नई दिल्ली : अपनी परमाणु क्षमता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत ने आज स्वदेशी परमाणु संपन्न पनडुब्बी अरिहंत पर बने परमाणु रिएक्टर को चालू कर दिया। इस प्रकार आईएनएस अरिहंत की नौसेना द्वारा इसके तैनाती का रास्ता साफ हो गया।
सूत्रों ने बताया, ‘आईएनएस अरिहंत पर तैयार परमाणु रिएक्टर बीती रात सक्रिय कर दिया गया।’ परमाणु त्रयी वास्तव में जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु संपन्न प्रक्षेपास्त्र दागने की क्षमता है। इस रिएक्टर के चालू होने के बाद संबद्ध एजेंसियां जल्द ही युद्धपोत को तैनाती के लिए तैयार करने की दिशा में काम कर सकती हैं।
आईएनएस अरिहंत का विशाखापट्नम में नौसेना के प्रमुख पनडुब्बी बेस में परीक्षण जारी है। परमाणु रिएक्टर चालू होने के बाद जल्द ही इसका समुद्री परीक्षण किया जाएगा। डीआरडीओ ने अरिहंत पर तैनात करने के लिए मध्यम दूरी का परमाणु प्रक्षेपास्त्र बीओ-5 भी तैयार किया है। इसका आखिरी परीक्षण 27 जनवरी को विशाखापत्तनम के तट पर किया गया था।
परमाणु पनडुब्बी भारत को गहरे समुद्र में जाने की क्षमता प्राप्त करने में मददगार होगी। इसे लंबे समय तक सतह पर आने की जरूरत भी नहीं होगी। परंपरागत डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को सेल चार्ज करने के लिए समय-समय पर सतह पर आना पड़ता है।
सूत्रों ने बताया, ‘आईएनएस अरिहंत पर तैयार परमाणु रिएक्टर बीती रात सक्रिय कर दिया गया।’ परमाणु त्रयी वास्तव में जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु संपन्न प्रक्षेपास्त्र दागने की क्षमता है। इस रिएक्टर के चालू होने के बाद संबद्ध एजेंसियां जल्द ही युद्धपोत को तैनाती के लिए तैयार करने की दिशा में काम कर सकती हैं।
आईएनएस अरिहंत का विशाखापट्नम में नौसेना के प्रमुख पनडुब्बी बेस में परीक्षण जारी है। परमाणु रिएक्टर चालू होने के बाद जल्द ही इसका समुद्री परीक्षण किया जाएगा। डीआरडीओ ने अरिहंत पर तैनात करने के लिए मध्यम दूरी का परमाणु प्रक्षेपास्त्र बीओ-5 भी तैयार किया है। इसका आखिरी परीक्षण 27 जनवरी को विशाखापत्तनम के तट पर किया गया था।
परमाणु पनडुब्बी भारत को गहरे समुद्र में जाने की क्षमता प्राप्त करने में मददगार होगी। इसे लंबे समय तक सतह पर आने की जरूरत भी नहीं होगी। परंपरागत डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को सेल चार्ज करने के लिए समय-समय पर सतह पर आना पड़ता है।
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