क्या होती है आदर्श चुनाव संहिता
जिस दिन चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान करता है, उसी दिन से आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है।
कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते, जिसके कारण अलग-अलग जाति, समुदाय या धर्म के लोगों के बीच तनाव बढ़ने की स्थिति पैदा हो।
- दूसरे दलों की आलोचना उसकी नीति, कार्यक्रम और किए गए काम के आधार पर की जा सकती है। निजी जिंदगी पर टिप्पणी नहीं किया जा सकता।
-वोट सुनिश्चित करने के लिए जातिगत और सांप्रदायिक भावनाएं नहीं फैलाई जा सकतीं।
मीटिंग
- प्रस्तावित मीटिंग के वक्त और जगह की सूचना पार्टी या उम्मीदवार को लोकल पुलिस प्रशासन को देनी चाहिए।
- मीटिंग के सिलसिले में अगर लाउडस्पीकर आदि का इस्तेमाल करना है, तो संबंधित अधिकारियों से पहले इजाजत लेनी होगी।
रैली
- पार्टी या उम्मीदवार को रैली की तारीख और जगह के बारे में पहले तय करना होगा। साथ ही रैली किस रास्ते से गुजरेगी और किस वक्त कहां खत्म होगी, यह भी पहले ही बताना होगा।
-आयोजक को रैली के लिए जगह की दिक्कत ना हो इसलिए पहले से इंतजाम करना होगा ताकि ट्रैफिक जाम न हो।
पोलिंग के दिन
-पोलिंग के दिन और इससे 24 घंटे पहले कोई पार्टी या उम्मीदवार शराब नहीं बांट सकता।
- पोलिंग बूथ के पास बने उम्मीदवारों के कैंप पर गैर जरूरी भीड़ जमा नहीं हो सकती।
पोलिंग बूथ
-वोटर के अलावा कोई भी शख्स चुनाव आयोग से जारी एंट्री पास के बगैर पोलिंग बूथ में प्रवेश नहीं कर सकता।
पर्यवेक्षक
- अगर किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट को चुनाव से संबंधित कोई शिकायत है तो वह इसकी जानकारी पर्यवेक्षक को दे सकता है।
सत्ताधारी पार्टी
- कोई भी सत्ताधारी पार्टी चाहे वह केंद्र की हो या राज्य की, चुनाव प्रचार में अपनी ऑफिशियल पोजिशन का इस्तेमाल नहीं कर सकती। कोई मंत्री आधिकारिक भ्रमण को चुनाव के काम के साथ नहीं जोड़ सकता और न ही प्रचार के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर सकता है।
- चुनाव के दौरान मीडिया कवरेज को प्रभावित करने के लिए किसी तरह के सरकारी विज्ञापन नहीं दे सकते और न ही सत्ताधारी दल की उपलब्धियों के विज्ञापन दे सकते हैं।
- कोई भी मंत्री इस दौरान सहायता राशि जारी नहीं कर सकता है।
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