नई दिल्ली। समलैंगिक सेक्स के बाद अब आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की तैयारी की जा रही है। अपराध कानून में सुधार करते हुए नया मनो रोग चिकित्सा विधेयक 2013 राज्यसभा में रखा गया, जिसमें आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और सभी को सस्ती मनोचिकित्सा का अधिकार प्रदान किया जाएगा।
इस विधेयक में आत्महत्या के प्रयास को आरोपी की मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति से जोड़ा गया है। यह स्पष्ट रूप से कहता है कि आत्महत्या का कदम उठाना अपराध नहीं होगा और जो ऎसा करता है उसे मानसिक रूप से बीमार माना जाएगा, भले ही सिद्ध नहीं हुआ हो और उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के मौजूदा प्रावधान से छूट मिल जाएगी।
इस विधेयक की धारा 124 के अनुसार, "बताई गई धारा के अंतर्गत आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्ति को मानसिक रूप से बीमार माना जाएगा। भले ही तब यह सिद्ध नहीं हुआ हो, उसे उस समय सजा के योग्य नहीं माना जाएगा"
यह पहली बार है जब सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य कानून में अधिकारों की बात कर रही है। विधि आयोग अपराध कानून में इस संशोधन को अलग से लाएगा, जिसे गृह मंत्रालय लागू करेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, विधि मंत्रालय नए मनोरोग चिकित्सा विधेयक में प्रस्तावित धारा को लेकर सहमत है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह बहुत ही अहम विधेयक है, जिसमें मनोरोगी के अधिकारों की चिंता की गई है। देश को ऎसे कानून की जरूरत भी है। नए कानून से मनोचिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले अमानवीय तरीकों पर भी रोक लगेगी।
इस विधेयक में आत्महत्या के प्रयास को आरोपी की मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति से जोड़ा गया है। यह स्पष्ट रूप से कहता है कि आत्महत्या का कदम उठाना अपराध नहीं होगा और जो ऎसा करता है उसे मानसिक रूप से बीमार माना जाएगा, भले ही सिद्ध नहीं हुआ हो और उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के मौजूदा प्रावधान से छूट मिल जाएगी।
इस विधेयक की धारा 124 के अनुसार, "बताई गई धारा के अंतर्गत आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्ति को मानसिक रूप से बीमार माना जाएगा। भले ही तब यह सिद्ध नहीं हुआ हो, उसे उस समय सजा के योग्य नहीं माना जाएगा"
यह पहली बार है जब सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य कानून में अधिकारों की बात कर रही है। विधि आयोग अपराध कानून में इस संशोधन को अलग से लाएगा, जिसे गृह मंत्रालय लागू करेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, विधि मंत्रालय नए मनोरोग चिकित्सा विधेयक में प्रस्तावित धारा को लेकर सहमत है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह बहुत ही अहम विधेयक है, जिसमें मनोरोगी के अधिकारों की चिंता की गई है। देश को ऎसे कानून की जरूरत भी है। नए कानून से मनोचिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले अमानवीय तरीकों पर भी रोक लगेगी।
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