जयपुर । कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता अब अपनी पत्नी, बेटे और बेटियों को राजनीति के मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे है। दोनों ही दलों के एक दर्जन नेताओं ने पार्टी आलाकमान को साफ कह दिया कि वे अब आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते, बल्कि अपने रिश्तेदारों राजस्थान विधानसभा में देखना चाहते है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जहां इस बार मप्र. के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की तरह राज्य की चुनावी राजनीति से बाहर होकर अब केन्द्र में राजनीतिक रूप से सक्रिय होना चाहते है। वे अपने बेटे वैभव गहलोत को अपनी परम्परागत सीट सरदारपुरा से चुनाव लड़ाने की योजना बना रहे है। वैभव पिछले दो साल से वहां सक्रिय भी है। हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाडि़या अपने बेटे संजय पहाडि़या को विधानसभा में देखना चाहते है। पहाडि़या की पत्नी शांति पहाडि़या भी राज्यसभा सदस्य रह चुकी है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सी.पी. जोशी अपनी परम्परागत सीट नाथद्वारा से अपने बेटे को चुनाव लड़ाना चाहते है, वे यहां से चार बार विधायक रहे, पिछला चुनाव एक वोट से हार गए।
जोशी अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव लड़कर केन्द्र की राजनीतिक में ही सक्रिय रहना चाहते है। इसी तरह केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट की पत्नी सारा पायलट के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर काफी चर्चा है। वे टोंक से चुनाव लड़ सकती है।
मुस्लिम बाहुल्य इस विस. क्षेत्र में गुर्जर समाज भी काफी तादाद में है। प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व का सोच है कि सारा पायलट के विस. चुनाव लड़ने से गुर्जर, मुस्लिम मतदाता कांग्रेस के पक्ष में ओर अधिक सक्रियता से साथ होगा, जिसका कई क्षेत्रों में प्रभाव हो सकता है। हालांकि सचिन ने इस बारे में अपना रूख अभी तक स्पष्ट नहीं किया है।
केन्द्रीय मंत्री शीशराम ओला एक बार फिर अपने बेटे बृजेन्द्र ओला को विधानसभा में देखना चाहते है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा अपनी परम्परागत सीट बूंदी से इस बार अपने बेटे को चुनाव लड़वाकर खुद केन्द्र की राजनीति में ही सक्रिय रहना चाहती है।
वहीं उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी तो पहले से ही भाजपा विधायक है, लेकिन इस बार उनके दोहिते भी टिकट मांग रहे है। दिग्गज भाजपा नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री नटवर सिंह के बेटे जगत सिंह, वरिष्ठ जाट नेता ज्ञान प्रकाश पिलानिया के बेटे नवीन, पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसकौर मीणा खुद के साथ ही अपने भतीजे वीरेन्द्र मीणा को भाजपा का टिकट दिलवाने का प्रयास कर रही है। इस तरह से दोनों ही दलों के करीब एक दर्जन वरिष्ठ नेता अपने रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के जुगाड़ में जुटे है, हालांकि इन प्रयासों का दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में विरोध भी है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे परिवारवाद को बढ़ावा मिलेगा, संगठन में काम कर रहे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होगी। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अर्चना शर्मा का कहना है कि टिकट सोच विचार कर जीतने योग्य व्यक्ति को ही दिए जाएंगे।
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