नई दिल्ली।। भारत को पहली बार एक खास सैटलाइट लॉन्च करने में बड़ी कामयाबी मिली जो पूरी तरह से मिलिटरी को समर्पित है। जीएसएटी-7 सैटलाइट को लॉन्च करने में कुल 185 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इस सैटलाइट के चलते एन्क्रिप्टेड सिस्टम के माध्यम से हिन्द महासागर में इंडियन नेवी को टॉप सीक्रिट जानने में मदद मिलेगी। अब नौसेना के जहाज दुश्मन जहाजों और पनडुब्बियों के सटीक स्थान जानने में और डेटा आदान-प्रदान करने में सक्षम होंगे। इस प्रक्रिया में, बेड़े में हर जहाज के अनुकूल बलों और दुश्मन की सामरिक स्थिति के बारे में व्यापक डिजिटल नक्शा होगा।
जीएसएटी-7 का निर्माण इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन(इसरो) ने किया था। इसे दक्षिण अमेरिका में कौरु से 2 बजे दिन में लॉन्च किया गया। इसमें फ्रैंच-निर्मित एरियन रॉकेट का उपयोग किया गया है। हालांकि इस उपग्रह का निर्माण देश में ही हुआ लेकिन इसरो ने अपने भारी रॉकेट के बजाय लॉन्च करने के लिए एक यूरोपीय रॉकेट किराए पर लिया।भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान(जीएसएलवी)के दुर्घटना ग्रस्त होने से इसरो कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं था। हाल ही में इसमें ईंधन रिवास के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस पूरे मिशन को कामयाब बनाने में 655 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसमें किराए का रॉकेट और इंश्योरेंस खर्च भी शामिल है। 2.5 टन भारी मतलब 5 एडल्ट हाथी के बराबर का उपग्रह लॉन्च करने के साथ ही भारत यूएसए, रूस, फ्रांस और चीन जैसे देशों के क्लब में शामिल हो गया जिनके पास मिलिटरी कम्युनिकेशन सैटलाइट हैं।
जीएसएटी-7 का निर्माण इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन(इसरो) ने किया था। इसे दक्षिण अमेरिका में कौरु से 2 बजे दिन में लॉन्च किया गया। इसमें फ्रैंच-निर्मित एरियन रॉकेट का उपयोग किया गया है। हालांकि इस उपग्रह का निर्माण देश में ही हुआ लेकिन इसरो ने अपने भारी रॉकेट के बजाय लॉन्च करने के लिए एक यूरोपीय रॉकेट किराए पर लिया।भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान(जीएसएलवी)के दुर्घटना ग्रस्त होने से इसरो कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं था। हाल ही में इसमें ईंधन रिवास के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस पूरे मिशन को कामयाब बनाने में 655 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसमें किराए का रॉकेट और इंश्योरेंस खर्च भी शामिल है। 2.5 टन भारी मतलब 5 एडल्ट हाथी के बराबर का उपग्रह लॉन्च करने के साथ ही भारत यूएसए, रूस, फ्रांस और चीन जैसे देशों के क्लब में शामिल हो गया जिनके पास मिलिटरी कम्युनिकेशन सैटलाइट हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें