नई दिल्ली।। लद्दाख में भारत ने चीन को पहली बार अपनी 'ताकत' दिखाई है। चीन की तमाम चेतावनियों को ठेंगा दिखाते हुए भारतीय वायुसेना ने मंगलवार सुबह लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल (LAC) से कुछ ही दूर दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी पर अपना C-130 जे सुपर हर्क्युलीज एयरक्राफ्ट उतारा। लद्दाख में चीन की बढ़ती घुसपैठ की घटनाओं के बाद सुपर हर्क्युलीज को LAC के बिल्कुल करीब उतारने को चीन को कड़ा संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि चीन को जैसे ही सुपर हर्क्युलीज को लद्दाख भेजने की भनक लगी, उसने विरोध जताना शुरू कर दिया था। उसने लद्दाख में सुपर हर्क्युलीज को न उतारने की चेतावनी दी थी। भारत ने अपनी ही जमीन पर अपना विमान न उतारने की चीन की इस धमकी को नजरंदाज कर दिया। वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि सुपर हर्क्युलीज कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन तेजबीर सिंह और 'वेल्ड वाइपर्स' की टुकड़ी के साथ इस हवाई पट्टी पर उतरा। इसके बाद वह वापस हिंडन एयरबेस लौट आया।
वायुसेना के अधिकारी के मुताबिक सुपर हर्क्युलीज की मदद से वासुसेना थलसेना को इस बेहद ऊंचाई वाली पोस्ट पर जरूरी साजो-समान तुरंत मुहैया कराने में सक्षम होगी। यही नहीं युद्ध के हालात में सैनिक टुकड़ी को इस पोस्ट तक मूव कराने में सुपर हर्क्युलीज की भूमिका अहम रहेगी।अक्साई चिन इलाके के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर की यह हवाई पट्टी 16614 फीट (5065 मीटर) ऊंचाई पर है। दौलत बेग ओल्डी भारतीय सेना की बेहद अहम पोस्ट है। यह चीन की ओर जाने वाले पुराने सिल्क रूट को जोड़ती है। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने यह बेस बनाया था। पिछले काफी सालों से इस बेस को इतनी अहमियत नहीं दी जा रही थी। हाल के महीनों में भारतीय सेना ने इस बेस पर अपनी गतिविधियां तेज की हैं।
भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना ने मिलकर इस बेस को फिर से ऐक्टिवेट किया। पिछले दिनों 43 साल बाद दो इंजन वाले AN-32 एयरक्राफ्ट को यहां उतारा गया। वासुसेना ने इसके बाद 20 टन तक भार ले जाने में सक्षम C-130J सुपर हर्क्युलीज को उताने का फैसला किया।
गौरतलब है कि चीन को जैसे ही सुपर हर्क्युलीज को लद्दाख भेजने की भनक लगी, उसने विरोध जताना शुरू कर दिया था। उसने लद्दाख में सुपर हर्क्युलीज को न उतारने की चेतावनी दी थी। भारत ने अपनी ही जमीन पर अपना विमान न उतारने की चीन की इस धमकी को नजरंदाज कर दिया। वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि सुपर हर्क्युलीज कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन तेजबीर सिंह और 'वेल्ड वाइपर्स' की टुकड़ी के साथ इस हवाई पट्टी पर उतरा। इसके बाद वह वापस हिंडन एयरबेस लौट आया।
वायुसेना के अधिकारी के मुताबिक सुपर हर्क्युलीज की मदद से वासुसेना थलसेना को इस बेहद ऊंचाई वाली पोस्ट पर जरूरी साजो-समान तुरंत मुहैया कराने में सक्षम होगी। यही नहीं युद्ध के हालात में सैनिक टुकड़ी को इस पोस्ट तक मूव कराने में सुपर हर्क्युलीज की भूमिका अहम रहेगी।अक्साई चिन इलाके के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर की यह हवाई पट्टी 16614 फीट (5065 मीटर) ऊंचाई पर है। दौलत बेग ओल्डी भारतीय सेना की बेहद अहम पोस्ट है। यह चीन की ओर जाने वाले पुराने सिल्क रूट को जोड़ती है। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने यह बेस बनाया था। पिछले काफी सालों से इस बेस को इतनी अहमियत नहीं दी जा रही थी। हाल के महीनों में भारतीय सेना ने इस बेस पर अपनी गतिविधियां तेज की हैं।
भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना ने मिलकर इस बेस को फिर से ऐक्टिवेट किया। पिछले दिनों 43 साल बाद दो इंजन वाले AN-32 एयरक्राफ्ट को यहां उतारा गया। वासुसेना ने इसके बाद 20 टन तक भार ले जाने में सक्षम C-130J सुपर हर्क्युलीज को उताने का फैसला किया।
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