गुरुवार, 15 अगस्त 2013

कश्मीरियों से अलग बर्ताव क्यों: उमर



श्रीनगर।। जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आजादी की 67वीं सालगिरह पर कहा कि हमें बताया जाए कि आखिर कश्मीरियों के साथ अलग तरीके से क्यों पेश आया जाता है। किश्तवाड़ की सांप्रदायिक हिंसा पर लगातार आलोचना झेलने से दुखी उमर ने कहा कि हमारे साथ ऐसा बर्ताव किया जाता है कि जैसे कि हम भारत की मुख्यधारा का हिस्सा ही न हों।

उमर ने बख्शी स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में कहा, 'मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग शेष देश की जनता से अलग क्यों महसूस करते हैं। हम अलग महसूस नहीं करते, बल्कि हमारे प्रति अलग तरह का रवैया अपनाकर हमसे ऐसा कराया जाता है। आज मैं इस बारे में स्पष्टीकरण दूंगा।'

उन्होंने कहा कि जब भी उनसे यह सवाल पूछा जाता है तो वह निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाते लेकिन किश्तवाड़ की सांप्रदायिक हिंसा को जिस तरह से शेष देश के सामने पेश किया गया, उससे जवाब मिल गया।उमर ने सांप्रदायिक तनाव को गंभीर रूप न लेने-देने के लिए कश्मीरी जनता की प्रशंसा करते हुए कहा, 'मैं राज्य की जनता को उन शक्तियों को हराने के लिए सलाम करता हूं जो राज्य में तनाव बढ़ाना और शांति- सद्भावना को खत्म करना चाहते थे।'
उन्होंने यह साफ कर दिया कि किश्तवाड़ की जिस सांप्रदायिक हिंसा ने 3 लोगों की जान ले ली, उसकी तो कड़ी निंदा ही की जानी चाहिए। उन्होंने दुख जताया कि यह घटना उनके कार्यकाल में हुई। लेकिन, उन्होंने अपने भाषण में इस बात पर दबाव डालते हुए कहा कि मेरे कार्यकाल में रहते पिछले 4 साल में यह पहली सांप्रदायिक घटना है।

उन्होंने कहा, 'क्या यह भारत में हुई पहली घटना है? मैं यह नहीं कहना चाहता है कि अन्य राज्यों में ऐसी घटना होने पर किश्तवाड़ की घटना को जस्टिफाई किया जा सकता है।'

उमर ने पिछले साल और इस साल मार्च तक देश में सांप्रदायिक दंगों में मौत के मामलों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला दिया जिसमें उत्तर प्रदेश में 34 लोग मारे गए और महाराष्ट्र में 2012 में 13 लोग दंगों का शिकार हुए हैं।

उन्होंने बीजेपी नेता अरुण जेटली और सुषमा स्वराज का जिक्र करते हुए कहा, 'क्या इन घटनाओं पर संसद में चर्चा हुई? इन स्थानों पर नेताओं के जाने की बात तो छोड़ दें लेकिन क्या उन्होंने ट्विटर पर भी इसका जिक्र किया।' उमर ने कहा, 'हमने न्यायिक आयोग की घोषणा की है और उसके निष्कर्षों को सार्वजनिक किया जाएगा।'

उन्होंने कहा, 'भगवान के लिए, मुझे बताएं क्या किसी ने संसद में इस मुद्दे को उठाया? क्या कोई भी बड़ा नेता वहां लोगों के साथ एकजुटता दर्शाने के लिए पहुंचा? कितने समाचार पत्रों में इस घटना पर खबरें बनीं?... आप देश के बाकी हिस्से के साथ कश्मीर को इंटीग्रेट (एकीकृत) करने के लिए भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 निकाल देना चाहते हैं लेकिन व्यवहार आप हम लोगों के साथ अलग तरह का करते हैं।

उमर ने दो टूक कहा कि संविधान की धाराएं बदल देने से एकता नहीं आएगी। यह तभी होगा जब आप अपना रवैया बदलेंगे। उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों की तरफ से किए जा रहे युद्ध विराम उल्लंघन के बारे में कहा कि जब तक यह जारी रहेगा दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण बातचीत प्रभावित रहेगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें