शहीद के परिवार को एक एक लाख रूपये देने की घोषणा
अजमेर सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के वंशज एवं सज्जादनशीन मुस्लिम धर्म प्रमुख दरगाह दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान पाकिस्तानी फौज द्वारा पांच भारतीय सैनिकों की गई शहादत की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुये दरगाह ख्वाजा साहब में मुख्य मजार पर चढ़ाऐ जाने वाले चढ़ावे पर जिला अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर को पत्र लिखकर अपने हिस्से की राशी में से प्रत्येक शहीद के परिवार को एक एक लाख रूपये देने की घोषणा की है।
मुस्लिम धर्म प्रमुख सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ने शनिवार को जारी एक ब्यान में कहा कि हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाऐ जाने वाले चढ़ावे पर हक के विवाद पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री उमेश कुमार शर्मा ने 20 जुलाई को दरगाह के प्रबंध की देख भाल करने वाली दरगाह कमेटी को रिसीवर नियुक्त कर चढ़ावे की राशी वसूल कर दरगाह दीवान और खादिमों के बीच बराबर बटवारा करने के आदेश जारी किये है। उन्होने कहा कि 22 साल की लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद ख्वाजा साहब के आस्ताने पर चढ़ाऐ जाने वाले चढ़ावे पर कोर्ट द्वारा नियुक्त रिसीवर के माध्यम से नजराने की राशी उन्हे मिलने वाली है। जिसको हासिल करने की शुरूआत देश की सीमा की रक्षा के लिऐ शहीद हुऐ सेनिकों के परिवारों को देकर करना चाहते है।
उन्होने कहा कि सीज फायर के अन्र्तराष्टीय नियम का उलंघन कर पाक सेना द्वारा घटित की गई इस अमानवीय एवं कायरतापूर्ण घटना से वह आहत है और सीमा पर शहीद हुऐ सैनिकों के परिवारजनों से पूरी सहानुभूती रखते है इस लिऐ उन्होने यह फैसला किया है कि कोर्ट के आदेश पर नियुक्त रिसीवर जब भी ख्वाजा साहब के आस्ताने से नजराने की राशी वसूलना आरम्भ करेगा सज्जादानशीन की 50 प्रतिशत की हिस्सा राशी में से प्रत्येक शहीद के आश्रित को एक एक लाख रूपये की रकम दरगाह दीवान की और से जिला कलेक्टर के माध्यम से भिजवाई जाऐ।
गौरतलब है कि तत्कालीन दरगाह दीवान सैयद आले रसूल ने दरगाह में पेश होने वाले नजराने में हिस्सा दिए जाने के लिए एक वाद संख्या 37/1926 न्यायलय सब जज अजमेर मे खादिम अल्ताफ हुसैन व अन्य के खिलाफ दायर किया। 3 मई 1933 में आले रसूल का दावा मंजूर हुआ और उन्हें नजराने में आधा हिस्सा दिए जाने के आदेश जारी किऐ गऐ 29 जनवरी 1940 को संशोधित डिक्री पारित हुई। डिक्री के दो हिस्से थे। इसमें से एक में कहा गया था कि आस्ताना शरीफ में पेश होने वाले नजराने में खादिम और दीवान का बराबर हिस्सा होगा। दीवान आले रसूल विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे। कुछ सालों तक बंटवारे की व्यवस्था भी रही लेकिन फिर दीवान का हिस्सा बंद हो गया। तब डिक्री की पालना के लिए वर्तमान दीवान जैनुअल आबेदीन ने 17 अगस्त 1991 में इजराय याचिका दायर की थी पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री उमेश कुमार शर्मा ने 20 जुलाई को दरगाह के प्रबंध की देख भाल करने वाली दरगाह कमेटी को रिसीवर नियुक्त कर चढ़ावे की राशी वसूल कर दरगाह दीवान और खादिमों के बीच बराबर बटवारा करने के आदेश जारी किये है।
उल्लेखनीय है कि पुर्व में भी दरगाह दीवान सैयद जेनुल आबेदीन अली खान द्वारा पाक सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों के सिर काट कर ले जाने विरोध में पाक प्रधानमंत्री परवेज अशरफ रजा की अजमेर दरगाह जियारत के कार्यक्रम का भहिष्कार करने का ऐलान किया था।
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