अजमेर। शहर के निजी आयुर्वेद चिकित्सक ने राज्यसभा सदस्य डॉ. प्रभा ठाकुर को दवा के साथ अत्यघिक मात्रा में सीसा (लैड) दे दिया। इससे उन्हें लैड पॉयजनिंग हो गई। प्रभा को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती रहकर इलाज कराना पड़ा और अमरीका से दवाइयां मंगवानी पड़ी। खास बात यह है कि सांसद की शिकायत के बावजूद पुलिस महकमे ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। निजी चिकित्सक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब केन्द्र सरकार ने आयुर्वेद निर्देशालय को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।
केन्द्रीय चिकित्सा मंत्री गुलाम नबी आजाद को भेजी शिकायत में प्रभा ने आरोप लगाया कि आयुर्वेद चिकित्सक मनीष्ा दुग्गल ने करीब डेढ़ वष्ाü पहले डायबिटीज, एसीडीटी एवं एलर्जी ठीक करने के लिए उन्हें कुछ दवाएं दी। दवाइयां लेने के बाद शरीर में खून बनना बंद हो गया। वह एम्स में सात दिन भर्ती रही और बोनमेरो टेस्ट कराया। थोड़े दिन बाद फिर पेट में तकलीफ होने के कारण बेल्लारी एवं लीवर इंस्टीट्यूट बसंत कुंज में भर्ती होना पड़ा। यहां हुई जांच में खुलासा हुआ कि उनके खून में 70 प्रतिशत लैड मौजूद है। इसे मेडिकल भाष्ाा में लैड पॉयजनिंग कहते हैं। इसकी वजह से मरीज की मौत हो सकती है या उसकी लीवर व किडनी खराब हो सकती है।
पुलिस पर मिलीभगत का आरोप
प्रभा ने बताया कि अजमेर पुलिस में जब मामला दर्ज कराया गया तो पुलिस ने केवल खानापूर्ति की। आरोपी चिकित्सक की फैक्ट्री में छापा मारा लेकिन वहां से दंतमंजन के ही नमूने लेकर जांच के लिए ड्रग कंट्रोलर को भेजा गया। पूछने पर जवाब मिला कि राजस्थान में लैड परीक्षण की सुविधा ही नहीं है। सांसद का आरोप है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली में लैड परीक्षण कराया जा सकता था लेकिन किसी खास कारणों से ऎसा नहीं किया गया।
...ताकि किसी की जान न जाए
सांसद ने पत्र में चिंता जताई है कि उन्हें उचित इलाज मिल गया इसलिए जान बच गई लेकिन आम लोगों का क्या होगा जिन्हें ऎसे ही चिकित्सकों के पास उपचार करवाना पड़ता है।
इनका कहना है
केंद्र सरकार ने मामले में रिपोर्ट मांगी है। मामला पहली बार मेरे सामने आया है। गंभीरता को देखते हुए शीघ्र ही जांच कमेटी का गठन करेंगे।
-आशुतोष्ा गुप्ता, निदेशक आयुर्वेद विभाग
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