नई दिल्ली। साकेत कोर्ट ने दिल्ली गैंगरेप के चारों दोषियों को फांसी की सजा सुना दी है। कोर्ट में पीड़िता के मां-बाप और तमाम लोगों की मौजूदगी में जज योगेश खन्ना ने चारों दोषियों पवन गुप्ता, मुकेश सिंह, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को फांसी की सजा सुनाई। निर्भया के माता-पिता ने इस फैसले पर खुशी जताई और लोगों का साथ देने के लिए धन्यवाद दिया।
अभियोजक पक्ष के वकील ने जानकारी दी कि कोर्ट ने इस मामले को रेयर ऑफ रेयरेस्ट यानी दुर्लभतम माना। जज के फैसले के मुताबिक, 'ऐसे समय में जब महिलाओं के खिलाफ अपराध चरम पर हैं, कोर्ट इस तरह के खौफनाक और वहशीयाना अपराध को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस केस में सहनशीलता नहीं दिखाई जा सकती।'
वहीं, बचाव पक्ष के वकील ए पी सिंह ने कहा कि कोर्ट ने सभी सबूत नजरअंदाज किए। राजनीतिक दबाव में फैसला लिया गया। हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। सिंह ने गृहमंत्री सुशील शिंदे के उस बयान पर भी सवाल उठाए, जिसमें शिंदे ने दोषियों को फांसी की उम्मीद जताई थी। सिंह ने कहा कि दोषियों की न्याय की उम्मीद 10 सितंबर को ही टूट गई थी।
बचाव पक्ष ने दोषियों के लिए रहम दिखाने की अपील करते हुए फांसी न देने की मांग की थी। इसके लिए महात्मा गांधी को भी उद्धृत किया गया था। लेकिन जज ने सभी दलीलों को नकारते हुए दोषियों को फांसी की सजा सुना दी।
दोषियों पर फैसले के मद्देनजर आज साकेत कोर्ट की तरफ वाले दोनों रास्तों पर बैरिकेडिंग की गई थी। सिर्फ उन्ही लोगों को कोर्ट के अंदर जाने दिया गया जिनके केस हैं या कोर्ट के कर्मचारी है या फिर वकील हैं। हर आदमी की तलाशी ली गई। इसके अलावा वीडियो रिकार्डिंग भी की गई।
बता दें कि दिल्ली की साकेत कोर्ट में बुधवार को केस पर बहस पूरी हो गई थी। जज ने दोनों पक्षों की बहस को सुनने के बाद फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था। साकेत कोर्ट ने चारों को रेप, हत्या, साजिश सहित 13 धाराओं में दोषी करार दिया था। पुलिस ने चारों दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी।
सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ था पढ़ें-
-मुकेश ने जो नहीं किया, उसकी सजा न दी जाए। वो सिर्फ बस चला रहा था-मुकेश का वकील
-पवन गुप्ता की कम उम्र और सामाजिक पृष्ठभूमि को देखा जाए। उसे मौत की सजा न दी जाए। कम उम्र और अनपढ़ पवन शराब के नशे में था- पवन का वकील
-पवन को मृत्युदंड के बजाय आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए। पवन केवल 19 साल का है और उसे सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए है- पवन का वकील
-पवन बस में सवार हुआ हो सकता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि उसने सभी अपराध किए- पवन का वकील
-मौत की सजा मूलभूत अधिकारों का हनन है- बचाव पक्ष के वकील
-अपराध अचानक से हुआ, पहले से योजना नहीं बनाई गई थी- बचाव पक्ष के वकील
-दोषियों की कम उम्र को देखते हुए उन पर नरमी बरती जाए, ऐसे मामलों में अब तक उम्रकैद ही दी जाती है, फांसी की सजा अपवाद है – बचाव पक्ष के वकील
-बचाव पक्ष ने कोर्ट में जिरह शुरू की। शिंदे के फांसी की उम्मीद वाले बयान पर डिफेंस की आपत्ति। कोर्ट ने कहा के ये उनकी अपनी राय, अदालत सबूतों के आधार पर चलती है।
-दोषियों पर कोई दया न दिखाई जाए, इन्होंने एक मासूम लड़की की जान ली, वो गिड़गिड़ाती रही पर दोषी नहीं माने- अभियोजन पक्ष के वकील
-कोर्ट में पुलिस ने चारों के लिए फांसी की मांग की।
-दिल्ली पुलिस कड़ी सुरक्षा में चारों को लेकर कोर्ट पहुंची।
-कोर्ट के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था।
कौन-कौन सी धाराएं लगीं?
- धारा 302 यानि हत्या की धारा, इसमें उम्रकैद से फांसी तक की सजा है।
- 376(2G) यानि गैंगरेप- इसमें 10 साल से लेकर उम्रकैद की सजा है।
- धारा 307 यानि हत्या की कोशिश- इसमें 10 साल कैद की सजा है।
- धारा 394 यानि लूट और चोट पहुंचाना- इसमें 10 साल कैद है।
- धारा 395 यानि डकैती- इसमें उम्रकैद का प्रावधान है।
- धारा 386 डकैती के साथ हत्या- इसमें उम्रकैद या फांसी का प्रावधान है।
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