छत्तीसगढ़ पुलिस का दावा है कि उसने गुरूवार को राजनंदगांव में विजय गजभैय्ये नाम के एक ऐसे शख़्स को गिरफ़्तार किया है जिन पर सरकार से प्रोत्साहन राशि पाने के लिए 'सैकड़ों' शादियां करने का आरोप है.
गिरफ़्तारी के बाद 47 साल के विजय गजभैय्ये ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें याद नहीं कि उन्होंने कितनी शादियां की हैं. हालांकि अंदाज़ा लगाते हुए उन्होंने कहा, "पांच-छह हज़ार शादियां तो की होंगी श्रीमान."
हालांकि इस मामले में राजनंदगांव के सीएसपी शशिमोहन सिंह का कहना है, "विजय की हर बात पर आंख मूंद कर विश्वास नहीं किया जा सकता. आरंभिक जाँच के बाद फ़िलहाल तो पुलिस ने धोखाधड़ी और दस्तावेज़ों के साथ जालसाज़ी के लिए क्रमशः धारा 420, 467 और 468 के तहत मामले दर्ज किए हैं."
"विजय की हर बात पर आंख मूंद कर विश्वास नहीं किया जा सकता. आरंभिक जाँच के बाद फिलहाल तो पुलिस ने धोखाधड़ी और दस्तावेजों के साथ जालसाजी के मामले दर्ज किए हैं."
शशिमोहन सिंह, सीएसपी
शशिमोहन सिंह कहते हैं, "मेरे लिए यक़ीन करना मुश्किल है कि उन्होंने हज़ारों की संख्या में शादियाँ की होगीं. लेकिन उन्होंने जितनी भी शादियाँ की होंगी, उसके बारे में शिकायत मिलने पर हम जाँच पड़ताल करके आगे की कार्रवाई करेंगे."
छत्तीसगढ़ में आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा किसी सवर्ण और अनुसूचित जाति के लड़के-लड़की के बीच होनेवाली अन्तरजातीय शादी पर प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रावधान है.
सरकार की इस अन्तरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना में पहले ऐसी शादी करनेवाले दंपत्ति को छह हज़ार रुपए की राशि दी जाती थी.
प्रोत्साहन राशि
अगस्त 2009 में यह राशि बढ़ाकर 25 हज़ार रुपए कर दी गई और दो साल बाद जुलाई 2011 में ऐसी शादी करनेवाले दंपत्ति को 50,000 रुपया दिया जाने लगा.
विजय गजभैय्ये पर आरोप है कि उन्होंने अन्तर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना की रक़म हड़पने के चक्कर में कुछ सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से सैंकड़ों शादियां कीं.
पुलिस का कहना है कि विजय गजभैय्ये के दावों पर आँख मूंद कर भरोसा नहीं किया जा सकता.
पुलिस के मुताबिक़ इसके लिए वो हर बार छत्तीसगढ़ के अलग-अलग ज़िलों में किसी लड़की के साथ कोर्ट में शादी करने का दस्तावेज़ पेश करते और फिर शादी के उस प्रमाण पत्र के सहारे वो अन्तर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना की रक़म पाते थे.
विजय का कहना है, "यह सब करना आसान नहीं था, उसके लिए लड़की की व्यवस्था करनी पड़ती थी. उन्हें पत्नी बनाना पड़ता था. हमलोग कलक्टर साहब के सामने खड़े हो कर आवेदन करते थे कि हमदोनों कोर्ट मैरेज करना चाहते हैं. इसके बाद दोनों पति-पत्नी बन कर मांग भरी हुई शादी की फ़ोटो पेश करते थे. तब कहीं जा कर हमारी अन्तर्जातीय शादी होती थी और प्रशासन द्वारा 20 हज़ार रुपए मिलते थे."
पुलिस का दावा है कि विजय के पास से उन्होंने कई तरह के प्रमाण पत्र, कई कलक्टरों और दूसरे बड़े अफ़सरों के कार्यालयों की सील-मुहर भी बरामद की हैं, जिनका दुरुपयोग विजय इस ठगी को अंजाम देने के लिए करते थे.विजय फ़िलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
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