गुरुवार, 3 अक्टूबर 2013

लक्ष्मणानंद मर्डर केस में दोषियों को उम्रकैद



भुवनेश्वर। ओडिशा में फुलबनी की एक अदालत ने विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती और उनके चार शिष्यों की हत्या के दोषी माओवादी नेता उदय सहित आठ दोषियों को आज आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेंद्र कुमार तोष ने इस मामले में 30 सितंबर को सात आरोपियों को दोषी ठहराया था। उदय उर्फ पुराली रामा राव को एक अक्टूबर को दोषी करार दिया गया था।



स्वामी लक्ष्मणानंद और उनके शिष्यों की 23 अगस्त 2008 को जन्माष्टमी की रात कंधमाल जिले में उनके जलेशपाटा आश्रम में हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद कंधमाल और राज्य के अन्य भागों में सांप्रदायिक संघर्ष शुरू हो गए थे जिसमें अनेक लोग मारे गए थे। सैकड़ों घर और चर्च जला दिए गए थे और हजारों लोग बेघर हुए थे। स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या और उसके बाद हुए सांप्रदायिक संघर्ष ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया था।



इसके बाद राज्य सरकार ने पुलिस की अपराध शाखा से इस मामले की जांच के आदेश दिए थे और एक जांच आयोग का गठन किया था। अपराध शाखा ने इस मामले में माओवादी नेता सव्यसाची पांडा और उनके कुछ साथियों सहित 14 लोगों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया था लेकिन नौ आरोपी ही गिरफ्तार किए जा सके।



जिन दोषियों को सजा सुनाई गई हैं उनके नाम दुर्योधन सुना मांझी, मुंडा बडमांझी, सनातन बडमांझी, गणनाथ चालानसेठ, बिजय कुमार सनसेठ, भास्कर सनमाझी, बुद्धदेव नायक और माओवादी नेता उदय हैं। अपराध शाखा ने सोमनाथ दंडसेना को भी इस मामले में गिरफ्तार किया था लेकिन अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में उसे बरी कर दिया।

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