कब और केसे करें श्री विनायक/गणेश की स्थापना..
*पंडित दयानन्द शास्त्री*
इस वर्ष श्री गणेश चतुर्दशी 9 सितंबर 2013 को है इस दिन बडी़ धूमधाम से श्रीगणेशजी की स्थापना की जाएगी ।
इस दिन श्री गणेश की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त है :-
सुबह 9 बजे से 10.30 तक शुभ
दोपहर 1.30 से 3.00 तक चर
3.00 से 4.30 सायं चौघड़िया काल में श्रीगणेशजी की स्थापना करना अत्यंत शुभ समय है।
गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं-
सुमुख, एकदंत,कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन।
जानिए श्री गणेश जी के बारे में :----
गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया...!!!!
देवा हो देवा गणपति देवा तुमसे बढ़कर कौन, स्वामि तुमसे बढ़कर कौन...!!!
पूजन के प्रथम मे इन नामो से गणपति के अराधना का विधान है|
पिता- भगवान शिव ,माता- भगवती पार्वती
भाई- श्री कार्तिकेय, बहन- अशोक सुन्दरी
पत्नी- दो 1.रिद्धि 2. सिद्धि
पुत्र- दो 1. शुभ 2. लाभ
प्रिय भोग - मोदक, लड्डू
प्रिय पुष्प- लाल रंग के
प्रिय वस्तु- दुर्वा (दूब) शमी-पत्र
अधिपति- जल तत्व के
प्रमुख अस्त्र- पाश, अंकुश
वाहन - मूषक मूषक
हमारे धर्म ग्रंथों में इस संबंध में कई नियम बताए गए हैं। यदि इन नियमों के अनुसार भगवान श्रीगणेश की स्थापना व पूजन प्रतिदिन करें व कुछ सावधानियों को ध्यान रखें तो श्रीगणेश पूजन का मनोवांछित फल मिलता है।
यह नियम व सावधानियां इस प्रकार हैं----
1- जहां पर भगवान श्रीगणेश की स्थापना करें उस स्थान को प्रतिदिन साफ करें.
2- सुबह-शाम दीपक व भोग लगाएं तथा आरती करें।
3- श्रीगणेश को तुलसी का पत्ता मिला हुआ भोग न लगाये।
4- श्रीगणेश की स्थापना ईशाण कोण में करें। स्थापना इस प्रकार करें कि श्रीगणेश की मूर्ति का मुख पश्चिम की ओर रहे।
5- स्थापना स्थल पर मृतात्माओं का चित्र न लगाएं।
6- स्थापना स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी चीज न रखें।
7- दुर्वा व ताजे फूल चढ़ाएं तो बेहतर रहेगा।
8- स्थापना स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें जैसे- चप्पल पहनकर कोई स्थापना स्थल तक न जाए, चमड़े का बेल्ट या पर्स रखकर कोई पूजा न करें आदि।
9- किसी भी प्रकार का नाश करके स्थापना स्थल पर न जाएं।
10- स्थापना के बाद श्रीगणेश की प्रतिमा को इधर-उधर न रखें यानी हिलाएं नहीं।
11- स्थापना स्थल के समीप बैठकर किसी धर्म ग्रंथ का पाठ रोज करेंगे तो शुभ फल मिलेगा।
*पंडित दयानन्द शास्त्री*
इस वर्ष श्री गणेश चतुर्दशी 9 सितंबर 2013 को है इस दिन बडी़ धूमधाम से श्रीगणेशजी की स्थापना की जाएगी ।
इस दिन श्री गणेश की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त है :-
सुबह 9 बजे से 10.30 तक शुभ
दोपहर 1.30 से 3.00 तक चर
3.00 से 4.30 सायं चौघड़िया काल में श्रीगणेशजी की स्थापना करना अत्यंत शुभ समय है।
गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं-
सुमुख, एकदंत,कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन।
जानिए श्री गणेश जी के बारे में :----
गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया...!!!!
देवा हो देवा गणपति देवा तुमसे बढ़कर कौन, स्वामि तुमसे बढ़कर कौन...!!!
पूजन के प्रथम मे इन नामो से गणपति के अराधना का विधान है|
पिता- भगवान शिव ,माता- भगवती पार्वती
भाई- श्री कार्तिकेय, बहन- अशोक सुन्दरी
पत्नी- दो 1.रिद्धि 2. सिद्धि
पुत्र- दो 1. शुभ 2. लाभ
प्रिय भोग - मोदक, लड्डू
प्रिय पुष्प- लाल रंग के
प्रिय वस्तु- दुर्वा (दूब) शमी-पत्र
अधिपति- जल तत्व के
प्रमुख अस्त्र- पाश, अंकुश
वाहन - मूषक मूषक
हमारे धर्म ग्रंथों में इस संबंध में कई नियम बताए गए हैं। यदि इन नियमों के अनुसार भगवान श्रीगणेश की स्थापना व पूजन प्रतिदिन करें व कुछ सावधानियों को ध्यान रखें तो श्रीगणेश पूजन का मनोवांछित फल मिलता है।
यह नियम व सावधानियां इस प्रकार हैं----
1- जहां पर भगवान श्रीगणेश की स्थापना करें उस स्थान को प्रतिदिन साफ करें.
2- सुबह-शाम दीपक व भोग लगाएं तथा आरती करें।
3- श्रीगणेश को तुलसी का पत्ता मिला हुआ भोग न लगाये।
4- श्रीगणेश की स्थापना ईशाण कोण में करें। स्थापना इस प्रकार करें कि श्रीगणेश की मूर्ति का मुख पश्चिम की ओर रहे।
5- स्थापना स्थल पर मृतात्माओं का चित्र न लगाएं।
6- स्थापना स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी चीज न रखें।
7- दुर्वा व ताजे फूल चढ़ाएं तो बेहतर रहेगा।
8- स्थापना स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें जैसे- चप्पल पहनकर कोई स्थापना स्थल तक न जाए, चमड़े का बेल्ट या पर्स रखकर कोई पूजा न करें आदि।
9- किसी भी प्रकार का नाश करके स्थापना स्थल पर न जाएं।
10- स्थापना के बाद श्रीगणेश की प्रतिमा को इधर-उधर न रखें यानी हिलाएं नहीं।
11- स्थापना स्थल के समीप बैठकर किसी धर्म ग्रंथ का पाठ रोज करेंगे तो शुभ फल मिलेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें