अहमदाबाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साले और बिहार कांग्रेस के नेता अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और फिर उनका गुणगान कर अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है। गुजरात के मुख्यमंत्री के साथ शुक्रवार को 40 से 45 मिनट तक की गुफ्तगू के बाद साधु यादव ने साफ-साफ कहा कि नरेंद्र मोदी में राहुल गांधी से ज्यादा प्रधानमंत्री बनने की योग्यता है। हालांकि उन्होंने मुलाकात को मात्र शिष्टाचार भेंट बताया।
बकौल साधु, 'मेरा मानना है कि राहुल गांधी की तुलना में नरेंद्र मोदी में देश का प्रधानमंत्री बनने की काबिलियत ज्यादा है। वह तुरंत ही आपकी मदद के लिए आपके पास पहुंच जाते हैं। जबकि राहुल गांधी से मिलने के लिए तीन साल तक इंतजार करना पड़ता है।' गांधीनगर स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात में साधु यादव के साथ कांग्रेस नेता दसई चौधरी भी साथ थे। उनकी मुलाकात पर सोनिया गांधी की तरफ से कार्रवाई के बाबत पूछे गए प्रश्न पर बगावती तेवर अपनाते हुए साधु यादव ने कहा कि सोनिया गांधी से कौन डरता है। क्या सोनिया गांधी देश चला रही हैं। इस देश को मनमोहन सिंह चला रहे हैं। लेकिन कितने लोग जानते हैं कि मनमोहन सिंह हमारे प्रधानमंत्री हैं।
जबकि देश का बच्चा-बच्चा नरेंद्र मोदी को जानता है। साधु यादव ने कहा,' मैं कांग्रेस की तरफ से किसी भी कार्रवाई से नहीं डरता। अगर पार्टी कार्रवाई करती है तो आपको क्या लगता है मैं हाथ पर हाथ रखकर चुपचाप बैठा रहूंगा।'
बता दें कि राज्यसभा सदस्य रह चुके साधु यादव ने पिछले लोकसभा चुनाव के समय राजद का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। कांग्रेस की टिकट पर वह बेतिया संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।
सूत्रों के मुताबिक यहां अपने एक मित्र के पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे साधु यादव को मुख्यमंत्री कार्यालय ने मुलाकात के लिए चाय पर आमंत्रित किया था। मुलाकात के बाद साधु यादव ने बताया कि यह शिष्टाचार भेंट थी। मोदी ने बिहार के बुजुर्ग राजनेताओं और वहां के राजनीतिक परिदृश्य पर जानकारी ली। इसके अलावा उन्होंने लालू प्रसाद यादव के बारे में भी पूछा।
भाजपा का दामन थामने की तैयारी
भले ही साधु यादव नरेंद्र मोदी से मुलाकात को गैर राजनीतिक करार दे रहे हों लेकिन इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता है पिछली बार कांग्रेस की टिकट से हार चुके साधु इस बार भाजपा का दामन थाम कर संसद पहुंचना चाहते हैं।
राजद से अलग होने के बाद कांग्रेस के अंदर भी वह दरकिनार ही रहे हैं। जदयू से अलगाव के बाद भाजपा के पास ऐसे नेताओं को समेटने के लिए काफी कुछ है, जिससे पार्टी और नेता दोनों को लाभ मिल सके। यादव मतदाताओं पर खास नजर रख रही भाजपा के लिए साधु एक दांव मात्र हो सकते हैं। हालांकि लालू यादव काल में साधु के कारनामों से भाजपा भी अवगत है। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में साधु जरूर भाजपा जैसी पार्टी का साथ चाहते होंगे।
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