृपक्ष के दौरान ऎसा ही देखा गया।

बताया जाता है कि महंगाई की वजह से पितृपक्ष में भिखारियों को खाना खिलाने की परंपरा भी लगभग खत्म होती जा रही है। राजधानी रायपुर के भिखारी खाना खिलाने वाले जजमान को जो "मेनू" दे रहे हैं, उससे उनके होश उड़ रहे हैं। उनके मेनू में दाल और पकवान को जरूरी कर दिया गया है, जिससे जजमान बिचक रहे हैं।

वे भिक्षुक भोज कराने के बजाय सामान्य भंडारा करा रहे हैं। इससे भी भिक्षुक आक्रोशित हैं। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि हिंदू धर्म के अनुसार, पितृपक्ष में कौओं या फिर भिखारियों को भोजन कराने से मृत व्यक्ति की आत्मा को तृप्ति और शांति मिलती है।

रायपुर के तिल्दा इलाके में देवारपारा, गोवर्धनपारा, स्टेशन चौक आदि जगहों पर भिखारियों का डेरा है। पितृपक्ष में भिक्षुकों की ज्यादा मांग को देखते हुए तिल्दा के भिखारियों ने अघोषित तौर पर यूनियन बना ली है। यूनियन की सहमति के बगैर कोई भी भिखारी भोज में शामिल नहीं होता।

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