बारिश से बही सड़कें, खेतों में फसलें बर्बाद बारिश से चौपट हुई फसलें
कच्चे मकान ढहे, पेड़ उखड़े बारिश से उखड़ी सड़कें, हर डगर पर गड्ढ़े
बाड़मेर
जिलेभर में दो दिन तक हुई लगातार बारिश ने शहर की तस्वीर बदल दी है। हर तरफ बर्बादी का मंजर नजर आ रहा है। जहां सड़कें पानी के साथ बह गई है तो किसानों की पक्की-पकाई फसलें नष्ट होने से भूमि पुत्र बर्बाद हो गए। वहीं बारिश के दूसरे दिन भी बाड़मेर शहर की कई कॉलोनियां जलमग्न हुई नजर आई। बरसाती पानी से घिरे घरों से बाहर निकल पाना हर किसी के लिए चुनौती बना रहा है। हालात ये है कि अगर घर से बाहर भी निकल लें तो सड़कों पर चल पाना मुश्किल है। क्योंकि बरसात के बाद सड़कें पानी में बह गई, जगह-जगह गहरे गड्ढ़े बने होने से दुपहिया सहित राहगीरों का पैदल चल पाना भी मुश्किल हो चुका है। हर तरफ पानी और कीचड़ के बीच लोगों को भारी परेशानी भरा सफर तय करना पड़ रहा है। दो दिन तक चली बरसात ने नगर परिषद के दावों की परते खोल दी है।
हर तरफ फसल खराबे के मुआवजे की मांग: बाड़मेर जैसलमेर सांसद हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बाड़मेर जिले में हुए अतिवृष्टि से फसल खराबे का मुआवजा दिलवाने की मांग की है। सांसद चौधरी ने बताया कि हाल ही हुई लगातार बारिश से फसलों को बहुत नुकसान हुआ है
बाड़मेर शहर में दो दिन तक हुई 30 घंटे तक लगातार बारिश के बाद रविवार को भी शहर की कई कॉलोनियां पानी से जलमग्न हुई नजर आई। बलदेव नगर, महावीर नगर, कृषि उपज मंडी, गांधी नगर सहित कई कॉलोनियों में दूसरे दिन भी बरसाती पानी भरा रहने से लोगों का घर से बाहर तक निकल पाना मुश्किल रहा। हर तरफ भरे पानी ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया। महावीर नगर में तो बरसाती पानी से कई मकान घिरे होने से लोगों को घरों से बाहर निकलने के लिए वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है। मोहल्ले में करीब एक से डेढ़ फीट तक पानी भरा रहा। इसी तरह बलदेव नगर डूंगर विद्यापीठ के पीछे के इलाके में करीब चालीस सेअधिक कच्चे व पक्के घर पानी से घिरे हुए हंै।
गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं होने से यह पानी बलदेव नगर इलाके के कई घरों में घुस गया। जिससे कई लोग तो घरों को छोड़ गांव तक चले गए। महावीरनगर इलाके में बच्चों के खेलने-कूदने के लिए बनाया पार्क पानी में डूबा हुआ है। जहां झूले व फिसलन पट्टी सहित पूरा मैदान पानी में है।
गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं होने से यह पानी बलदेव नगर इलाके के कई घरों में घुस गया। जिससे कई लोग तो घरों को छोड़ गांव तक चले गए। महावीरनगर इलाके में बच्चों के खेलने-कूदने के लिए बनाया पार्क पानी में डूबा हुआ है। जहां झूले व फिसलन पट्टी सहित पूरा मैदान पानी में है।
कॉलोनियां जलमग्न, सीवरेज फेल
शहर की कई कॉलोनियां जलमग्न, घर से बाहर निकलना मुश्किल,किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी, कहीं कच्चे मकान ढहे तो कही पेड़ हुए धराशायी
बारिश से जहां फसलें तो बर्बाद हुई है साथ ही कच्चे मकान व पेड़ भी धराशायी हो गई। कच्ची बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवारों के कच्चे मकान बारिश के साथ ही ढह जाने से अब आसमान तले बसेरा करने को मजबूर है। हालात ये है कि तेज हवाओं के साथ हुई बारिश से पेड़ों को भी भारी नुकसान हुआ है। सड़कों के किनारे सहित खेतों में खड़े पेड़ तेज हवा के साथ गिर गए। वहीं बाड़मेर शहर के नजदीक बाड़मेर आगोर भीलों की बस्ती में करीब दस से अधिक गरीब परिवारों के कच्चे मकान ढह गए। ऐसे हालात कोई एक कस्बे या गांव के नहीं है, बल्कि जिलेभर में जहां गरीब परिवारों के कच्चे गोबर से बने मकान है वो धराशायी हुए हैं।
बारिश से बाड़मेर शहर के हर मोहल्ले व गली की सड़कें उखड़ चुकी हंै। सड़कों पर बरसाती पानी की रपट चलने से सड़कों पर गहरे गड्ढ़े बन चुके हैं। हालात ये है कि इन गड्ढों पर सफर तय करना किसी हादसे से कम नहीं है। चाहे शहर का सिणधरी चौराहा हो या कोई गली-मोहल्ला सड़केंं की बदसूरत देख विकास कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। कुछ दिन पूर्व ही निर्माण की गई सड़के एक ही बारिश के साथ बह गई। जिससे अब सड़क नहीं हर तरफ गड्ढ़े ही गड्ढ़े नजर आते हंै। बाड़मेर-सिणधरी मार्ग पर तो बरसाती पानी के तेज बहाव से आधा हाइवे ही पानी के साथ बह गया है। जिससे हर समय हादसे की आशंका बनी हुई है।
रात्रि या तेज रफ्तार से आ रहे वाहन कभी भी इस हाइवे से हादसों का शिकार हो सकते हंै।
तेज व तूफानी बारिश से जिलेभर में किसानों की उम्मीदें व अरमानों पर पानी फिर गया है। किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ तीन माह पूर्व फसलों की बंपर बुवाई की थी कि अच्छी बारिश के बाद लिया कर्ज चुकता कर देंगे। लेकिन दो दिन तक हुई बारिश ने किसानों की पक्की-पकाई फसलों को मिट्टी में मिला दिया। कहीं फसलें पानी में बह गई तो कहीं तेज हवा के साथ ही बारिश से फसलें जमींदोज हो गई। वहीं जिन किसानों ने फसलों की कटाई कर रखी थी वो फसलें भी बरसात से खराब हो गई।
ऐसे में धरतीपुत्रों को भारी नुकसान होने से अपनी किस्मत को कोसने लगे हंै। हर तरफ किसानों को नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की मांग की जा रही है। बारिश से बाजरा, मूंग, मोठ, तिल सहित कई फसलों को 50-60 फीसदी नुकसान हुआ है।
सरकार मुआवजा दें
शहर की कई कॉलोनियां जलमग्न, घर से बाहर निकलना मुश्किल,किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी, कहीं कच्चे मकान ढहे तो कही पेड़ हुए धराशायी
बारिश से जहां फसलें तो बर्बाद हुई है साथ ही कच्चे मकान व पेड़ भी धराशायी हो गई। कच्ची बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवारों के कच्चे मकान बारिश के साथ ही ढह जाने से अब आसमान तले बसेरा करने को मजबूर है। हालात ये है कि तेज हवाओं के साथ हुई बारिश से पेड़ों को भी भारी नुकसान हुआ है। सड़कों के किनारे सहित खेतों में खड़े पेड़ तेज हवा के साथ गिर गए। वहीं बाड़मेर शहर के नजदीक बाड़मेर आगोर भीलों की बस्ती में करीब दस से अधिक गरीब परिवारों के कच्चे मकान ढह गए। ऐसे हालात कोई एक कस्बे या गांव के नहीं है, बल्कि जिलेभर में जहां गरीब परिवारों के कच्चे गोबर से बने मकान है वो धराशायी हुए हैं।
बारिश से बाड़मेर शहर के हर मोहल्ले व गली की सड़कें उखड़ चुकी हंै। सड़कों पर बरसाती पानी की रपट चलने से सड़कों पर गहरे गड्ढ़े बन चुके हैं। हालात ये है कि इन गड्ढों पर सफर तय करना किसी हादसे से कम नहीं है। चाहे शहर का सिणधरी चौराहा हो या कोई गली-मोहल्ला सड़केंं की बदसूरत देख विकास कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। कुछ दिन पूर्व ही निर्माण की गई सड़के एक ही बारिश के साथ बह गई। जिससे अब सड़क नहीं हर तरफ गड्ढ़े ही गड्ढ़े नजर आते हंै। बाड़मेर-सिणधरी मार्ग पर तो बरसाती पानी के तेज बहाव से आधा हाइवे ही पानी के साथ बह गया है। जिससे हर समय हादसे की आशंका बनी हुई है।
रात्रि या तेज रफ्तार से आ रहे वाहन कभी भी इस हाइवे से हादसों का शिकार हो सकते हंै।
तेज व तूफानी बारिश से जिलेभर में किसानों की उम्मीदें व अरमानों पर पानी फिर गया है। किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ तीन माह पूर्व फसलों की बंपर बुवाई की थी कि अच्छी बारिश के बाद लिया कर्ज चुकता कर देंगे। लेकिन दो दिन तक हुई बारिश ने किसानों की पक्की-पकाई फसलों को मिट्टी में मिला दिया। कहीं फसलें पानी में बह गई तो कहीं तेज हवा के साथ ही बारिश से फसलें जमींदोज हो गई। वहीं जिन किसानों ने फसलों की कटाई कर रखी थी वो फसलें भी बरसात से खराब हो गई।
ऐसे में धरतीपुत्रों को भारी नुकसान होने से अपनी किस्मत को कोसने लगे हंै। हर तरफ किसानों को नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की मांग की जा रही है। बारिश से बाजरा, मूंग, मोठ, तिल सहित कई फसलों को 50-60 फीसदी नुकसान हुआ है।
सरकार मुआवजा दें
॥तुफानी हवा के साथ हुई बारिश से बाजरे की फसल जमींदोज हो गई। वहीं कटाई की गई फसल भी बरसात से खराब होने के साथ ही दाना उग आया है। किसानों को बरसात से भारी नुकसान हुआ है, जिसके लिए सरकार सर्वे करवाकर उचित मुआवजा दिलाए।
तगाराम चौधरी, ग्रामीण सनावड़ा
पटवारियों को सर्वे के निर्देश दिए हैं
पटवारियों को सर्वे के निर्देश दिए हैं
॥जिलेभर में बारिश से नुकसान हुआ है, जिसके लिए सभी पटवारियों को गिरदावरी रिपोर्ट बनाने के निर्देश दे रखे हंै। सोमवार तक सभी पटवारी फसलों के नुकसान को लेकर रिपोर्ट सुपुर्द करेंगे। जिसके बाद उनके नुकसान की भरपाई के लिए रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी
रामचंद्र पचार, तहसीलदार बाड़मेर
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